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SEBI ने ₹1,000 करोड़ से कम मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए ESM निगरानी नियमों में किया बड़ा बदलाव

SEBI और एक्सचेंजों ने छोटी कंपनियों के लिए ESM नियमों में बदलाव कर शेयरों की निगरानी आसान बनाई और निवेशकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए नए मानदंड जोड़े।

Last Updated- July 26, 2025 | 6:29 PM IST
SEBI
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और स्टॉक एक्सचेंज ने छोटी कंपनियों के लिए निगरानी के नियमों में बदलाव किया है। 1,000 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए संशोधित एनहांस्ड सर्विलांस मैकेनिज्म (ESM) ढांचा 28 जुलाई से लागू होगा। इस नए ढांचे से 28 कंपनियों को फायदा होने की उम्मीद है। SEBI और एक्सचेंजों ने 25 जुलाई को हुई एक संयुक्त बैठक में यह फैसला लिया।

नए नियमों के तहत, कंपनियों को ESM के पहले चरण (स्टेज 1) में शामिल करने के लिए पुराने मानदंडों के साथ-साथ पिछले तीन महीनों में शेयरों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी (क्लोज-टू-क्लोज प्राइस वेरिएशन) को भी शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि अगर किसी कंपनी के शेयर की कीमत पिछले तीन महीनों में लगातार बढ़ी है, तो यह निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। ऐसे शेयरों को अब ESM के पहले चरण में शामिल किया जा सकता है।

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नए नियम और स्टेज 2 में बदलाव

ESM ढांचे में एक और अहम बदलाव स्टेज 1 से स्टेज 2 में शेयरों को ले जाने के नियमों में किया गया है। अब प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो (PE रेशियो) को भी एक शर्त के तौर पर जोड़ा गया है। इसके तहत, किसी कंपनी का PE रेशियो बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 500 के PE रेशियो के दोगुने तक हो सकता है। अगर यह शर्त पूरी होती है, तो शेयर को स्टेज 2 में ले जाया जाएगा। 

SEBI ने पिछले साल अगस्त में 1,000 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैप वाली मेनबोर्ड कंपनियों को ESM ढांचे के दायरे में लाया था। इस ढांचे का मकसद शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव, स्टैंडर्ड डेविएशन और अन्य मापदंडों के आधार पर छोटी और माइक्रो कंपनियों की निगरानी करना है। अगर कोई कंपनी ESM के स्टेज 1 में है, तो उस पर टी+2 दिन से 100 फीसदी मार्जिन लागू होगा और ट्रेड-फॉर-ट्रेड सेटलमेंट के साथ 5 फीसदी का प्राइस बैंड होगा। अगर शेयर का प्राइस बैंड पहले से 2 फीसदी है, तो वही जारी रहेगा। 

इसके अलावा, ESM के तहत शेयरों की समीक्षा हर हफ्ते होगी, जिसमें कंपनियों को निचले चरण में ले जाने या ढांचे से बाहर करने का फैसला लिया जाएगा। यह बदलाव छोटी कंपनियों के लिए कारोबारी माहौल को और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

First Published - July 26, 2025 | 6:29 PM IST

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