अगर कमजोर मांग का मौजूदा रुझान और सपाट मूल्य निर्धारण बरकरार रहा तो रसायन क्षेत्र में सुधार की रफ्तार वित्त वर्ष 2025 तक धीमी बनी रह सकती है। सितंबर तिमाही में सुस्ती के बाद, सूचीबद्ध रसायन कंपनियों का राजस्व और मुनाफा प्रदर्शन सुधार की शुरुआती उम्मीदों से कम रहने का अनुमान है। कीमतों में स्थिरता के बावजूद, मांग परिवेश अनिश्चित बना हुआ है। तीसरी तिमाही की सुस्ती और मांग संबंधित समस्याओं से इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए डाउनग्रेड को बढ़ावा मिल सकता है।
सितंबर तिमाही में राजस्व में सालाना आधार पर 17 प्रतिशत गिरावट के बाद स्पेशियल्टी केमिकल कंपनियां दिसंबर तिमाही में मुनाफे में 18 प्रतिशत कमजोरी दर्ज कर सकती हैं। कमजोर बिक्री और मार्जिन दबाव के समावेश से परिचालन लाभ में 34 प्रतिशत और शुद्ध लाभ में 45 प्रतिशत गिरावट को बढ़ावा मिल सकता है।
प्रभुदास लीलाधर रिसर्च के स्वर्णेंदु भूषण का मानना है कि डीस्टॉकिंग तो काफी हद तक समाप्त हो गई है लेकिन मांग अनिश्चित बनी हुई है, जिससे कम से कम एक और वर्ष के लिए रसायन कंपनियों के लिए आय अनुमान में कटौती की आशंका बढ़ी है।
अन्य ब्रोकरों ने भी मांग में कमजोरी पर ध्यान दिया है लेकिन स्थिर उत्पाद कीमतों की वजह से कुछ राहत की उम्मीद जताई है। वैश्विक रसायन मांग यूरोप (भारतीय औद्योगिक रसायन के लिए सबसे बड़े बाजार) में मौजूदा आर्थिक मंदी यूरोपीय संघ/अमेरिका में मुद्रास्फीति रुझान और चीन (दुनिया के सबसे बड़े रसायन उत्पादक) में कमजोरी की वजह से लगातार कमजोर बनी हुई है।
फिलिपकैपिटल रिसर्च के अनुसार परिणामस्वरूप इन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन स्तर तीसरी तिमाही के दौरान कोविड-पूर्व स्तरों से नीचे बना रहा। ब्रोकरेज के सूर्य पात्रा का कहना है कि सीमित निर्माण और स्पष्ट चीनी निर्यात वृद्धि के अभाव को देखते हुए खास मांग में सुधार से रसायन कीमतें या तो स्थिर हुई हैं या कुछ हद तक बढ़ी हैं।
रसायन क्षेत्र में मांग लगभग सभी सेगमेंटों में सुस्त बनी हुई है। जहां पिगमेंट और पॉलिमर जैसे डिस्क्रेशनरी सेगमेंटों में सुधार के सीमित संकेत हैं वहीं टेक्सटाइल और डाई में कमजोरी बनी हुई है।
एमके रिसर्च के अनुसार कृषि और फार्मा जैसे गैर-डिस्क्रेशनरी खर्च वाले क्षेत्र अभी भी कमजोर बने हुए हैं और वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही से इनमें धारणा सुधर सकती है। ब्रोकरेज ने एसआरएफ और अनुपम रसायन पर ‘जोड़ें’ तथा नवीन फ्लोरीन इंटरनैशनल पर ‘घटाएं’ और गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स पर ‘बेचें’ रेटिंग दी है।
बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों में एसआरएफ का परिचालन लाभ रसायन और पैकेजिंग व्यवसाय में मार्जिन सुधार की वजह से तिमाही आधार पर 3 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। एसआरएफ की रसायन बिक्री रेफ्रिजरेंट गैसों की कमजोर बिक्री की वजह से तिमाही आधार पर 2 प्रतिशत घटने का अनुमान है।
नवीन फ्लोरीन के लिए मुख्य तौर पर वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही से सीडीएमओ बिक्री टलने और स्पेशियल्टी रसायन तथा एचपीपी बिक्री में धीमा सुधार आने से तिमाही आधार पर 7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
जेएम फाइनैंशियल रिसर्च का मानना है कि एचपीपी और सीडीएमओ बिक्री के ज्यादा योगदान की वजह से नवीन का परिचालन लाभ मार्जिन 22.7 प्रतिशत (वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 20.8 प्रतिशत) रहेगा। इस क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन और अल्पावधि परिदृश्य से शेयर कीमतों में गिरावट को बढ़ावा मिल सकता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल रिसर्च का मानना है कि टाटा केमिकल्स, एसआरएफ, नवीन फ्लोरीन और अतुल सालाना आधार पर बड़ी गिरावट दर्ज करेंगी और तिमाही आधार पर भी इन कंपनियों को कमजोरी का सामना करना होगा।
ब्रोकरेज के विश्लेषक अभिजीत अकेला का मानना है कि कई रसायन कंपनियों की शेयर कीमतें वित्तीय नतीजों की उम्मीद से चढ़ी हैं, लेकिन आय के मोर्चे पर अचानक नकारात्मक खबरें सामने आने पर इनमें गिरावट देखी जा सकती है।
फिलिपकैपिटल रिसर्च ने इस क्षेत्र पर ‘न्यूट्रल’ से ‘नेगेटिव’ नजरिया अपनाए रखा है, क्योंकि ताजा तेजी आय में सुधार की रफ्तार को पार कर गई है और रसायन मांग में वास्तविक सुधार एक सुरक्षित प्रक्रिया हो सकती है। ब्रोकरेज ने कमजोर आय संभावनाओं के आधार पर एसआरएफ की रेटिंग घटाकर न्यूट्रल यानी तटस्थ कर दी है।