Capital Gains Tax: विदेशी निवेशक ब्राजील, मैक्सिको, सऊदी अरब और उज्बेकिस्तान जैसे इमर्जिंग मार्केट्स समेत कई देशों में कैपिटल गेन पर 20 फीसदी या उससे ज्यादा टैक्स का भुगतान करते हैं। टैक्स कंसल्टेंसी नेटवर्क PwC के मुताबिक, इन देशों में नॉन-रेजिडेंट कॉरपोरेट निवेशकों (non-resident corporate investors) के लिए कैपिटल गेन टैक्स की दरें 20 फीसदी से 35 फीसदी के बीच होती हैं।
भारत में कैपिटल गेन टैक्स की वजह से विदेशी निवेशकों की बिकवाली बढ़ी है या नहीं, इस पर लगातार बहस हो रही है। दरअसल, Helios Capital के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर समीर अरोड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड मंथन समिट 2025 में कहा, “सरकार की सबसे बड़ी गलती, जिसने निवेशकों के सेंटीमेंट को नुकसान पहुंचाया, वह भारत में खासकर विदेशी निवेशकों के लिए कैपिटल गेन टैक्स है। यह 100 फीसदी गलत है।”
उन्होंने आगे कहा, “दुनिया और भारत में सबसे बड़े निवेशक विदेशी सॉवरेन फंड्स, पेंशन फंड्स, यूनिवर्सिटीज और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) हैं। इनकी पूंजीगत आय (capital gains) पर टैक्स लगाना, खासकर तब जब उन्हें अपने देश में टैक्स छूट (tax set-off) नहीं मिलती और उन्हें फॉरेक्स से जुड़े रिस्क का सामना करना पड़ता है, सरकार की एक बड़ी गलती है।”
भारत में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स 12.5 फीदी है। जबकि, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स 20 फीसदी की दर से लगता है। इसके अलावा, इस पर अतिरिक्त सरचार्ज और सेस (surcharge and cess) भी लागू होते हैं। कुछ द्विपक्षीय संधियों (treaty exemptions) के तहत टैक्स में छूट मिल सकती है।
वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 1,39,757 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली (net selling) की है। FY22 में विदेशी निवेशकों की सबसे ज्यादा बिकवाली (1,40,010 करोड़ रुपये) दर्ज की गई थी। जनवरी 2025 से अब तक की कुल बिकवाली 1,29,290 करोड़ रुपये रही है। बाजार में गिरावट की बड़ी वजह धीमी अर्निंग्स ग्रोथ और हाई वैल्यूएशन रहे।
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal Financial Services- MOFSL) की ‘Bulls & Bears’ रिपोर्ट (मार्च 2025) के मुताबिक, FY25 के पहले नौ महीनों में Nifty-50 का नेट प्रॉफिट (PAT) ग्रोथ मात्र 4% रही। जबकि, FY20-24 के दौरान यह 20%+ CAGR थी। FY26 के लिए Nifty-50 की अनुमानित रेवेन्यू ग्रोथ 15% और MOFSL यूनिवर्स की 19 फीसदी रहने की उम्मीद है। हालांकि, मौजूदा मैक्रो-माइक्रो आर्थिक हालातों को देखते हुए ये वैल्यूएशन हाई माने जा रहे हैं और इसमें और गिरावट आ सकती है। इसका मतलब कि FY26 के लिए कॉरपोरेट आय अनुमानों में गिरावट आ सकती है।