भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को भी गिरावट के शिकार हुए, क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वैश्विक वृद्धि की चिंताओं के बीच मुनाफावसूली की। सेंसेक्स 636 अंक या 0.8 फीसदी गिरकर 80,738 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 174 अंक या 0.7 फीसदी के नुकसान के साथ 24,543 पर बंद हुआ।
मंगलवार को, एफपीआई 2,854 करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता थे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 5,908 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। एफपीआई मई में 19,860 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी शुद्ध खरीदारी करने के बाद जून में शुद्ध बिकवाली की भूमिका में दिख रहे हैं।
सेंसेक्स की गिरावट में आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक का बड़ा योगदान रहा। इन शेयरों में 0.9 फीसदी और 0.4 फीसदी की गिरावट आई। दोनों शेयरों में एफपीआई की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है। एफपीआई की बिकवाली तब हुई जब ओईसीडी ने अमेरिकी व्यापार नीतियों का हवाला देते हुए इस साल दूसरी बार अपने वैश्विक आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमानों में कटौती की। पेरिस स्थित इस संगठन ने कहा कि व्यापार बाधाएं विश्वास को कम कर रही हैं, निवेश में बाधा डाल रही हैं और मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा रही हैं।
अमेरिकी अभियोजकों द्वारा जांच से संबंधित आरोपों वाली एक खबर के बाद अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर गिर गए। अदाणी पोर्ट्स में 2.4 फीसदी की बड़ी गिरावट आई।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘आरबीआई द्वारा दर में संभावित कटौती को लेकर आशावाद व्यापार शुल्क और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों से पैदा हुईं वैश्विक चिंताओं से समाप्त हो गया। मॉनसून से जुड़े थीमों और ब्याज दर-संवेदनशील क्षेत्रों, जैसे पीएसयू बैंक और रियल एस्टेट पर ध्यान बने रहने की संभावना है।’
सेंसेक्स के लगभग सभी शेयरों में गिरावट आई। अदाणी पोर्ट्स, 2.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ, सेंसेक्स का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला शेयर रहा। बजाज फिनसर्व में 1.9 प्रतिशत की गिरावट आई।