सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) मार्केट में हालिया सख्ती के नतीजे अब सामने आने लगे हैं। SEBI की एक ताजा स्टडी के मुताबिक, दिसंबर 2024 से मई 2025 के बीच F&O सेगमेंट में यूनिक ट्रेडर्स की संख्या 20 फीसदी घटी है। पिछले साल इसी अवधि में जहां 83 लाख ट्रेडर्स थे, वहीं अब यह संख्या 67 लाख रह गई है। इसके साथ ही, व्यक्तिगत निवेशकों का टर्नओवर भी 11 फीसदी कम होकर 56,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले साल 62,700 करोड़ रुपये था।
SEBI ने अपनी स्टडी में बताया कि छोटे ट्रेडर्स, जिनका टर्नओवर 10 लाख रुपये से कम है, उनकी संख्या में सबसे ज्यादा कमी आई है। वहीं, 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये के बीच टर्नओवर वाले ट्रेडर्स में केवल 4 फीसदी की गिरावट देखी गई। इस बीच, व्यक्तिगत निवेशकों के नुकसान में भी बड़ा इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2025 में प्रति व्यक्ति औसत नुकसान 41 फीसदी बढ़कर 1.1 लाख रुपये हो गया, जो पिछले साल 86,728 रुपये था। स्टडी में यह भी खुलासा हुआ कि 91 फीसदी व्यक्तिगत ट्रेडर्स को इस साल F&O में नुकसान उठाना पड़ा। बढ़ते नुकसान को भी ट्रेडर्स की संख्या में कमी की एक वजह माना जा रहा है।
SEBI ने नवंबर 2024 से F&O मार्केट में कई बदलाव लागू किए। जनवरी से साप्ताहिक इंडेक्स डेरिवेटिव्स और फरवरी से मासिक इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज को बढ़ाया गया। इसके अलावा, साप्ताहिक इंडेक्स डेरिवेटिव्स की संख्या सीमित की गई, ऑप्शन प्रीमियम की पहले से वसूली अनिवार्य की गई। इसके साथ ही एक्सपायरी डे पर कैलेंडर स्प्रेड ट्रीटमेंट को खत्म कर दिया गया। इन कदमों का मकसद F&O मार्केट में जोखिम को कम करना और रिटेल ट्रेडर्स को भारी नुकसान से बचाना था। SEBI पहले भी डेरिवेटिव्स मार्केट के जोखिमों को लेकर निवेशकों को आगाह कर चुकी है।
हालांकि, इन बदलावों के बावजूद भारतीय एक्सचेंज वैश्विक स्तर पर कॉन्ट्रैक्ट्स ट्रेडिंग में शीर्ष पर बने हुए हैं। SEBI की स्टडी के अनुसार, भारतीय एक्सचेंजों पर ट्रेड किए गए कॉन्ट्रैक्ट्स की औसत संख्या दूसरे नंबर की एक्सचेंज से 4.3 गुना ज्यादा है। कुल मिलाकर, इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में दैनिक औसत टर्नओवर 2.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल 2.55 लाख करोड़ रुपये था। कैश मार्केट में भी टर्नओवर 11 फीसदी घटकर 1.05 लाख करोड़ रुपये हो गया।