विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर के पहले पखवाड़े में भारतीय शेयरों में 9,761 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इनमें उपभोक्ता सेवाओं और बिजली क्षेत्र के शेयरों को सबसे ज्यादा निकासी का सामना करना पड़ा।
प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने उपभोक्ता सेवाओं से 3,246 करोड़ रुपये निकाले। इस क्षेत्र में विवेकाधीन खर्च से जुड़े सेक्टर शामिल हैं, जिनमें आतिथ्य, मनोरंजन और खुदरा क्षेत्र आते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के दौर में एफपीआई अक्सर इन क्षेत्रों में निवेश घटा देते हैं।
जिन अन्य सेक्टरों में एफपीआई ने सबसे अधिक निकासी की, उनमें बिजली (2,107 करोड़ रुपये), सूचना प्रौद्योगिकी से 2,014 करोड़ रुपये, रियल एस्टेट से 1,927 करोड़ रुपये तथा स्वास्थ्य सेवा से 1,601 करोड़ रुपये की निकासी शामिल है।
विश्लेषकों का मानना है कि बिजली क्षेत्र के शेयरों में बिकवाली का कारण बढ़ा हुआ मूल्यांकन है। आईटी क्षेत्र में सुस्त बढ़ोतरी और हालिया पुनर्खरीद घोषणाओं की चिंताओं ने एफपीआई को अपनी पोजीशन घटाने के लिए प्रेरित किया।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, टैरिफ न हों तो भी आईटी की राजस्व वृद्धि 2-4 फीसदी से अधिक होने की संभावना नहीं है। इन्फोसिस की पुनर्खरीद की घोषणा ने इन अटकलों को हवा दी है कि अन्य कंपनियां भी ऐसा कर सकती हैं, जिससे टेक्नॉलजी शेयरों में कुछ खरीदारी शुरू हो गई है। एफपीआई इसे निकासी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इनमें अल्पावधि से मध्यम अवधि में संभावनाएं सीमित हैं।
ऑटोमोटिव (ऑटो) और ऑटो कलपुर्जा सेक्टर में सबसे ज्यादा 1,908 करोड़ रुपये का निवेश आया। इसकी वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को तर्कसंगत बनाने की उम्मीद रही। एफपीआई ने वित्तीय सेवाओं (1,634 करोड़ रुपये), पूंजीगत वस्तुओं (1,518 करोड़ रुपये) और धातु एवं खनन (1,394 करोड़ रुपये) में भी निवेश बढ़ाया।
एफपीआई के पोर्टफोलियो में वित्तीय सेवाओं की हिस्सेदारी 30.95 फीसदी के साथ सबसे ज्यादा बनी हुई है। उसके बाद ऑटो सेक्टर का स्थान है जिसकी हिस्सेदारी 7.9 फीसदी है।