अमेरिका में हुए सबप्राइम संकट और यूरोपीय बाजार और वैश्विक मंदी को देखते हुए ज्यादातर प्रॉपर्टी फंड ने रियल्टी डेवलपर से मिलनेवाले अपने इंटर्नल रेट ऑफ रिटर्न (आईआरआर) में बढ़ोतरी कर दी है।
यानी अब वो जिस भी रियल एस्टेट कंपनी में पैसा लगाएंगे उनसे अब वो ज्यादा रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं। पहले रिटर्न की यह दर 20 से 22 प्रतिशत थी जिसे बढ़ाकर 27 से 30 प्रतिशत कर दिया गया है। यह बढोतरी अगले कुछ महीनों में रियल्टी मार्केट में संभावित किसी भी विपरीत परिस्थितियों से निपटने से तैयार रहने के मद्देनजर की गई है।
मालूम हो कि सबप्राइम संकट के कारण हुए जबरदस्त घाटे और इसकेसाथ ही घरेलू बाजार में कारोबार में आई गिरावट के कारण तेजी से विकास कर रहे प्रॉपर्टी मार्केट में खतरों का अंदेशा काफी बढ़ गया है। प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़े लोगों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत सहित विदेशी निवेशकों ने रिस्क एडजस्टेड रिटर्न में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है।
ब्लूमबर्ग केअनुमानित आंकड़े और कंपनियों की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी और यूरोपीय बैंकों ने अभी तक 200 अरब रुपये के सब प्राइम घाटे की घोषणा की है जिसमें सिटीग्रुप और स्विटजरलैंड के प्रमुख बैंक यूबीएस को को सबसे ज्यादा यानी कुल घाटे का एक तिहाई का घाटा हुआ है।
इस बाबत दक्षिण अफ्रीका की ओल्ड म्युचुअल और मुंबई स्थित आईसीएस रियल्टी के सलाहकार और प्रॉपर्टी जोन के निदेशक दीपक कंटारवाला ने कहा कि पहले हम 20 से 24 प्रतिशत के आईआरआर पर समझौते कर रहे थे लेकिन अब प्रॉपर्टी मार्केट में अनिश्चितता को देखते हुए हमने यह दर बढ़ाकर 28 प्रतिशत तक के आसपास कर दी है।
उन्होंने बताया कि पहले अमेरिकी और यूरोपीय निवेशक 5 से 6 प्रतिशत की रिटर्न के साथ खुश थे लेकिन वैश्विक बाजार में छाई मंदी को देखते हुए अब वे 8 से 9 प्रतिशत तक का रिटर्न चाहते हैं। गौरतलब है कि इस साल बहुत सारे प्रॉपर्टी डेवलपर्स जैसे डीएलएफ, एम्मार एमजीएफ और पार्श्वनाथ ने प्राइवेट इक्विटी फंड के जरिए 17,000 करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की है।
फिनिक्स मिल्स प्रॉपर्टी डेवेलपर के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर महेश अय्यर ने कहा कि हम अपनी अधिकांश परियोजनाओं में 30 प्रतिशत तक का रिटर्न दे रहे है क्योंकि हम बहुत पहले ही फंड का अधिग्रहण कर चुके हैं लेकिन उन्होंने कहा कि जिन्होंने अभी फंड का अधिग्रहण किया है उनके लिए इस तरह के रिटर्न देना मुश्किल है।
मालूम हो कि फिनिक्स मिल्स अपने होटल और अन्य परियोजनाओं के लिए प्राइवेट इक्विटी फंडों से 35 करोड़ डॉलर जुटा रही है। रिजर्व बैंक द्वारा प्रॉपर्टी डेवलपरों को मिलने वाले कर्ज पर लगाम कसने, बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के कारण पिछले साल प्रॉपर्टी डेवेलपर के लिए प्राइवेट इक्विटी एक बड़े फंड के स्रोत के रूप में सामने आया है। इसके अलावा इस साल जनवरी के बाद से अब तक रियल्टी के शेयरों का प्रदर्शन भी शेयर बाजार में काफी निराशजनक रहा है।