Bank Shares: शेयर बाजार में रिजल्ट सीजन एक बार फिर शुरू हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1FY26) के लिए गुरुवार से कंपनियों के नतीजे आने शुरू हो गए। ब्रोकरेज हाउस नतीजों से पहले अलग-अलग सेक्टर पर प्रीव्यू जारी कर रहे हैं। ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज (Emkay Global) ने बैंकिंग और एनबीएफसी सेक्टर सेक्टर (BFSI-Banks Report) रिपोर्ट जारी की है। ब्रोकरेज का कहना है कि पहली तिमाही में प्राइवेट सेक्टर बैंकों (Private Banks) की कमाई सुस्त रह सकती है। इसके उलट, सरकारी बैंकों (Public Sector Banks) की परफॉर्मेंस प्राइवेट बैंकों के मुकाबले बेहतर रह सकती है। रिपोर्ट में रिजल्ट से पहले एमके ने निवेशकों ने SBI, HDFC Bank, ICICI Bank समेत 8 स्टॉक्स को टॉप पिक बनाया है।
एमके ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक, Q1FY26 में प्राइवेट सेक्टर बैंकों की कमाई सुस्त रह सकती है। इसकी बड़ी वजह कमजोर क्रेडिट ग्रोथ और रेपो रेट में आक्रामक कटौती के चलते मार्जिन में आई तेज गिरावट है। इसके उलट, पब्लिक सेक्टर बैंकों की परफॉर्मेंस अपेक्षाकृत बेहतर रहने की संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके मार्जिन पर असर कम पड़ा है और उन्हें ट्रेजरी गेन से फायदा मिल सकता है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, क्रेडिट ग्रोथ करीब 10 फीसदी (YoY) पर सीमित रही जबकि डिपॉजिट ग्रोथ 11 फीसदी (YoY) रही। इस कमजोर रफ्तार और ब्याज दरों में कटौती के चलते प्राइवेट बैंकों के मार्जिन में 5–20 बेसिस पॉइंट (QoQ) गिरावट आई है, जिसमें बड़े बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
ब्रोकरेज का कहना है कि एक्सिस बैंक (Axis Bank) और इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) जैसे बैंक कमजोर मार्जिन और बढ़े हुए क्रेडिट कॉस्ट से प्रभावित होंगे। वहीं, ICICI Bank, Indian Bank, SBI, और KVB को पॉजिटिव आउटलुक के तौर पर देखा गया है। SBI Cards में APR बढ़ाने और कम फंडिंग कॉस्ट की वजह से मार्जिन में सुधार की उम्मीद है।
एमके की रिपोर्ट का कहना है कि कर्नाटक और तमिलनाडु में हालिया अध्यादेशों के चलते MFI (Microfinance Institutions) में संकट खड़ा हो गया है। इससे NBFC-MFIs और जिन बैंकों की MFI में उच्च हिस्सेदारी है, उनके लिए LLP (Loan Loss Provision) बढ़ा रह सकता है।
हालांकि क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में तनाव कम हो रहा है, लेकिन चार्ज-ऑफ बढ़ने से LLP ऊंचा रहेगा। कॉरपोरेट एसेट क्वालिटी स्थिर बनी हुई है। इसलिए एनपीए में तेज उछाल की संभावना कम है। हालांकि एग्री/केसीसी (KCC) में स्लिपेज सीजनल ट्रेंड के चलते ज्यादा रह सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पहली तिमाही में क्रेडिट कार्ड होल्डर्स की संख्या (CIF) में केवल 9 फीसदी (YoY) ग्रोथ रही, जो नए इश्यू में गिरावट है। लेकिन खर्च में 15 फीसदी (YoY) ग्रोथ रही। HDFC Bank की मार्केट हिस्सेदारी बढ़कर 21.8 फीसदी हुई जबकि ICICI, Axis, और RBL की हिस्सेदारी घटी है। RBL में गिरावट उसकी बजाज फाइनेंस (Bajaj Finance) के साथ पार्टनरशिप खत्म होने के बाद आए स्ट्रैटेजिक बदलाव का नतीजा है।
एमके की रिपोर्ट का कहना है कि पहली छमाही (H1FY26) में ग्रोथ और मार्जिन पर दबाव रहेगा। इसलिए ऐसी कंपनियां जिनकी अर्निंग्स फ्लैक्सिबल है उनमें निवेश करना बेहतर रहेगा। एमके ने जिन बैंकों को टॉप पिक के तौर पर चुना है, उनमें HDFC Bank, ICICI Bank, SBI, RBL Bank, KVB, Ujjivan Small Finance Bank, Indian Bank, और SBI Cards शामिल हैं। ब्रोकरेज ने उज्जीवन और RBL को एसेट क्वालिटी में सुधार की संभावना के चलते खास मौका बताया है।
रिपोर्ट का कहना है कि नए गवर्नर ने मॉनेटरी पॉलिसी में आक्रामक रुख अपनाते हुए रेपो रेट में 100bps (1 फीसदी) की कटौती कर 5.5% कर दिया है। कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) को 100bps घटाकर 3 फीसदी कर दिया है। हालांकि इससे ग्रोथ को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन मार्जिन पर खासकर फ्लोटिंग रेट लोन में दबाव बढ़ेगा। H2FY26 में CRR कटौती से लिक्विडिटी सपोर्ट मिलने की उम्मीद है और इससे मार्जिन में कुछ स्थिरता आ सकती है।
एमके का कहना है कि मार्जिन में तिमाही आधार पर (QoQ) गिरावट 5–20bps रह सकती है। इसमें बड़े प्राइवेट बैंक अधिक प्रभावित होंगे। पब्लिक सेक्टर बैंक को तुलनात्मक रूप से कम दबाव झेलना पड़ेगा। IDFC First Bank, City Union Bank, SBI, और जिन बैंकों की MFI में भागीदारी ज्यादा है, वे इस दबाव से बचे रह सकते हैं। SBI Cards में मार्जिन में सुधार की उम्मीद है।
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक्स में खरीदारी की सलाह ब्रोकरेज ने दी है। बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)