स्टैंडर्ड चार्टर्ड और एचएसबीसी की ताजा शोध रिपोर्टों में कहा गया है कि मूल्यांकन और आय बहाली में संभावित देरी की चिंताओं के बावजूद भारतीय इक्विटी बाजार वैश्विक अनिश्चितता के बीच अच्छी स्थिति में हैं। इस बीच, एचएसबीसी रिसर्च ने कहा है कि भारत वैश्विक अनिश्चितता और व्यापार टकराव के बीच निवेशकों के लिए आकर्षक बाजार है। एक नोट में, एचएसबीसी रिसर्च ने कहा कि एशिया और वैश्विक इमर्जिंग मार्केट (जीईएम) फंडों ने भारत में अपनी अंडरवेट पोजीशन को कम करना शुरू कर दिया है, लेकिन वैश्विक निवेशक सतर्क बने हुए हैं। कमजोर डॉलर और नरम मुद्रास्फीति से संकेत मिलता है कि आने वाले महीनों में विदेशी निवेश बरकरार रह सकता है।
ब्रोकरेज ने कहा है कि केंद्र सरकार और केंद्रीय बैंक दोनों नीतिगत समर्थन मुहैया करा रहे हैं। सरकार का पूंजीगत खर्च 2025 की पहली तिमाही में बढ़कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।
एचएसबीसी रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘केंद्रीय बैंक ने अनुमान के मुकाबले ज्यादा वृद्धि समर्थक नजरिया अपनाया है। यह हाल में बेंचमार्क रेट (50 आधार अंक) और सीआरआर (100 आधार अंक) में उम्मीद से ज्यादा कटौती से स्पष्ट हो गया है। इससे घरेलू वृद्धि के लिए अच्छा संकेत मिलना चाहिए। घरेलू निवेशकों का मजबूत निवेश भी इक्विटी को महत्वपूर्ण समर्थन देता है।’
कॉरपोरेट प्रदर्शन के संदर्भ में, एचएसबीसी ने इंडस्ट्रियल, हेल्थकेयर और दूरसंचार क्षेत्र से मार्च तिमाही की आय में शानदार वृद्धि देखी।
कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी आय सालाना आधार पर 14 फीसदी बढ़ी और इसे रिटेल एवं सेवा क्षेत्र में दमदार वृद्धि से मदद मिली। जहां एफएमसीजी कंपनियों को कमजोर मांग और बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से संघर्ष करना पड़ा, वहीं बैंकिंग और आईटी क्षेत्रों की आय भी सुस्त बनी रही।
चौथी तिमाही के मजबूत नतीजों के बावजूद, एचएसबीसी ने चेतावनी दी है कि आय वृद्धि में लगातार सुधार आने में कुछ तिमाहियों का वक्त लगेगा। एचएसबीसी ने 2025 के अंत तक सेंसेक्स के 82,240 पर पहुंचने का अनुमान जताया है। उसके पसंदीदा शेयरों में गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, यूनाइटेड फॉस्फोरस, गेल, उज्जीवन स्मॉल फाइनैंस बैंक और एचडीएफसी लाइफ शामिल हैं।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने भारतीय इक्विटी पर अपना ‘ओवरवेट’ रुख बरकरार रखा है। इसके लिए उसने घरेलू वृद्धि में सुधार, मजबूत आय संभावनाओं, सहज वित्तीय स्थिति और घरेलू निवेशकों के मजबूत समर्थन का हवाला दिया है। हालांकि अल्पावधि में अस्थिरता की आशंका है। लेकिन स्टैंडर्ड चार्टर्ड का मानना है कि इक्विटी मध्यावधि में अन्य पारंपरिक परिसंपत्ति वर्गों (बॉन्ड, कमोडिटीज) से बेहतर प्रदर्शन करेगी।
ब्रोकरेज ने अपनी 10 जून की रिपोर्ट में कहा, ‘जीडीपी वृद्धि और आय परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। देश इस मामले में अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर स्थिति में रह सकता है। सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में मजबूत निवेश और विदेश निवेश में सुधार से घरेलू बाजारों में निवेश मजबूत बना हुआ है।
हालांकि स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने वृद्धि में नरमी और आय अनुमानों में संभावित डाउनग्रेड, इक्विटी के ऊंचे मूल्यांकनों और धीमे घरेलू निवेश प्रवाह के बीच विदेशी निवेशकों की बिकवाली को संभावित जोखिम करार दिया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने कहा है कि निफ्टी का 12 महीने का पीई अनुपात (20.6 गुना) उसके 18.2 गुना के दीर्घावधि औसत से ऊपर है। लेकिन यह अभी भी हाल के ऊंचे स्तर 22 गुना से नीचे है।