क्लाइंटों से ब्रोकरों के मार्जिन संग्रह के नए नियमों के क्रियान्वयन की समयसीमा बाजार नियामक सेबी ने बढ़ा दी है। नियामक ने शुक्रवार को एक परिपत्र में कहा, शॉर्ट कलेक्शन, नकदी में अग्रिम मार्जिन का संग्रह न किए जाने से संबंधित जुर्माने का प्रावधान 1 सितंबर, 2020 से लागू होगा। पहले के परिपत्र के मुताबिक, नया नियम 1 अगस्त से लागू होना था।
इसके अलावा नियामक ने मार्जिन संग्रह के नियमों को भी नरम बनाया है। सेबी ने कहा, अगर कोई ट्रेडिंग/क्लियरिंग मेंबर क्लाइंटों से वीएआर व ईएलएम के बदले न्यूनतम 20 फीसदी अग्रिम मार्जिन संग्रह करता है तो शॉर्ट कलेक्शन या मार्जिन का संग्रह न होने पर जुर्माना लागू नहीं होगा। हालांकि दोहराया गया है कि क्लियरिंग कॉरपोरेशन वीएआर व ईएलएम के आधार पर ट्रेडिंग/क्लियरिंग मेंबर से अग्रिम मार्जिन संग्रह जारी रख सकते हैं।
वीएआर का मतलब जोखिम मार्जिन पर कीमत से है और ईएलएम का मतलब है एक्सट्रीम लॉस मार्जिन। यह अलग-अलग शेयरों में अलग-अलग होता है और किसी खास शेयर में क्लाइंटों को सौदा करने के लिए मार्जिन वसूलने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
20 जुलाई के परिपत्र में सेबी ने कहा था कि ब्रोकरों का अग्रिम मार्जिन अगस्त 2021 से तीन चरणों में वीएआर व ईएलएम का 70 फीसदी बढ़ाया जाएगा। कई ब्रोकरों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा था कि मार्जिन संग्रह के सख्त नियमों से उधारी पर इंट्रा-डे कारोबार बंद हो जाएगा।
सैमको गग्रुप के संस्थापक व मुख्य कार्याधिकारी जिमित मोदी ने कहा, आने वाले समय में ब्रोकर वीएआर व ईएलएम से ऊपर इंट्रा-डे मार्जिन की पेशकश नहीं कर पाएंगे। इससे इंट्रा-डे टर्नओवर में भारी कमी आएगी, जो कुल टर्नओवर का करीब 90 फीसदी होता है। अतिरिक्त इंट्रा-डे मार्जिन उपलब्ध कराए जाने से मार्जिन पेनल्टी लग सकती है।
मोदी ने कहा, करीब एक तिहाई टर्नओवर ब्रोकरों की तरफ से दी जाने वाली अतिरिक्त उधारी के जरिए आता है। उन्होंने कहा कि सेबी की सख्ती से ट्रेडिंग टर्नओवर 20 फीसदी तक घट सकता है।
उद्योग निकाय एएनएमआई ने एक्सचेंजों, सेबी और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर नियमों के सरलीकरण की मांग की थी। सेबी ने कहा है कि शुक्रवार को दी गई राहत निवेशकों, टीएम/सीएम और स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशंस के अनुरोध को ध्यान में रखकर दी गई है।