facebookmetapixel
सोना कॉमस्टार ने दुर्लभ खनिज मैग्नेट की गुणवत्ता पर जताई चिंताअदाणी डिफेंस ऐंड एयरोस्पेस ने किया एमटीएआर टेक्नॉलजीज संग करारMSME पर ट्रंप टैरिफ का असर: वित्त मंत्रालय बैंकों के साथ करेगा समीक्षा, लोन की जरूरतों का भी होगा आकलनवैश्विक बोर्डरूम की नजर भारत पर, ऊंची हैं उम्मीदें : डीएचएल एक्सप्रेसTesla और VinFast की धीमी शुरुआत, सितंबर में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में हिस्सेदारी 1% से भी कमकंपनियां दीवाली पर कर्मचारियों और ग्राहकों को स्वादिष्ट और उपयोगी उपहार देने में दिखा रहीं बढ़त!किर्लोस्कर का औद्योगिक सुधार पर दांव, अरबों डॉलर की राजस्व वृद्धि पर नजरLokah Chapter 1: Chandra ने ₹30 करोड़ बजट में ₹300 करोड़ की कमाई की, दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ाH-1B वीजा पर निर्भर नहीं है TCS, AI और डेटा सेंटर पर फोकस: के कृत्तिवासनदूसरी तिमाही के दौरान प्रमुख सीमेंट कंपनियों की आय में मजबूती का अनुमान

Samvat 2081: नए संवत में धीमी बढ़त, घरेलू फंडों का दम होगा अहम-जिग्नेश देसाई

आम चुनाव हो चुके हैं, नीति निर्माण में निरंतरता का संकेत मिल रहा है, मुझे उम्मीद है कि संवत 2081 में तेजी बरकरार रहेगी।

Last Updated- October 28, 2024 | 10:08 PM IST
Corporate bond FPI investment India

Samvat 2081: एक साल बाद बाजार फिर नए संवत में प्रवेश कर रहा है। मौजूदा संवत में मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों ने बड़े शेयरों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है।

सेंट्रम ब्रोकिंग में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के मुख्य कार्याधिकारी जिग्नेश देसाई ने मुबई में पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में इस पर चर्चा की कि किस तरह से लार्जकैप क्षेत्र में कुछ-कुछ शेयर निवेशकों को लगातार आकर्षित करते रहेंगे। उन्होंने मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की तेजी पर भी अपना नजरिया बताया। बातचीत के अंश:

अगले संवत में बाजार की चाल कैसी रहेगी? क्या भारतीय बाजारों की आगे की राह को देखते हुए आपके संस्थागत ग्राहक निवेश के लिए तैयार हो रहे हैं?

भारतीय बाजारों ने पिछले दो साल के दौरान मजबूत तेजी देखी है। आम चुनाव हो चुके हैं, नीति निर्माण में निरंतरता का संकेत मिल रहा है, मुझे उम्मीद है कि संवत 2081 में तेजी बरकरार रहेगी, हालांकि इसकी रफ्तार कुछ नरम रह सकती है। निवेशकों के पास पर्याप्त पूंजी मौजूद है। जहां विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ताजा तेजी के बाद चुनिंदा हो गए हैं, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) निवेश के लिए हमेशा नए आइडिये की तलाश में रहते हैं और यह बाजारों के लिए महत्वपूर्ण होगा।

अगर बाजार को यहां से और बढ़ना है तो आपके अनुसार कौन से शेयर इसकी अगुआई करेंगे? कौन से क्षेत्र परेशानी का सबब बन सकते हैं?

भारतीय बाजार घरेलू निवेश पर निर्भर हो रहे हैं। हमारा मानना है कि ब्याज दरों से जुड़े शेयर अच्छा प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि ब्याज दरें घटने का अनुमान है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शेयरों और सोलर एवं अक्षय ऊर्जा जैसे खास क्षेत्रों के शेयरों में सीमित तेजी देखी जा सकती है।

क्या यह मिडकैप और स्मॉलकैप पर ध्यान देने का सही समय है?

पिछले कुछ वर्षों से लार्जकैप शेयर पसंदीदा बने हुए हैं। हालांकि कुछ खास शेयर आकर्षक बने रहेंगे, लेकिन हमें अगले दो से तीन साल में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में तेजी का अनुमान है, जिसमें बीच-बीच में गिरावट आने पर खरीदारी के मौके मिल सकते हैं। हालांकि इन सेगमेंट में निवेशकों को चुनिंदा शेयरों को चुनने की जरूरत है क्योंकि यह सबमें आने वाली तेजी नहीं होगी।

मूल्यांकन को छोड़ दें तो भारतीय बाजारों को लेकर एफआईआई की मुख्य चिंताएं क्या हैं? क्या उनका बढ़ता हुआ पैसा अब चीन या अन्य बाजारों में जाएगा?

हां, मूल्यांकन न केवल एफआईआई के लिए बल्कि घरेलू फंडों के लिए भी स्पष्ट चिंता का विषय है। जहां घरेलू फंड शेयर-केंद्रित अवसरों पर ध्यान देना जारी रखेंगे वहीं एफआईआई अधिक उचित मूल्यांकन मिलने पर अन्य जगह की ओर भी देख सकते हैं।

मूल्यांकन के अलावा सरकारी खर्च में हालिया सुस्ती चिंता का विषय है जो कायदे से 2024-25 (वित्त वर्ष 2025) की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़नी चाहिए क्योंकि सरकार को इस वित्त वर्ष के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये के अपने पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने की जरूरत है। चीन के कई प्रोत्साहन पैकेज पेश किए जाने से वह एफआईआई निवेश को आकर्षित कर सकता है।

जुलाई-सितंबर तिमाही की कॉरपोरेट आय के लिए आपकी क्या उम्मीदें हैं? क्या निराशा की गुंजाइश है और यदि हां, तो किन क्षेत्रों से?

वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही की आय मिलीजुली रहेगी। लेकिन इससे बहुत ज्यादा निराशा नहीं होना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है। बैंकिंग, फार्मा और औद्योगिक को मजबूत आंकड़े दर्ज करना चाहिए। इस बीच, वाहन, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में नरम वृद्धि देखी जा सकती है क्योंकि ग्रामीण मांग को गति पकड़ना बाकी है।

ज्यादा-कम बारिश ने इस मौसम में खरीफ फसलों की पैदावार को प्रभावित किया है जिससे खाद्य कीमतों में इजाफा हो सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की गति धीमी हो सकती है। हालांकि, त्योहारी मौसम के दौरान मांग में वृद्धि के कारण इन क्षेत्रों के लिए वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही बेहतर रह सकती है।

First Published - October 28, 2024 | 10:05 PM IST

संबंधित पोस्ट