भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने 3 जुलाई को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से यह अनिवार्य कर दिया है कि ESG (पर्यावरण, सामाजिक, प्रशासनिक) रेटिंग सेवा प्रदाता (प्रोवाइडर) कंपनियों को 6 महीने में नियामक से प्रमाणन लेना होगा।
बाजार नियामक ने उनकी नेटवर्थ और कार्यों के आधार पर रेटिंग कंपनियों के लिए दो श्रेणियां बनाई हैं।
भारत से बाहर मौजूद, लेकिन भारतीय कंपनियों के लिए ESG रेटिंग जारी कर रहे और देश में उपयोगकर्ता आधार से जुड़े ESG रेटिंग प्रोवाइडर्स (ERP) को भी अब नए नियमों पर अमल करने की जरूरत होगी।
अब तक, भारत में ERP के लिए कोई अलग नियम नहीं थे। विश्लेषकों का मानना है कि निर्धारित ढांचा पक्षपातपूर्ण रेटिंग रोकेगा और सुनिश्चित करेगा कि प्रणालियां पारदर्शी, व्यावहारिक, सटीक और भारतीय व्यवस्था के अनुरूप हों।
डेलॉयट साउथ एशिया में क्लाइमेट चेंज ऐंड सस्टेनेबिलिटी लीडर (कंसल्टिंग) शैलेश त्यागी ने कहा, ‘यह नियम खासकर सरकारी उद्यमों के लिए मददगार साबित हो सकता है। भारतीय कंपनियां काफी प्रयास कर रही हैं, जिसके बावजूद वे अपने यूरोपीय समकक्षों के मुकाबले कम अंक पाती हैं, क्योंकि उनमें स्कोरिंग मेथोडोलॉजी, भारतीय परिवेश और रेटिंग प्रदाताओं से नीतियों के बारे में समझ का अभाव है।’
जहां कैटेगरी-1 ERP द्वारा न्यूनतम नेटवर्थ 5 करोड़ रुपये बरकरार रखने की जरूरत है, वहीं कैटेगरी-2 ईआरपी को हर समय इसे 20 लाख रुपये पर बनाए रखना होगा। हालांकि आवेदन के समय, यह जरूरत ज्यादा है।
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कैटेगरी-2 ESG रेटिंग प्रोवाइडर्स को ग्रीन डेट प्रतिभूतियों (green debt securities ) का प्रमाणीकरन (certification) करने से प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन उन्हें कार्यालय स्पेस, कर्मचारियों की संख्या और अनुभव की पात्र शर्तों में कुछ ढील दी गई है।
इसके अलावा, ERP के प्रमोटर को पंजीकरण की तारीख से कम से कम पांच साल तक 26 प्रतिशत की न्यूनतम शेयरधारिता बनाए रखने की जरूरत होगी।
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नए ढांचे के तहत, ERP को ESG रेटिंग को छोड़कर कोई उत्पाद या सेवा की पेशकश से प्रतिबंधित किया गया है।
लक्ष्मीकुमारन ऐंड श्रीधरन में पार्टनर आशिष फिलिप अब्राहम ने कहा, ‘यह सख्ती रेटिंग में हितों के टकराव से बचने के लिए की गई है। इससे रेटिंग प्रदाता पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलेगी, जिससे कि वह परामर्श सेवाओं, इंडेक्स सॉल्युशन आदि जैसी अन्य सेवाओं में लिप्त न हो। नए ढांचे में स्वतंत्र रेटिंग सेवा प्रदाताओं द्वारा अपनाए जाने वाले तरीकों में पारदर्शिता लाने पर भी जोर दिया गया है।’
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सेबी ने ERP द्वारा किसी अन्य ESG रेटिंग संस्था में 10 प्रतिशत से ज्यादा शेयरधारिता रखने पर भी प्रतिबंध लगाया है।