प्रोप्राइटरी फर्म जेन स्ट्रीट पर सेबी की कार्रवाई के बाद शुक्रवार को ब्रोकरेज और मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस (एमआईआई) कंपनियों के शेयरों में बिकवाली का दबाव आया। कमजोरी की वजह यह चिंता थी कि वायदा और विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट की प्रमुख प्रतिभागी अमेरिकी फर्म पर प्रतिबंध लगने से वॉल्यूम में और गिरावट आएगी जो पहले ही अपने सर्वोच्च स्तर से 30 फीसदी से अधिक कम हो चुका है।
एमआईआई श्रेणी में बीएसई का शेयर 6.5 फीसदी टूटकर 2,639 रुपये पर आ गया जबकि सीडीएसएल का शेयर करीब 2.5 फीसदी गिरकर 1,763 रुपये रह गया। इस बीच, जेन स्ट्रीट की स्थानीय ट्रेडिंग पार्टनर नुवामा वेल्थ का शेयर करीब 11 फीसदी टूट गया। अन्य ब्रोकरेज फर्मों मसलन ऐंजल वन, मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज और 5पैसा के शेयरों में 1 से 6 फीसदी तक की गिरावट आई।
जीरोधा के संस्थापक नितिन कामत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, जेन स्ट्रीट जैसी प्रॉप ट्रेडिंग फर्म का ऑप्शन ट्रेडिंग वॉल्यूम में करीब 50 फीसदी हिस्सा है। अगर वे हटते हैं (जिसकी संभावना है) तो खुदरा गतिविधियां (35 फीसदी) भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए यह एक्सचेंज और ब्रोकर दोनों के लिए बुरी खबर हो सकती है। कामत ने यह भी कहा कि अगले कुछ दिन यह बता देंगे कि एफऐंडओ वॉल्यूम पर ऐसे दिग्गज की निर्भरता का क्या असर हो सकता है।
सितंबर में 537 लाख करोड़ रुपये के शिखर से इक्विटी वायदा और विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट में रोजाना का औसत कारोबार 35 फीसदी घटकर 346 लाख करोड़ रुपये रह गया है। बाजार में हेरफेर और अत्यधिक सट्टेबाजी रोकने के लिए सेबी की नियामकीय सख्ती के बीच यह गिरावट आई है।
एनएसई मार्केट पल्स के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 26 में डेरिवेटिव मार्केट में अल्गोरिद्म ट्रेडिंग का योगदान 69 फीसदी से अधिक रहा जबकि कैश मार्केट वॉल्यूम 55 फीसदी रहा। वित्त वर्ष 24 के सेबी के आंकड़ों के अनुसार सेबी के साथ पंजीकृत 11,219 एफपीआई में से केवल 2.5 फीसदी ही अल्गो ट्रेडिंग में लगे हुए थे। जेन स्ट्रीट ऐसे छोटे सेगमेंट का एक हिस्सा है।
बाजार नियामक ने जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया है और 4,843.5 करोड़ रुपये के कथित अवैध लाभ को जब्त करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश दिया गया है कि वे समूह के किसी भी भावी सौदे और स्थिति पर निरंतर निगरानी रखें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी प्रकार की हेरफेर वाली गतिविधियों में लिप्त न हों। बाजार नियामक ने इकाइयों को अपनी ओपन पोजीशन की बिकवाली के लिए तीन महीने का समय दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि फरवरी में सेबी के कहने पर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने जेन स्ट्रीट को एक चेतावनी नोटिस दिया और उसे बड़ी पोजीशन लेने और कुछ खास ट्रेडिंग पैटर्न से दूर रहने को कहा गया। नोटिस के बाद ट्रेडिंग फर्म ने कुछ हफ्तों के लिए ट्रेडिंग रोक दी थी। सूत्रों ने कहा कि उस अवधि में वॉल्यूम में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई जिससे संकेत मिलता है कि प्रतिबंध के कारण वॉल्यूम पर असर सीमित हो सकता है।
एक अन्य सूत्र ने कहा, अगर बाजार केवल एक ही प्रतिभागी पर निर्भर है तो यह इकोसिस्टम के लिए सही संकेत नहीं है। कुल मिलाकर वॉल्यूम बरकरार रहने चाहिए।