नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से लागू होंगी। (Representational Image)
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) क्षेत्र की कंपनियों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है कि सरकार जीएसटी (Goods and Services Tax) की नई दरों के लागू होने के दौरान मौजूदा पैक पर नए प्राइस स्टिकर लगाने को अनिवार्य नहीं करेगी। नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।
मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सरकार फिलहाल उन उत्पादों पर नए दाम की टैगिंग को अनिवार्य करने से राहत दे सकती है, जो कंपनियों के स्टॉक में हैं। यह छूट तब तक रहेगी जब तक एफएमसीजी कंपनियां नए दाम वाले पैक बाजार में नहीं उतार देतीं।
केंद्र ने 9 सितंबर को निर्माताओं, पैकर्स और आयातकों को हाल ही में संशोधित जीएसटी दरों के बाद बिना बिके स्टॉक का एमआरपी (MRP) स्टिकर के जरिए संशोधित करने की अनुमति दी थी। सरकार ने शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन और खाद्य वस्तुओं सहित कई उपभोक्ता उत्पादों पर जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा की थी।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से 9 सितंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार, कंपनियां बदला हुआ एमआरपी 31 दिसंबर 2025 तक या पुराना स्टॉक खत्म होने तक (जो भी पहले हो) घोषित कर सकती हैं। बदले हुए एमआरपी की घोषणा स्टाम्पिंग, स्टिकर लगाने या ऑनलाइन प्रिंटिंग के जरिए की जा सकती है।
बिजनेस स्टैंडर्ड स्वतंत्र रूप से सरकार से यह पुष्टि नहीं कर सका कि क्या ये नए दिशा-निर्देश जल्द अधिसूचित किए जाएंगे। एक सूत्र ने बताया कि सरकार कंपनियों को छूट दे सकती है कि वे ट्रांजिशन के दौरान इनवॉइस में ही कीमत में दी गई छूट दिखा दें।
अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि निर्माता, पैकर या आयातक को संशोधित एमआरपी के बारे में अखबारों में विज्ञापन देना होगा और डीलरों के साथ-साथ केंद्रीय सरकार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विधिक मापविज्ञान निदेशालय को भी इसकी सूचना देनी होगी।
हालांकि सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि यह नियम भी बदला जा सकता है, क्योंकि छोटे और मझोले उद्यमों के लिए विज्ञापन देना महंगा साबित होगा। पैकेटों पर कीमत बदलना और इसके लिए अतिरिक्त मैन पावर लगाना, एफएमसीजी कंपनियों की चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है।