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SEBI ने FPI के लिए निवेश खुलासे की लिमिट बढ़ाई, नए चेयरमैन के नेतृत्व में लिए कई बड़े फैसले

यह फैसला मुंबई में हुई SEBI बोर्ड मीटिंग में लिया गया जो कि नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे के नेतृत्व में पहली मीटिंग थी।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- March 24, 2025 | 6:37 PM IST

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सोमवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए ग्रैन्युलर ओनरशिप डिस्क्लोजर की सीमा को बढ़ा दिया है। अब तक यह सीमा ₹25,000 करोड़ थी, जिसे बढ़ाकर ₹50,000 करोड़ कर दिया गया है। यानी अब जिन FPI का निवेश ₹50,000 करोड़ से ज़्यादा होगा, उन्हें अपने मालिकाना हक से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी देनी होगी। SEBI का मानना है कि इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और निवेशकों पर अनुपालन का बोझ भी कम होगा।

यह फैसला मुंबई में हुई SEBI बोर्ड मीटिंग में लिया गया जो कि नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे के नेतृत्व में पहली मीटिंग थी।

और क्या-क्या फैसले हुए?

  • SEBI ने सिर्फ FPI के नियमों में ही बदलाव नहीं किया, बल्कि कई और अहम फैसले लिए:
  • AIFs (ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स) के लिए डेट सिक्योरिटीज में निवेश करने के नियम आसान किए गए।
  • मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MIIs) में पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर्स (PID) और सीनियर अफसरों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव किए गए।
  • इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट्स के लिए फीस कलेक्शन के नियमों में भी थोड़ी राहत दी गई।

कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट पर हाई लेवल कमिटी बनेगी

SEBI ने यह भी फैसला लिया है कि बोर्ड और उसके सीनियर अधिकारियों में हितों के टकराव (Conflict of Interest) को लेकर मौजूदा नियमों की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए एक हाई लेवल कमिटी (HLC) बनाई जाएगी, जिसमें अनुभवी और विशेषज्ञ लोग शामिल होंगे। यह कमिटी अगले तीन महीनों में अपनी सिफारिशें देगी, जिन्हें SEBI बोर्ड के सामने रखा जाएगा। SEBI का कहना है कि इस कदम से पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता के उच्च मानक कायम रहेंगे।

First Published : March 24, 2025 | 6:33 PM IST