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India Inc Earnings: 2025 की दूसरी छमाही में घरेलू मांग करेगी कमाल, इन सेक्टरों से मिल सकता है तगड़ा रिटर्न!

घरेलू खपत, टैक्स कटौती और सस्ती ब्याज दरें बन सकती हैं ग्रोथ की बड़ी वजह, जानिए किन सेक्टरों में दिख रही है सबसे ज्यादा तेजी की उम्मीद

Last Updated- June 26, 2025 | 2:05 PM IST
Market

साल 2025 की पहली छमाही (जनवरी से जून) में भारत की कंपनियों को घरेलू मांग की कमजोरी और वैश्विक मंदी जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन अब साल की दूसरी छमाही (जुलाई से दिसंबर) में एक बार फिर से मुनाफे में सुधार की उम्मीद की जा रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार ग्रोथ की कमान घरेलू मांग वाले सेक्टरों के हाथ में होगी।

कम टैक्स, सस्ती ब्याज दरें और RBI की मदद

सेंटरम के फंड मैनेजमेंट हेड मनीष जैन के मुताबिक, इनकम टैक्स में कटौती, ब्याज दरों और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कमी जैसे नीतिगत फैसलों से भारतीय इकोनॉमी को सपोर्ट मिला है। इसके साथ ही, सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ने से कंपनियों के मुनाफे को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही यानी Q3-FY26 में सपोर्ट मिलेगा।

Nuvama की रिपोर्ट बताती है कि साल 2025 की पहली तिमाही (Q1 CY25 या Q4 FY25) में BSE500 कंपनियों का नेट प्रॉफिट 10% साल-दर-साल बढ़ा, जबकि रेवेन्यू की रफ्तार धीमी रही। इस बढ़त का कारण था कम खर्च, जैसे कि सैलरी का खर्च सिर्फ 5% बढ़ा।

मेटल, टेलीकॉम, केमिकल और सीमेंट कंपनियों के मुनाफे में तेज़ी दिखी, लेकिन PSU बैंक और इंडस्ट्रियल कंपनियों की ग्रोथ थोड़ी धीमी रही। छोटी और मिडकैप कंपनियों ने भी Q4 FY25 में अच्छा प्रदर्शन किया और पिछली नौ महीनों की कमजोर ग्रोथ को कुछ हद तक संभाला।

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Q1 FY26 में थोड़ी सुस्ती की आशंका

YES Securities का अनुमान है कि अप्रैल-जून तिमाही (Q1 FY26 या Q2 CY25) में निफ्टी कंपनियों की कमाई थोड़ी धीमी रह सकती है। उनका FY26 के लिए निफ्टी50 का EPS अनुमान पहले ₹1,177 था, जो अब घटाकर ₹1,164 कर दिया गया है। इसकी वजह वैश्विक अनिश्चितताएं बताई जा रही हैं – जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों में बदलाव, ट्रेड वॉर, वैश्विक ग्रोथ की सुस्ती और भू-राजनीतिक तनाव।

कौन-से सेक्टर दिखा सकते हैं बेहतर प्रदर्शन?

Fisdom के रिसर्च हेड नीरव करकड़ा के अनुसार, घरेलू मांग से जुड़े सेक्टरों से उम्मीदें ज्यादा हैं। इनमें कंज्यूमर स्टेपल्स, डिजिटल ब्रांड्स, टेलीकॉम, FMCG और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां शामिल हैं। साथ ही, कैपिटल गुड्स, बिल्डिंग मटेरियल्स, पावर और डिफेंस जैसे सेक्टर भी अच्छे अवसर दे सकते हैं, हालांकि इन सेक्टरों में निवेश से पहले सावधानी ज़रूरी है। दूसरी तरफ, IT सर्विसेज और ऑटो पार्ट्स जैसे एक्सपोर्ट-निर्भर सेक्टरों पर ग्लोबल सुस्ती का दबाव बना रह सकता है। Centrum के मनीष जैन का कहना है कि कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी, NBFCs, इंडस्ट्रियल्स, मेटल्स, सीमेंट, डिफेंस और टेलीकॉम सेक्टरों से बेहतर ग्रोथ की उम्मीद है, जबकि ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी सेक्टर थोड़ी निराशा दे सकते हैं।

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भविष्य की ग्रोथ में क्या होगा अहम?

CareEdge Ratings की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले महीनों में कंपनियों का मुनाफा काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कैसी रहती है और भू-राजनीतिक हालात कैसे बदलते हैं। ब्याज दरें कम होने से थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी, लेकिन घरेलू मांग सबसे अहम भूमिका निभाएगी।

First Published - June 26, 2025 | 2:05 PM IST

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