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US Fed के रेट कट के बाद भारतीय बाजारों में क्यों आई तेजी, निवेशकों के लिए क्या हैं इसके मायने?

US Fed Rate Cut: अमेरिका में ब्याज दरें घटना आम तौर पर भारत जैसे बाजारों के लिए अच्छा माना जाता है। इससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजारों में निवेश बढ़ा सकते हैं।

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जतिन भूटानी   
Last Updated- September 18, 2025 | 3:12 PM IST

US FED rate Cut Impact on Stock Market: अमेरिका के केंद्रीय बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed Reserve) ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है। फेड ने बेंचमार्क ब्याज दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करके इसे 4 फीसदी से 4.25 प्रतिशत के दायरे में लाने का फैसला किया है। फेड के इस फैसले से भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 400 जबकि निफ्टी 100 से ज्यादा अंक चढ़कर ओपन हुआ। आईटी शेयरों पर भी इसका पॉजिटिव असर देखने को मिला और इंफोसिस, एचसीएल टेक और टीसीएस जैसी आईटी कंपनियों के शेयर 2 फीसदी तक चढ़ गए।

फेडरल रिजर्व का यह फैसला काफी हद तक उम्मीदों के अनुरूप रहा। केंद्रीय बैंक ने आने वाले महीनों में और ढील देने के संकेत तो दिए। लेकिन इस बात पर जोर दिया कि नीतिगत फैसले आने वाले आंकड़ों और बदलती परिस्थितियों पर आधारित रहेंगे।

फेड के इस फैसले के बाद ब्रोकरेज हॉउस नोमुरा को उम्मीद है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस साल अपनी शेष बैठकों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। जापान की ब्रोकरेज फर्म ने पहले अक्टूबर में विराम और दिसंबर में कटौती का अनुमान लगाया था।

नोमुरा के एनालिस्ट्स ने नोट में कहा, “ब्याज दरों के कटौती के उम्मीदों के नरम रुख के बावजूद आर्थिक अनुमान आश्चर्यजनक रूप से आक्रामक थे। यह संकेत देता है कि शॉर्ट टर्म में अतिरिक्त ‘इंश्योरेंस कट’ लागू करने की संभावना अधिक है। जबकि महंगाई के जोखिमों को लेकर सतर्कता तुलनात्मक रूप से कम दिख रही है।”

US Fed Rate Cut से क्यों चढ़ा बाजार?

अमेरिका में ब्याज दरें घटना आम तौर पर भारत जैसे बाजारों के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय बाजारों में निवेश बढ़ा सकते हैं। ऐसे हालात में ट्रेजरी यील्ड घटती है। डॉलर की कीमत में भी आमतौर पर गिरावट आती है।

एक्सिस सिक्योरिटीज में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट राजेश पल्विया का कहना है कि भारत में फेड के कदम विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकते हैं। इससे रुपया मजबूत होगा और बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी जैसे इंडेक्स को फायदा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि यह अनुकूल माहौल महंगाई के दबाव को कम करने में मदद कर सकता है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नीतिगत समायोजन के लिए स्थान प्रदान कर सकता है। हालांकि, मजबूत मुद्रा के कारण निर्यातकों को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि जब इस वैश्विक परिस्थिति को घरेलू कारकों के साथ जोड़ा जाए, तो भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत दिखती है। जून 2025 में आरबीआई ने 50 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती की थी। अप्रैल में भी एक और कटौती की गई। इसके अलावा, जीएसटी दरों को सरल बनाया गया है। कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इन सभी पहलुओं का संयुक्त प्रभाव आर्थिक स्थिति को समर्थन दे रहा है।

राजेश पल्विया ने कहा, “फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जो इस साल की पहली कटौती है। यह निर्णय बढ़ते रोजगार रिस्क के बीच लेबर मार्केट को सहारा देने के प्रति एक सतर्क आउटलुक को दर्शाता है। इस नरम रुख से उधारी लागत (borrowing cost) कम होने और अमेरिकी बाज़ारों में कंज्यूमर खर्च को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे शेयरों, बॉन्ड और रियल एस्टेट में तेजी आ सकती है। हालांकि, कुछ अस्थिरता भी बनी रह सकती है।”

इंडियाबॉन्ड्स.कॉम के को-फाउंडर विशाल गोयनका का कहना है कि यह वित्त वर्ष में आगे और दर कटौतियों की उम्मीद के साथ बॉन्ड में निवेश करने के लिए अनुकूल समय हो सकता है।

उन्होंने कहा, ”भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब ब्याज दरों में कटौती की दिशा में आगे बढ़ सकता है। इसका कारण कर्ज की मांग में गिरावट और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। अब तक बैंकिंग प्रणाली में दर कटौती का असर धीरे-धीरे दिखा है। इसकी एक वजह सरकारी बॉन्ड यील्ड कर्व का तीखा ढलान है। बैंक अक्सर शॉर्ट टर्म उधारी लेकर लॉन्ग टर्म ऋण देते हैं। इस असंतुलन को दूर करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जरूरत है।”

गोयनका ने कहा, ”शॉर्ट टर्म सरकारी सिक्योरिटीज का बैलेंस्ड तरीके से इश्यू करना जरूरी है। इससे कंपनियों और अर्थव्यवस्था के लिए उधारी की लागत घट सकती है। वर्तमान हालात को देखते हुए यह बॉन्ड में निवेश के लिए सही समय हो सकता है।”

जेरोम पॉवेल ने दिए और कटौती के संकेत

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में चौथाई प्रतिशत की कटौती कर दी। साथ ही संकेत दिया कि वह इस वर्ष शेष समय में धीरे-धीरे उधारी की लागत को और कम करेगा। यह फैसला नौकरियों के बाजार में कमजोरी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच लिया गया है।

ब्याज दर में यह कटौती और फेड की आगामी दो नीतिगत बैठकों में दो और चौथाई-प्रतिशत की कटौतियों का अनुमान यह दर्शाते हैं कि फेड अधिकारियों ने अब यह मान लिया है कि सरकार की तीव्र व्यापार नीतियों से लॉन्ग टर्म में महंगाई की आशंका उतनी गंभीर नहीं है। साथ ही यह भी संकेत मिलते है कि अब उनका ध्यान आर्थिक वृद्धि में मंदी और बढ़ती बेरोजगारी की संभावना पर ज्यादा है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed Reserve) ने बेंचमार्क ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 4 फीसदी से 4.25 प्रतिशत के दायरे में लाने का फैसला किया है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने इस साल दो और तिमाही-प्रतिशत अंकों की कटौती का अनुमान लगाया है।

First Published : September 18, 2025 | 10:53 AM IST