डीलोजिक के आंकड़ों को माना जाए तो 2008 ऋण प्रदाता कंपनियों के लिए काफी अच्छा रहा।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र की इन कंपनियों की इन्वेस्टमेंट ग्रेड बॉरोइंग पिछले साल की तुलना में दोगुना ज्यादा ज्यादा रही। इस तरह के सौदों में एसबीआई कैपिटल एशिया प्रशांत क्षेत्र में नौवां सबसे बड़ा उभरता हुआ बुक-रनर है।
इनवेस्टमेंट ग्रेड लोन का कुल वॉल्यूम जिसमें ऊंची क्रेडिट क्वालिटी और कम से कम जोखिम वाले लोन को शामिल किया जाता है,का स्तर इस साल 128.3 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। यह अब तक का सबसे ज्यादा वाईटीडी वॉल्यूम है। आकड़ों के मुताबिक 164 अरब केनौ सौदों के साथ एसबीआई कैप जापान को छोड़कर इस तरह के सौदों के टॉप टेन में स्थान बनाने वाली एकमात्र भारतीय ईकाई है।
बैंक ऑफ चाइना लिमिटेड का 9.7 बिलियन डॉलर केसौदों के साथ इस सूची में पहला स्थान है। इसतरह वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा बुक-रनर है। बैंक ऑफ चाइना के बाद एचएसबीसी,बीएनपी परिबा, सिटी, यूबीएस, गोल्डमैनसैक्स, बार्कलेज कैपिटल, बानको सैनटैंडर एसए,एसबीआई कैप और वेस्टपैक का स्थान है। सौदों की संख्या की दृष्टि से एसबीआई कैप का नौ सौदों के साथ चौथा स्थान है।
एसबीआई से अधिक बीएनपी परिबा (15) वेस्टपैक (11) के सौदें हैं। इस भारतीय निवेशक बैंक ने 2008 में सिटी बैंक(4),बैंक ऑफ चाइना (6) से ज्यादा सौदे किए जबकि गोल्डमैन सैश, बार्कलेज कैपिटल और बानको सैनटैनडर एसए ने सिर्फ एक सौदे से इतना क्रेडिट अर्जित किया। अगर कुल इंवेस्टमेंट ग्रेड लोन सौदों में प्रतिशत हिस्सेदारी के नजरिए से देखा जाए तो एसबीआई की कुल हिस्सेदारी 3.2 फीसदी है जो वेस्टपैक की हिस्सेदारी 2.9 फीसदी से ज्यादा है।