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F&O Trading: एफऐंडओ में अटकलों पर लगाम लगाने के लिए SEBI के 6 उपाय, कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाकर 15 लाख रुपये किया

F&O speculation: पोजीशन लिमिट पर इंट्राडे के आधार पर नजर रखने तथा निपटान के दिन के लिए अलग कैलेंडर की व्यवस्था खत्म करने के उपाय भी किए गए हैं।

Last Updated- October 01, 2024 | 10:00 PM IST
Sebi extends futures trading ban on seven agri-commodities till Jan 2025

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अत्य​धिक अटकलबाजी की गतिवि​धियों पर रोक लगाने और आम ट्रेडरों के बढ़ते घाटे की चिंता के मद्देनजर डेरिवेटिव ट्रेडिंग ढांचे में आज 6 प्रमुख बदलाव की घोषणा की।

इन उपायों में अनुबंध का आकार मौजूदा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करना, मार्जिन की जरूरत बढ़ाने, खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम अग्रिम में लेने और साप्ताहिक निपटान प्रति एक्सचेंज एक बेंचमार्क तक सीमित करना शामिल है। पोजीशन लिमिट पर इंट्राडे के आधार पर नजर रखने तथा निपटान के दिन के लिए अलग कैलेंडर की व्यवस्था खत्म करने के उपाय भी किए गए हैं।

बाजार नियामक के अध्ययन के अनुसार पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान 93 फीसदी से ज्यादा खुदरा निवेशकों को वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट में कुल 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रिजर्व बैंक और मुख्य आ​र्थिक सलाहकार सहित कई वित्तीय नियामकों और प्रतिभागियों ने एफऐंडओ क्षेत्र में घरेलू घाटे पर चिंता जताई थी।

सेबी ने जुलाई में प्रस्तावित उपायों पर परामर्श पत्र जारी किया था। खुदरा भागीदारी के लिए प्रवेश सीमा बढ़ाने का उपाय चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिसमें छह में से तीन बदलाव 20 नवंबर से प्रभावी होंगे।

सेबी के ताजा उपायों में कहा गया है कि बाजार में पेश करते समय डेरिवेटिव अनुबंध का मूल्य 15 लाख रुपये से कम नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही लॉट का आकार इस तरह से तय किया जाएगा कि वह 15 लाख से 20 लाख रुपये के बीच रहे। 9 साल में पहली बार अनुबंध के आकार में बदलाव किया गया है।

साप्ताहिक निपटानको प्रति एक्सचेंज एक बेंचमार्क तक सीमित करने पर सेबी ने कहा कि निपटान के दिन सूचकांक विकल्पों में ज्यादा ट्रेडिंग से निवेशकों की सुरक्षा और बाजार स्थिरता पर प्रभाव पड़ता है और पूंजी निर्माण की दिशा में कोई स्पष्ट लाभ नहीं होता है।

इंट्राडे में बेजा लाभ से बचने के लिए ब्रोकरों को अब ऑप्शन खरीदारों से प्रीमियम का भुगतान अग्रिम में लेना होगा। इसके साथ ही सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश दिया है कि वह इ​क्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव के पोजीशन लिमिट पर इंट्राडे के आधार पर नजर रखें। एक्सचेंज पर यह व्यवस्था अप्रैल 2025 से लागू होगी। शॉर्ट पोजीशन अनुबंधों पर सेबी ने 20 नवंबर से 2 फीसदी का अतिरिक्त अत्यधिक नुकसान मार्जिन लगाने का भी निर्णय किया है।

First Published - October 1, 2024 | 10:00 PM IST

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