भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार को लुढ़क गए और बेंचमार्क सूचकांकों ने नौ महीने में सबसे खराब साप्ताहिक गिरावट दर्ज की। आय के मोर्चे पर निराशा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार बिकवाली और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता का मनोबल पर असर पड़ा।
सेंसेक्स 721 अंक टूटकर 81,463 पर बंद हुआ। निफ्टी 225 अंकों की गिरावट के साथ 24,837 पर टिका। दोनों सूचकांकों में यह 19 जून के बाद सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट है। इन्फोसिस में 2.4 फीसदी की गिरावट आई जबकि बजाज फाइनैंस में 4.7 फीसदी की नरमी रही जिनका सेंसेक्स की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान रहा।
इस हफ्ते सेंसेक्स में 0.4 फीसदी और निफ्टी में 0.5 फीसदी की गिरावट आई। यह दोनों सूचकांकों में लगातार चौथी साप्ताहिक गिरावट है। पिछली बार दोनों सूचकांकों में लगातार चार हफ्तों तक गिरावट 25 अक्टूबर, 2024 को समाप्त हफ्ते में दर्ज की थी। बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का कुल बाजार पूंजीकरण 6.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 452 लाख करोड़ रुपये रह गया।
30 अप्रैल के बाद सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट दर्ज करने वाली बजाज फाइनैंस सेंसेक्स में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर भी रहा। कंपनी की बिगड़ती परिसंपत्ति गुणवत्ता और ऊंची ऋण लागत की चिंताओं ने मजबूत ऋण वृद्धि को फीका कर दिया। बजाज समूह के अन्य शेयरों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।
इन्फोसिस में गिरावट की वजह आईटी क्षेत्र में व्यापक बिकवाली को माना जा रहा है जो सुस्त राजस्व और लाभ वृद्धि में निराशा के कारण है। इससे मौजूदा मूल्यांकन उचित नहीं रह गए। इस बिकवाली ने भारत-ब्रिटेन व्यापार समझौते के लाभार्थियों को भी नहीं बख्शा और कपड़ा, एक्वाकल्चर और ऑटोमोटिव सेक्टर के कई शेयरों में गिरावट आई।
इक्विनॉमिक्स के सह-संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, ब्रिटेन के साथ एक अनुकूल समझौते की उम्मीद थी और इसे मानकर चला जा रहा था। इसलिए करार पर हस्ताक्षर होना कोई ताज्जुब की बात नहीं है। इसके अलावा, भारत-ब्रिटेन समझौता इस पहेली का एक हिस्सा है। यह देखना होगा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता किस तरह का होता है और भारत के निर्यात प्रतिस्पर्धियों को अमेरिका और यूरोपीय संघ से किस तरह की रियायतें मिलती हैं।
एफपीआई 1,980 करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल बने रहे और घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) 2,139 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। इस महीने एफपीआई ने अब तक भारतीय बाजारों से 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है जबकि डीआईआई ने लगभग 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और 2,969 शेयर टूटे जबकि 1,061 में बढ़ोतरी दर्ज हुई। निफ्टी मिडकैप 100 में 1.6 फीसदी की गिरावट आई जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 2.1 फीसदी की कमजोरी दर्ज हुई।
चोकालिंगम ने कहा, अप्रैल के निचले स्तरों से रिकवरी के बाद थोड़ी मुनाफावसूली हो रही है। हालांकि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में देरी से बाजारों में सबसे ज्यादा घबराहट है। निवेशक चिंतित हैं कि क्या टैरिफ का असर आईटी सेवाओं पर पड़ेगा। भविष्य में कंपनियों के नतीजे और अमेरिका के साथ व्यापार समझौता बाजार की दिशा तय कर सकता है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, लार्जकैप शेयरों में ऊंचे मूल्यांकन और एफपीआई की बड़ी शॉर्ट पोजीशन के कारण गिरावट का दबाव बढ़ा है। पिछले 2-3 महीनों की मजबूत खरीदारी के बाद डीआईआई के निवेश में नरमी आई है जिसका असर बाजार पर जारी है।