भारतीय कैपिटल गुड्स सेक्टर यानी भारी मशीनरी और औद्योगिक उपकरण बनाने वाली कंपनियां इन दिनों निवेशकों के बीच खास चर्चा में हैं। ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, इसकी बड़ी वजह है सरकार का भारी निवेश, पावर ट्रांसमिशन एंड डिफेंस जैसे सेक्टरों में बढ़ती डिमांड, और एनर्जी ट्रांजिशन यानी सौर और पवन जैसे स्रोतों की ओर बढ़ता रुझान। हालांकि मार्च तिमाही (Q4FY25) में निजी कंपनियों का खर्च थोड़ा धीमा रहा, लेकिन रिपोर्ट्स बता रही हैं कि अगली कुछ तिमाहियों में इसमें भी तेजी आ सकती है।
Q4FY25 में कैपिटल गुड्स कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया। कई बड़ी और मिड-कैप कंपनियों के मुनाफे अनुमान से बेहतर रहे। EBITDA मार्जिन भी अच्छा बना रहा क्योंकि कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिले और लागत पर नियंत्रण रहा। हालांकि कुछ EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट, कंस्ट्रक्शन) कंपनियों को पुराने प्रोजेक्ट्स के कारण दिक्कत आई, लेकिन जैसे-जैसे वो प्रोजेक्ट खत्म होंगे, मुनाफे में और सुधार की उम्मीद है। खास बात ये रही कि घरेलू ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन (T&D) और अंतरराष्ट्रीय रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में तेजी से नए ऑर्डर आए, जिससे कंपनियों की ऑर्डर बुक और भविष्य की कमाई का भरोसा बढ़ा।
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सरकार का खर्च इस सेक्टर को सपोर्ट कर रहा है। मार्च 2025 में केंद्र सरकार का कैपेक्स ₹2.4 लाख करोड़ रहा जो अब तक का सबसे ज्यादा है। अप्रैल 2025 में भी ये ₹1.6 लाख करोड़ तक पहुंचा, जिससे साफ है कि FY26 में शुरुआत से ही निवेश तेजी से किया जा रहा है। राज्यों का खर्च भी FY25 में 22% बढ़ा। डिफेंस, हाई वोल्टेज ग्रिड, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई तकनीकों पर बढ़ते प्रोजेक्ट्स से भी इस सेक्टर को नए मौके मिल रहे हैं।
भविष्य को लेकर तस्वीर साफ है। एक्सपोर्ट के मोर्चे पर भी अच्छी संभावना है – खासकर डिफेंस इक्विपमेंट, टरबाइन और ट्रांसमिशन के उत्पादों के लिए। कंपनियों को अच्छे मार्जिन मिलते रहेंगे क्योंकि प्रोडक्ट मिक्स सुधर रहा है और स्केल का फायदा मिल रहा है। अगर निजी कंपनियों की ओर से भी निवेश में तेजी आती है, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स में, तो यह सेक्टर और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
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FY25 में Cummins India का प्रदर्शन शानदार रहा। कंपनी का शुद्ध लाभ 15% बढ़ा और रेवेन्यू ₹10,000 करोड़ से ऊपर चला गया। पावर जनरेशन और इंडस्ट्रियल सेगमेंट में 14% और 28% की ग्रोथ देखी गई। कंपनी पूरी तरह कर्ज़मुक्त है, कैश फ्लो मजबूत है और इमिशन नियमों का पालन करने वाली टेक्नोलॉजी में लीडर है। कंपनी को लोकलाइजेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और वैश्विक रिकवरी से फायदा मिल सकता है।
Kirloskar Oil ने हाई मार्जिन सेगमेंट जैसे HHP, एक्सपोर्ट और B2C पर फोकस किया है। पुराने मुद्दे अब सुलझ चुके हैं और जेनसेट की डिमांड स्थिर हो गई है, जिससे मुनाफे में सुधार तय है। एक बड़ा इंडस्ट्रियल ऑर्डर मिलने वाला है जिससे ग्रोथ और दिखेगी। FY25–27 के लिए EBITDA और PAT में 18–19% की सालाना ग्रोथ का अनुमान है। KOEL का इनोवेशन और एक्सपोर्ट स्ट्रैटेजी इसे लंबे समय तक ग्रोथ की पटरी पर रख सकती है।
(डिस्क्लेमर: यहां शेयर में खरीदारी की सलाह ब्रोक्रेजीज ने दी है। बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)