बाजार में छाई मंदी से पब्लिक इश्यू की तो बुरी गत पहले ही बनी हुई है, लेकिन राइट इश्यू की हालत भी इससे ज्यादा अलग नहीं है।
इस साल जारी कई राइट इश्यू लोगों का पर्याप्त रिस्पांस पाने में असफल रहे। कई स्थितियों में खुद प्रमोटरों को अपने इश्यू को उबारने के लिए मैदान में उतरना पड़ा है। इस साल शेयर बाजार अब तक 30 फीसदी से तक गिर चुका है। निवेशक अब जोखिम लेने से कतरा रहे हैं।
बाजार के लगातार गिरने से कंपनियों के मार्केट कैप से कई अरब रुपये निकल चुके हैं। बाजार में छाई अस्थिरता से निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा गया है। ब्याज की बढ़ी दरें, कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के साथ मुद्रास्फीति की बढ़ती दर से क्पनियों की ग्रोथ 10 फीसदी गिर चुकी है।
एक निवेश बैंकर के अनुसार 2007 में कंपनियों की ग्रोथ 30 फीसदी से अधिक दर से बढ़ी थी। अब यह गिरकर महज 10 से 20 फीसदी हो गई है। निवेशक इससे चिंतित हैं। कंपनियों की विस्तार योजनाएं उनका भरोसा जीतने में नाकाम साबित हो रही हैं।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर एस. रमेश ने बताया कि राइट इश्यू ऐसे शेयर होते हैं जो कंपनी के मौजूदा शेयर धारकों को कम दाम में उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन बाजार के नीचे आने से राइट इश्यू भी मौजूदा बाजार भाव के बराबर ही आ गए हैं। जब शेयर का मूल्यांकन कम हो जाता है तो बाजार से पैसा जुटाने के लिए राइट इश्यू सबसे बेहतर माध्यम है। लेकिन वर्तमान में बाजार के कमजोर हालात बेहतर रिटर्न दे पाने में असफल साबित हो रहे हैं।
अर्नेस्ट एंड यंग के पार्टनर राजीव दलाल ने बताया कि लगातार नीचे गिरते बाजार में राइट इश्यू जिस कीमत पर जारी किया जाता है, वह जल्दी ही बाजार की कीमत तक पहुंच जाता है। इस इश्यू के लिए मैनजमेंट बाजार के अनुसार फैसला लेता है। इसलिए जब यह ऐसे समय में बाजार में आता है जबकि शेयर बाजार नीचे जा रहा हो तो निवेशकों को इसमें धन लगाना बेकार लगता है।
2008 में अब तक राइट इश्यू के जरिए 19,496.70 करोड़ रुपये एकत्र किए जा चुके हैं, जबकि 2007 में इन के जरिए 14,085 करोड़ रुपये ही जुटाए गए थे। हालांकि बीते साल बाजार की स्थिति काफी अनुकूल थी।