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तीन महीने के बाद खुदरा निवेशक बने खरीदार, अब तक 5,607 करोड़ रुपये का निवेश किया

पिछले तीन महीनों में उन्होंने करीब 20,000 करोड़ रुपये की निकासी की थी। यह खुदरा खरीदारी ऐसे समय हो रही है जब बेंचमार्क निफ्टी लगातार चौथे महीने तेजी दर्ज करने के लिए तैयार है।

Last Updated- June 24, 2025 | 9:52 PM IST
Stock Market

तीन महीने तक दूर रहने के बाद रिटेल निवेशकों ने शेयर कीमतों में लगातार तेजी के बीच जून में शेयर बाजार में अपनी दिलचस्पी बढ़ाई। इस महीने रिटेल निवेशकों ने नकदी बाजार में अब तक 5,607 करोड़ रुपये का निवेश किया है। पिछले तीन महीनों में उन्होंने करीब 20,000 करोड़ रुपये की निकासी की थी। यह खुदरा खरीदारी ऐसे समय हो रही है जब बेंचमार्क निफ्टी लगातार चौथे महीने तेजी दर्ज करने के लिए तैयार है। इससे पहले के पांच महीनों में सूचकांक में गिरावट आई थी। विश्लेषकों का कहना है कि खुदरा निवेशक बाजारों के स्थिर होने का इंतजार कर रहे थे।

येस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी ने कहा, ‘स्थिरता की धारणा तब लौटती है जब बुरी खबरें कीमतों को प्रभावित नहीं कर रही होती हैं। जब आप बाजारों को 15-30 दिन तक ऊपर जाते देखते हैं या भले ही उन दिनों भी जब बाजार नीचे होता है, लेकिन बाजार की धारणा स्थिर होती है तो यह वह समय होता है जब धारणाएं बदलती हैं और ऐसा ही हुआ।’

अंबानी ने कहा कि अप्रैल से शुद्ध खरीदार रहे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भी खुदरा निवेशकों का मनोबल बढ़ाने वाले रहे हैं। एफपीआई छह महीनों में से पांच में शुद्ध बिकवाल रहने के बाद अप्रैल से भारतीय शेयरों में शुद्ध खरीदार बन गए। दिलचस्प यह है कि जून में एफपीआई और घरेलू संस्थानों के साथ-साथ खुदरा निवेशकों की भी खरीदारी देखी गई। खुदरा निवेशकों की लगातार तीन महीनों की बिकवाली के लिए टैक्स हार्वे​स्टिंग और बाजार स्थिरता से जुड़ी चिंताओं को जिम्मेदार माना गया, जो अमेरिकी टैरिफ नीति से लेकर भारत के पड़ोस और दूसरे क्षेत्रों में तनाव की नकारात्मक खबरों से पैदा हुई थीं।

व्यक्तिगत निवेशकों ने मार्च में देसी शेयरों से 14,325 करोड़ रुपये निकाले जो 2016 के बाद से उनकी सबसे बड़ी मासिक निकासी थी क्योंकि इससे पिछले महीनों में बाजार की गिरावट ने उन्हें ‘टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग’ का फायदा उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग ऐसी रणनीति है जिसमें निवेशक अन्य निवेशों से कर योग्य लाभ होने पर नुकसान वाले निवेश को बेचते हैं, जिससे उनकी कुल कर देनदारी कम हो जाती है।

अप्रैल और मई में कम तीव्रता के साथ बिक्री जारी रही। अप्रैल में खुदरा निवेशक 2,720 करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता थे और मई में उन्होंने 2,572 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम जी ने कहा कि सितंबर बाद की बिकवाली के दौरान मिड एवं स्मॉलकैप शेयरों में भारी गिरावट ने कई खुदरा निवेशकों को बाहर निकलने के लिए मजबूर कर दिया।

चोकालिंगम ने कहा, ‘सूचकांकों के सितंबर में ऊंचा स्तर छूने के बाद के महीनों में बाजार पूंजीकरण में भारी गिरावट आई। कई छोटे और मिडकैप शेयर (कई अच्छी गुणवत्ता वाले शेयर भी शामिल थे) मार्च तिमाही में 30 से 50 प्रतिशत तक गिर गए।’ चोकालिंगम ने अप्रैल और मई में खुदरा निवेशकों की बिकवाली का कारण मुनाफावसूली को बताया, क्योंकि उस समय प्रमुख और अन्य सूचकांक दोनों नई ऊंचाई पर पहुंच गए थे।

First Published - June 24, 2025 | 9:47 PM IST

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