Markets are overvalued: विश्लेषकों का मानना है कि एनएसई निफ्टी-50, निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 समेत भारतीय शेयर बाजार मौजूदा स्तरों पर ज्यादा महंगे हैं। इतना ही नहीं, शेयरों का कारोबार अपने ऐतिहासिक मूल्यांकन के मुकाबले ज्यादा पर हो रहा है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज इंस्टीट्यूशनल रिसर्च के वरुण लोचाब और अमित कुमार के अनुसार जनवरी 2024 में निफ्टी-50 के लिए ताजा पीबी मूल्यांकन औसत ऐतिहासिक मूल्यांकन के 114 प्रतिशत पर था जिससे इसके महंगे होने का पता चलता है। जब यह अनुपात 2021-22 में 100 के पार पहुंचा और 103 को छूने में कामयाब रहा तो बाद के वित्त वर्ष 2022-23 में सूचकांक 1.8 प्रतिशत तक गिर गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘निफ्टी मिडकैप 100 इस समय अपने ऐतिहासिक पीबी मूल्यांकन के 122 प्रतिशत पर कारोबार कर रहा है। पिछला ऊंचा स्तर वित्त वर्ष 2015 में 129 प्रतिशत दर्ज किया गया था, जिसके बाद सूचकांक बाद के वित्त वर्ष 2015-16 में 4.2 प्रतिशत तक गिर गया था। सूचकांक के 67 प्रतिशत शेयरों ने अपने ऐतिहासिक मूल्यांकन से ऊपर कारोबार किया जिससे वित्त वर्ष 2015 में दर्ज किया गया 49 प्रतिशत का पिछला ऊंचा स्तर पीछे छूट गया।’
इसी तरह निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक 6.7 के पीबी पर कारोबार कर रहा है जो 2012-13 से सर्वाधिक है। उनके अनुमानों के अनुसार सूचकांक इस समय अपने ऐतिहासिक पीबी मूल्यांकन के 149 प्रतिशत पर कारोबार कर रहा है जो 2020-21 में दर्ज किए गए 125 प्रतिशत के पिछले ऊंचे स्तर से अधिक है। सूचकांक के 70 प्रतिशत शेयर अपने ऐतिहासिक मूल्यांकन के मुकाबले ऊपर कारोबार कर रहे हैं।
पिछले साल में एनएसई में मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 60 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी आई जबकि निफ्टी-50 के लिए यह आंकड़ा 23 प्रतिशत रहा। एनएसई पर रियल्टी, सीपीएसई, एनर्जी, ऑटो, ऑयल ऐंड गैस और फार्मा क्षेत्र इस दौरान दमदार प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में शामिल रहे और इनमें 55 प्रतिशत से 119 प्रतिशत के बीच तेजी आई।
कोटक सिक्योरिटीज का भी मानना है कि बाजार में पैदा हुए उत्साह के कारण फंडामेंटल्स की कीमत पर जुनूनी तेजी को बढ़ावा मिला है। विश्लेषकों का तर्क है कि बाजार बुनियादी बातों, जोखिमों और मूल्यांकन पर ध्यान दिए बिना कमजोर बिजनेस और सतही कहानियों के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार है। बड़े क्षेत्रों में सिर्फ वित्तीय क्षेत्र एकमात्र अपवाद है जहां अधिकांश शेयर उचित मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं।
पिछले दशक में मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में इस तरह के महंगे मूल्यांकन के कारण अगले एक-दो वर्षों में हमेशा ही सूचकांक में तीखी गिरावट नहीं आई। लेकिन अगले कुछ साल में प्रतिफल कमजोर रहा और तेजी भी व्यापक नहीं रही।
लोचाब और कुमार ने ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘निवेशकों के लिए यह सभी शेयरों में चयन की सही रणनीति अपनाने का समय है, क्योंकि आसान और व्यापक रिटर्न का दौर 2024-25 और 2025-26 में नहीं भी रह सकता है।’ हालांकि कोटक सिक्योरिटीज को इसी कारण से बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका नहीं लगती है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने अनिंद्य भौमिक और सुनीता बलदवा के साथ मिलकर तैयार की गई ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘भारत के अनुकूल आर्थिक हालात, अल नीनो से संभावित कमजोर मॉनसून से खपत और ग्रामीण सुधार पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि सुस्त वैश्विक परिदृश्य (कमजोर मुद्रास्पुीति और ब्याज दर) से बाजार को कुछ मदद मिल सकती है।’
शेयरों की बात करें तो एचडीएफसी सिक्योरिटीज के विश्लेषकों के पसंदीदा शेयरों में कोटक महिंद्रा बैंक, बंधन बैंक, क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज्यूमर इलेक्ट्रिकल्स, अरबिंदो फार्मा और सिटी यूनियन बैंक शामिल हैं।