एक्सचेंज में ट्रेड होने वाले करेंसी डेरिवेटिव पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियम निवेशकों की चिंता देखते हुए टाल दिए गए हैं। ये नियम शुक्रवार यानी 5 अप्रैल से लागू होने थे मगर बैंकिंग नियामक ने इसकी तारीख बढ़ाकर 3 मई कर दी है।
इस नियम के तहत नैशनल स्टॉक एक्सचेंज और बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर रुपये में होने वाले मुद्रा वायदा अनुबंध में पोजिशन लेने के लिए ट्रेडरों को बताना पड़ेगा कि उनके पास मुद्रा है या उसका इंतजाम है अथवा नहीं। हालांकि 10 करोड़ डॉलर तक की पोजिशन के लिए ट्रेडरों को मुद्रा होने यानी एक्सपोजर होने का सबूत नहीं देना पड़ेगा मगर यह बताना जरूर पड़ेगा कि उनके पास एक्सपोजर है या नहीं।
बाजार बंद होने बाद आज आरबीआई ने प्रेस विज्ञाप्ति जारी कर कहा, ‘ताजा घटनाओं और हितधारकों से मिली प्रतिक्रिया देखते हुए फैसला किया गया है कि अब यह नियम 3 मई, 2024 से लागू किया जाएगा।’ आरबीआई ने कहा कि भारतीय रुपये से जुड़े एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (ईटीसीडी) में भागीदारी के लिए कायदे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के प्रावधानों और नियमों पर आधारित हैं। इसके तहत ओवर द काउंटर तथा एक्सचेंज पर ट्रेड में केवल विदेशी विनिमय दर के जोखिम से बचने के मकसद से रुपये में मुद्रा वायदा की अनुमति दी जाती है।
नियामक ने आगे कहा कि यह नियम रुपये से जुड़े ईटीसीडी में भागीदारी के लिए कायदों की बिना बदलाव तसदीक करते हैं। जिन प्रतिभागियों के पास मुद्रा की व्यवस्था है, वे पहले की ही तरह एक्सपोजर का सबूत दिए बगैर 10 करोड़ डॉलर तक के रुपये से जुड़े ईटीसीडी में भागीदारी कर सकते हैं।
आरबीआई ने कहा, ‘एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाले करेंसी डेरवेटिव के लिए नियमन का ढांचा वर्षों से चला आ रहा है और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।’
मगर रुपये के एक्सचेंज में ट्रेड होने वाले डेरिवेटिव में आज भी उथलपुथल देखी गई क्योंकि ब्रोकरों ने अपने ग्राहकों को पोजिशन घटाने या विदेशी मुद्रा में एक्सपोजर होने का सबूत देने की सलाह दी है। मैकलाई फाइनैंशियल सर्विसेज में वाइस प्रेसिडेंट रितेश भंसाली ने कहा, ‘पोजिशन पहले ही बेची जा चुकी है और कुछ भी नहीं बदला है। आरबीआई का सर्कुलर बाजार बंद होने के बाद आया, इसलिए जो होना था पहले ही हो चुका है।’
उन्होंने कहा कि सर्कुलर में किसी तरह के बदलाव का जिक्र नहीं है और नियम लागू होने की तारीख ही बदली गई है। अगर यह सर्कुलर आज आया है और इसमें कहा गया है कि नियामकीय व्यवस्था पहले की ही तरह है तो इसका मतलब है कि आगे भी कुछ बदलने वाला नहीं है।’
केंद्रीय बैंक की अधिसूचना के बाद कुछ बाजार भागीदारों ने उम्मीद जताई कि रुपये में एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाले डेरिवेटिव खास तौर पर विकल्प श्रेणी में उतार-चढ़ाव कम हो सकता है।
सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पाबरी ने कहा, ‘सर्कुलर का तत्काल कोई असर नहीं होगा क्योंकि नियामकीय व्यवस्था पर आरबीआई का रुख नहीं बदला है। मगर पिछले दो दिनों में एकाएक घटे मुद्रा डेरिवेटिव के सौदे बढ़ सकते हैं। साथ ही विकल्प प्रीमियम पर दबाव भी सामान्य होगा।’ उन्होंने कहा कि विकल्प का प्रीमियम 3.5 फीसदी बढ़ गया था जो अब घटकर 1.5 से 2 फीसदी रह सकता है।