भारतीय मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने आज यानी 7 मार्च को इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म JM Financial पर कड़ा रुख अपनाते हुए किसी भी पब्लिक इश्यू के लीड मैनेजर के रूप में काम करने से रोक लगा दी है। JM Financial Limited अब डेट सिक्योरिटीज के किसी भी पब्लिक इश्यू के लिए लीड मैनेजर के रूप में काम नहीं कर सकेगी। सेबी की तरफ से यह कदम अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस में शामिल होने की वजह से उठाया गया।
SEBI ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, जेएम फाइनैंशियल उन डेट सिक्योरिटीज के पब्लिक इश्यू में 60 दिन के लिए लीड मैनेजर के रूप में काम कर सकती है, जो उसके पास मौजूदा समय में हैं।
SEBI ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, जेएम फाइनैंशियल उन डेट सिक्योरिटीज के पब्लिक इश्यू के लिए 60 दिनों तक लीड मैनेजर के रूप में काम कर सकती है, जिसके लिए उसके पास पहले से मैंडेट मिला हुआ है। दूसरी भाषा में कहें तो अगर इस इन्वेस्टमेंट बैंक के पास कोई नई कंपनी बॉन्ड लेकर आती है तो उसके लिए यह लीड मैनेजर के तौर पर काम नहीं कर सकेगी। वहीं, जिन कंपनियों ने इसे पहले ही लीड मैनेजर के तौर पर चुन लिया है, उनके लिए यह 60 दिनों तक बॉन्ड मैनेज करेगी।
SEBI की तरफ से यह कार्रवाई डेट के पब्लिक इश्यू के मैनेजमेंट के दौरान JM Financial Ltd और इसकी गैर-बैंक वित्त कंपनी (NBFC) की प्रारंभिक जांच के बाद हुई।
सेबी ने अपने आदेश में कहा कि JM Financial ने इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स को पब्लिक डेट इश्यू में निवेश करने के लिए फंड दिया, साथ ही उन्हें लिस्टिंग के दिन मुनाफे के साथ एग्जिट करने का भरोसा भी दिलाया।
सेबी ने कहा, ‘JM Financial की NBFC ने न सिर्फ इन निवेशकों को फंडिग किया, बल्कि फंडेड निवेशकों से पूरा अलॉटमेंट ही हासिल कर लिया और बाद में उसी दिन इन निवेशकों से हासिल की गई सिक्योरिटीज का एक बड़ा हिस्सा घाटे में बेच दिया।’
रेगुलेटर ने कहा कि जेएम फाइनैंशियल और उसके साथ जुड़ी समूह की इकाइयों ने प्रथम दृष्टया (Prima Facie) लाभ के साथ कुछ निवेशकों को एक सुनिश्चित बाहर निकलने का रास्ता दिया था और उन्हें रेगुलेटरी आदेशों का उल्लंघन करके पब्लिक इश्यू में आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले दिनों 5 मार्च को JM Financial Products Limited पर शेयरों और डिबेंचरों के एवज में किसी भी तरह का फंडिंग करने से तत्काल रोक लगा दी थी जिसमें IPO पर डेट की मंजूरी और डिस्ट्रीब्यूशन भी शामिल है। इस पाबंदी में शेयरों के IPO के साथ-साथ डिबेंचर पर कर्ज की स्वीकृति और वितरण भी शामिल है।