Market This Week: भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 50 लगातार तीसरे हफ्ते वीकली बेसिस पर गिरावट में बंद हुए। निफ्टी 25,000 के प्रमुख सपोर्टिंग लेवल से नीचे फिसल गया है। इसी के साथ पिछले तीन हफ़्तों में सेंसेक्स 2400 अंक या लगभग 3 प्रतिशत से ज़्यादा गिर चुका है। जबकि निफ्टी 50 में भी इस दौरान लगभग 3 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इस हफ्ते फाइनेंशियल और आईटी कंपनियों के कमजोर नतीजों ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया, जबकि वैश्विक व्यापार अनिश्चितता बनी रही। निफ्टी 50 आज यानी शुक्रवार को 0.57% गिरकर 24,968.4 अंक पर बंद हुआ। जबकि बीएसई सेंसेक्स 0.61% गिरकर 81,757.73 पर आ गया। इसी के साथ इस सप्ताह (14 जुलाई-18 जुलाई) निफ्टी 50 और सेंसेक्स में क्रमशः 0.7 प्रतिशत और 0.9 फीसदी की गिरावट आई।
प्राइवेट बैंकों में लगभग 2 फीसदी की साप्ताहिक गिरावट के साथ सेक्टोरल गिरावट सबसे अधिक रही। इसके बाद प्रमुख फाइनेंशियल और इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी इंडेक्स में क्रमशः 1.1% और 1.5% की गिरावट आई। एक्सिस बैंक के मुनाफे में अचानक गिरावट के बाद शुक्रवार को 5.2% और पूरे सप्ताह में 6.3% की गिरावट आई।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी एचसीएलटेक ने अपने पूरे साल के परिचालन मार्जिन के अनुमान में कटौती के बाद इस हफ़्ते 5.5% की गिरावट दर्ज की। इससे तकनीकी खर्च में शॉर्ट टर्म में सुधार की उम्मीदें धूमिल हो गईं। दूसरी तरफ, विप्रो की आय उम्मीद से बेहतर रही। इसके चलते आईटी कंपनी के शेयर शुक्रवार को 2.4 फीसदी चढ़ गए। जबकि पूरे हफ़्ते में शेयर 3.3 प्रतिशत की तेजी आई।
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1. कमजोर तिमाही नतीजे
पहली तिमाही के नतीजों के शुरुआती रुझानों ने इस तिमाही में आय में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। एनालिस्ट्स को पहली तिमाही में अच्छी आय वृद्धि और प्रबंधन की उत्साहजनक टिप्पणियों की उम्मीद थी। हालाँकि, अब तक पहली तिमाही के नतीजे उत्साहजनक नहीं रहे हैं। वैश्विक अनिश्चितता के बीच प्रबंधन सतर्क रहा है। इसका बाजार के सेंटीमेंट्स पर असर पड़ रहा है।
2. यूएस-इंडिया ट्रेड डील का इन्तजार
अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील के बारे में अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो सकी है। हालांकि, अंतिम समझौते का इंतज़ार अभी भी जारी है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 1 अगस्त की समय सीमा को पूरा करने की कोशिश में इंडोनेशिया और वियतनाम की तुलना में अधिक अनुकूल टैरिफ दर की मांग कर रहा है।
3. हाई वैल्यूएशन भी बना कारण
बाजार का बढ़ा हुआ मूल्यांकन मौजूदा गिरावट के पीछे एक और अहम वजह है। निफ्टी का मौजूदा पीई 22.6 है। यह इसके दो साल के औसत पीई 22.3 से ऊपर है। आय में सुधार अभी भी दूर है, कम से कम चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही तक, बाजार का बढ़ा हुआ मूल्यांकन बाजार की धारणा पर भारी पड़ रहा है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “गिरावट में एफआईआई द्वारा की गई बिकवाली का एक बड़ा योगदान है। हालांकि घरेलू निवेशक बाजार का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी मुनाफावसूली बाजारों को रुक-रुक कर हो रही बढ़त को बरकरार रखने से रोक रही है। जुलाई में अब तक एफपीआई ने नकद खंड में ₹17,330 करोड़ मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं।