facebookmetapixel
डॉलर बॉन्ड की मांग धड़ाम! भारतीय कंपनियों का भरोसा अब सिर्फ रुपये परवैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत: IMF के हेराल्ड फिंगरपुतिन की भारत यात्रा से पहले बड़ा ऐलान! रूस ने परमाणु MoU को दी हरी झंडीकॉप 30 के सभी लक्ष्य पूरे, उद्योग को आरईपीएम योजना अपनाने की सलाहक्यों टिकीं दुनिया की नजरें? भारत-रूस की बैठक में हो सकते हैं हाई-प्रोफाइल सौदेएफडीआई बढ़ाने के लिए भारत को सुधार तेज करने होंगे: मुख्य आर्थिक सलाहकारक्या भारत में बनने जा रहे हैं रूसी डिजाइन वाले छोटे परमाणु रिएक्टर? बड़ी तैयारी शुरू!भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, निर्यात में फिर दिखी वृद्धि: पीयूष गोयलटेक्नोलॉजी नहीं… अब फाइनेंस कंपनियां ले जा रहीं IIT टैलेंट – ₹90 लाख से ₹3 करोड़ तक के ऑफरतंबाकू पर अब फिर से पुराने दरों के अनुसार लगेगा टैक्स

सेंसेक्स, निफ्टी अभी पिछले साल के ऑलटाइम हाई से पीछे, भारतीय शेयर बाजार में अवसर

बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का एमकैप अब 450.6 लाख करोड़ डॉलर रह गया है जो रिकॉर्ड 478 लाख करोड़ डॉलर से कम है।

Last Updated- September 28, 2025 | 10:40 PM IST
Stock Market

एक साल पहले भारतीय शेयर बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए थे। तब निफ्टी 26,277 और सेंसेक्स 86,000 के करीब पहुंच गया था। तब से दोनों सूचकांक अपने शिखर से 6 फीसदी से ज्यादा नीचे रहे हैं। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का एमकैप अब 450.6 लाख करोड़ डॉलर रह गया है जो रिकॉर्ड 478 लाख करोड़ डॉलर से कम है। पिछले हफ्ते यह अंतर करीब-करीब खत्म होने की सूरत बन गई थी और एमकैप भी अपने नए शिखर से 3 फीसदी से भी कम रह गया था।

व्यापक बाज़ार और भी पिछड़ गए हैं। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 अपने-अपने उच्चतम स्तर से क्रमशः 7 फीसदी और 11 फीसदी नीचे बने हुए हैं जो एक अस्थिरता वाले साल के दौरान बड़ी कंपनियों की तुलनात्मक मजबूती को दर्शाता है। नई सूचीबद्धता ने भी समग्र बाजार पूंजीकरण को सहारा दिया है।

सूचकांक हालांकि सालाना आधार पर करीब 6 फीसदी नीचे हैं। लेकिन आय वृद्धि के हिसाब से समायोजित करें तो मूल्यांकन कम से कम 10 फीसदी सस्ता है। विश्लेषक मजबूत घरेलू तरलता को स्थिर कारक मानते हैं, जिसने पिछले 12 महीनों में एफपीआई की 2.7 लाख करोड़ डॉलर की निकासी की भरपाई की है।

कई रणनीतिकार अब मौका दिख रहा है। एचएसबीसी के मुख्य एशिया इक्विटी रणनीतिकार हेरल्ड वैन डेर लिंडे ने एक नोट में कहा, हालांकि विदेशी फंडों ने पिछले एक साल में भारत से अच्छी-खासी रकम निकाली है। यह वह दौर था जब बाजार का प्रदर्शन काफी खराब रहा, लेकिन स्थानीय निवेशक मजबूत बने हुए हैं।

आय वृद्धि की उम्मीदें थोड़ी कम हो सकती हैं। लेकिन मूल्यांकन अब चिंता का विषय नहीं है। सरकारी नीतियां लगातार सहायक होती जा रही हैं और ज़्यादातर विदेशी फंडों ने कम पोजीशन ले रखी हैं। हमारा मानना ​​है कि भारतीय शेयर आकर्षक दिख रहे हैं। एचएसबीसी ने भारत की रेटिंग को ‘न्यूट्रल’ से बढ़ाकर ‘ओवरवेट’ कर दिया है।

फिर भी एफपीआई की जारी बिकवाली, अमेरिकी टैरिफ और रुपये में नरमी के बीच व्यापक रुझान कमजोरी दर्शाते हैं। समी मोडक

First Published - September 28, 2025 | 10:40 PM IST

संबंधित पोस्ट