facebookmetapixel
दिवाली के बाद किस ऑटो शेयर में आएगी रफ्तार – Maruti, Tata या Hyundai?Gold Outlook: जनवरी से फिर बढ़ेगा सोना! एक्सपर्ट बोले- दिवाली की गिरावट को बना लें मुनाफे का सौदाGold ETF की नई स्कीम! 31 अक्टूबर तक खुला रहेगा NFO, ₹1000 से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसाब्लैकस्टोन ने खरीदी फेडरल बैंक की 9.99% हिस्सेदारी, शेयरों में तेजीभारत का फ्लैश PMI अक्टूबर में घटकर 59.9 पर, सर्विस सेक्टर में रही कमजोरीSIP Magic: 10 साल में 17% रिटर्न, SIP में मिडकैप फंड बना सबसे बड़ा हीरोनारायण मूर्ति और नंदन नीलेकणि ने Infosys Buyback से बनाई दूरी, जानिए क्यों नहीं बेच रहे शेयरस्टील की कीमतें 5 साल के निचले स्तर पर, सरकार ने बुलाई ‘ओपन हाउस’ मीटिंगईलॉन मस्क की Starlink भारत में उतरने को तैयार! 9 शहरों में लगेगा इंटरनेट का नया नेटवर्कट्रंप ने कनाडा के साथ व्यापार वार्ता तोड़ी, TV ad के चलते किया फैसला

IPO फीस में उछाल: छोटे इश्यू के लिए बैंकरों ने वसूली ज्यादा फीस

बैंकरों ने IPO प्रबंधन के लिए 2022 के 3 फीसदी के मुकाबले औसतन 3.2 फीसदी शुल्क लिया

Last Updated- October 18, 2023 | 11:14 PM IST
Mangal Electrical IPO

इस कैलेंडर वर्ष में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के प्रबंधन के लिए निवेश बैंकों की तरफ से वसूला जाने वाला शुल्क इश्यू के आकार का औसतन 3.23 फीसदी रहा, जो साल 2020 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। पिछले कैलेंडर वर्ष के मुकाबले शुल्क में औसतन 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई क्योंकि तब यह 2.99 फीसदी रहा था।

निवेश बैंकिंग के शुल्क में इजाफा हुआ क्योंकि इस साल इश्यू का आकार सिकुड़ा है। साल 2023 के पहले नौ महीने में 34 IPO के जरिये 26,933 करोड़ रुपये जुटाए गए, जिससे इश्यू का औसत आकार 750 करोड़ रुपये बैठता है। साल 2022 में 40 IPO के जरिये 59,302 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।

हालांकि IPO से जुटाई गई रकम पिछले साल के मुकाबले आधे से कम रही, लेकिन शुल्क कोष में महज 25 फीसदी की सिकुड़न देखी गई क्योंकि बैंकों ने ज्यादा शुल्क वसूले। इस साल का IPO शुल्क कोष 750 करोड़ रुपये रहा, जो साल 2020 के 1,000 करोड़ रुपये से कम है। यह जानकारी प्राइमरी मार्केट ट्रैकर प्राइम डेटाबेस की तरफ से संकलित आंकड़ों से मिली।

उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि इश्यू का आकार चाहे जो हो, IPO पर काम करने में मेहनत एक जैसी लगती है। इसके परिणामस्वरूप वे छोटे इश्यू के लिए प्रतिशत के लिहाज से ज्यादा शुल्क वसूलना चाहते हैं। बैंकरों ने कहा कि वे न्यूनतम शुल्क की सीमा में काम करते हैं।

इक्विरस ग्रुप के प्रबंध निदेशक और प्रमुख (इक्विटी कैपिटल मार्केट) मुनीश अग्रवाल ने कहा, अगर इश्यू का आकार छोटा होता है तो बैंकरों को न्यूनतम शुल्क के लिए शुल्क का प्रतिशत बढ़ाना पड़ता है। प्रतिशत के लिहाज से निवेश बैंकरों का शुल्क सबसे ज्यादा 7 फीसदी ग्लोबल सर्फेसेस के 155 करोड़ रुपये के IPO में रहा।

विष्णु प्रकाश पुगलिया (6.37 फीसदी), रत्नवीर प्रीसिजन (5 फीसदी), एरोफ्लेक्ट इंडस्ट्रीज (4.7 फीसदी) कुछ अन्य इश्यू हैं, जहां निवेश बैंकिंग शुल्क सबसे ज्यादा था। कुल मिलाकर बैंकरों ने मैनकाइंड फार्मा के 4,326 करोड़ रुपये के IPO प्रबंधन में सबसे ज्यादा 102 करोड़ रुपये का शुल्क हासिल किया।

सेंट्रम कैपिटल के पार्टनर (निवेश बैंकिंग) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, बड़े इश्यू में एक फीसदी शुल्क भी बड़ी रकम होती है, जो छोटे इश्यू में नहीं होती। श्रीवास्तव ने कहा, बड़े इश्यू के साथ कई निवेश बैंकर होते हैं। हर किसी की बेहतर कमाई के लिए हमें जयादा शुल्क वसूलना होता है। साथ ही बैंकरों को इस शुल्क को आंतरिक बिक्री टीम व संस्थागत ब्रोकिंग टीम के साथ साझा करना होता है।

कुछ बैंकरों ने कहा कि छोटे आकार के इश्यू में ज्यादा मेहनत लगती है क्योंकि कंपनी अपेक्षाकृत अनजान होती है और निवेशक समुदाय को समझाने में ज्यादा काम करना होता है। आने वाले समय में बैंकर IPO के लिए ज्यादा शुल्क की वसूली जारी रख सकते हैं क्योंकि छोटे आकार के IPO का वर्चस्व बने रहने की उम्मीद है।

बैंकरों ने कहा कि स्मॉल व मिडकैप के उम्दा प्रदर्शन ने निवेशकों को इन कंपनियों में मौके तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके अतिरिक्त सूचीबद्ध होने वाली लार्ज कैप कंपनियों का रिटर्न सुस्त रहा है।

First Published - October 18, 2023 | 9:41 PM IST

संबंधित पोस्ट