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मंदी की उतनी मार नहीं पड़ी म्युचुअल फंड निवेशकों को

Last Updated- December 05, 2022 | 7:01 PM IST

जनवरी से मार्च के दौरान शेयर बाजार के ज्यादातर निवेशकों को भारी झटका लगा और उनमें मायूसी छा गई लेकिन जिन निवेशकों ने बाजार में घुसने के लिए म्युचुअल फंड का रास्ता अपनाया था, वो बहुत खुश हैं।


दरअसल म्युचुअल फंड के निवेशकों को जनवरी से मार्च की आखिरी तिमाही में जो भी नुकसान हुआ वो बाकी तीन तिमाहियों के भारी मुनाफे ने भरपाई कर दी है।म्युचुअल फंडों को ट्रैक करने वाली फर्म वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक आखिरी तिमाही में डाइवर्सिफाइड इक्विटी की स्कीमों को करीब 28.3 फीसदी का नुकसान हुआ है और ये स्कीमें ही निवेशकों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं।


हालांकि पिछले एक साल के आंकड़े देखें तो इन फंडों का प्रदर्शन अच्छा रहा है और आखिरी तिमाही के नुकसान से बाकी तिमाहियों का मुनाफा ज्यादा रहा है।  डाइवर्सिफाइड इक्विटी की स्कीमों ने पिछले कारोबारी साल में (2007-08) में औसतन 21.4 फीसदी का मुनाफा दिया है। अलग अलग स्कीमों का प्रदर्शन देखें तो इनमें 53.7 फीसदी का मुनाफा भी हुआ है और 7.9 फीसदी का नुकसान भी। हालांकि केवल चार ही ऐसी स्कीमें रहीं जिन्हे पिछले कारोबारी साल में नुकसान हुआ।


फर्म के एनालिस्टों का मानना है कि बाजार की मौजूदा मंदी के बावजूद डाइवर्सिफाइड स्कीमों में पैसा लगाना अब भी बेहतर विकल्प हो सकता है। आखिरी तिमाही में इन डाइवर्सिफाइड इक्विटी स्कीमों को 40.6 से 16.2 फीसदी का नुकसान हुआ है जबकि इस दौरान बीएसई और निफ्टी दोनों में ही 22.9 फीसदी की गिरावट रही।


इस गिरावट में भी जिन स्कीमों का बहुत कुछ नहीं बिगड़ा उनमें ज्यादातर ऐसी स्कीमें थीं जिन्होने विदेशों में भी निवेश कर रखा था। फर्म के सीईओ धीरेन्द्र कुमार के मुताबिक बुरे दिनों में ही सही तरीके के डाइवर्सिफिकेशन की अहमियत समझ में आती है।


इस मंदी में विदेशी फंडों के निवेशकों को भी नुकसान उठाना पड़ा है हालांकि ये नुकसान घरेलू फंडों की तुलना में कम रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी फंडों की लिस्ट में केवल डीएसपी मेरिल लिंच का वर्ल्ड फंड ही ऐसा था जिसने इस दौरान मुनाफा कमाया। ये फंड सोने में नहीं बल्कि उन कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाता है जो ग्लोबल गोल्ड माइनिंग और रिफाइनिंग उद्योग का हिस्सा हैं।


सेक्टर आधारित फंडों की बात करें तो आखिरी तिमाही में एफएमसीजी और फार्मा सेक्टर के फंडों को सबसे कम क्रमश: 16.7 और 18.9 फीसदी का औसत नुकसान हुआ है जो बाकी फंडों से काफी बेहतर है। रिपोर्ट के मुताबिक इस तिमाही में इक्विटी फंडों का प्रदर्शन जिस तेजी से गिरा है, उससे लगता है कि इन फंडों ने अपने पोर्टफोलियो का सही डाइवर्सिफिकेशन नहीं किया था बल्कि रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और बैंकिंग जैसे तेजी से चढ़ रहे सेक्टरों में पैसा लगाया था।


इक्विटी फंडों को तो बाजार की मंदी की वजह से नुकसान हुआ लेकिन इस तिमाही में डेट आधारित फंडों का प्रदर्शन भी कुछ अच्छा नहीं रहा। महंगाई की दर और ब्याज दरों पर बनी अनिश्चितता की वजह से गिल्ट (मझोले और लंबी अवधि के) फंड्स को भी मार्च में 1.1 फीसदी का नुकसान हुआ। अल्प अवधि के गिल्ट फंड जिन पर ब्याज दरों का उतना असर नहीं पड़ता, उन्हें भी केवल 0.1 फीसदी का मामूली मुनाफा हुआ और 18 ऐसे फंडों में से 6 को नुकसान भी उठाना पड़ा।


जिस फंड के निवेशक इस दौरान सबसे ज्यादा खुश दिखे वो थे गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स जो सीधे सीधे सोने में निवेश करती हैं। आखिरी तिमाही में इन फंड्स को 13 फीसदी का मुनाफा हुआ हालांकि अगर मार्च के महीने में इन्हे 3.2 फीसदी का नुकसान हुआ था वर्ना तिमाही का मुनाफा और ज्यादा होता।

First Published - April 3, 2008 | 11:01 PM IST

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