भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) डेरिवेटिव बाजार का इस्तेमाल करने से प्रतिबंध लगाकर पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) या ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआई) के संबंध में नियम सख्त बनाने की योजना बना रहा है। मौजूदा समय में पी-नोट्स सिर्फ हेजिंग के मकसद से ही डेरिवेटिव बाजार का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा, बाजार नियामक ने पी-नोट्स के लिए लाभार्थी मालिकों (बीओ) से जुड़ी जानकारी देना अनिवार्य करने का प्रस्ताव भी रखा है, जो मौजूदा समय में केवल एफपीआई को ही देनी होती है। पी-नोट्स जारी करने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अलग से पंजीकरण अनिवार्य करने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
यह कदम नियामक आर्बिट्रेज को रोकने के लिए है जो पी-नोट्स और अलग-अलग पोर्टफोलियो मार्ग अपनाने वालों और विनियामक एफपीआई मार्ग के बीच मौजूद है। साथ ही, ओडी द्वारा डेरिवेटिव के उपयोग के दौरान लेवरेज के कई स्तरों के बारे में चिंताओं को दूर करना है, भले ही वह केवल हेजिंग उद्देश्यों के लिए हो।
पी-नोट्स एक प्रकार के ओडीआई वित्तीय विकल्प हैं जिनका उपयोग हेज फंडों द्वारा भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए किया जाता है। हालांकि, ओडीआई जारी करने के लिए एक अलग खाते का उपयोग करने के लिए कोई समान व्यवस्था नहीं है।
मंगलवार को जारी परामर्श पत्र में बाजार नियामक ने ओडीआई जारीकर्ताओं के लिए मौजूदा छूट समाप्त करने का भी प्रस्ताव रखा है। सूत्रों ने बताया कि अगर डेरिवेटिव पर प्रतिबंध लागू होता है तो इससे 3,000 करोड़ रुपये के शेष निवेश पर असर पड़ सकता है।