भारत केंद्रित निजी इक्विटी (पीई) और वेंचर कैपिटल (वीसी) फंड के जरिये निवेश को कोविड-19 वैश्विक महामारी का तगड़ा झटका लगा है। जून तिमाही के दौरान पीई-वीसी निवेश एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 94 फीसदी घटकर 17.1 करोड़ डॉलर रह गया। जून 2019 तिमाही में यह आंकड़ा 2.75 अरब डॉलर रहा था।
ईवाई इंडिया के पार्टनर एवं नैशनल लीडर (निजी इक्विटी सेवा) विवेक सोनी ने कहा, ‘भारत केंद्रित फंडों द्वारा पीई-वीसी के जरिये रकम जुटाने की प्रक्रिया पर मुख्य तौर पर वैश्विक महामारी के कारण प्रभावित हुई है। इसका प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक वैश्विक घटना है क्योंकि ऋण एवं इक्विटी बाजार व्यवधान के कारण सीमित भागीदारों (एलपी) के वैश्विक पोर्टफोलियो में परिसंपत्तियों का आवंटन प्रभावित हुआ है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि एलपी ताजा निवेश करने से बच रहे हैं क्योंकि निकासी की संभावनाएं सीमित होने, पूंजी मांग में संभावित तेजी और परिसंपत्ति आवंटन को नए सिरे से संतुलित किए जाने के कारण वितरण में नरमी दिख रही है।
एडलवाइस के सह-प्रमुख (निवेश बैंकिंग) गोपाल अग्रवाल ने कहा, ‘रकम जुटाने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया को फिलहाल टाल दी गई है क्योंकि किसी फंड में निवेश करने से पहले एलपी परिस्थतियों के स्थिर होने का इंतजार कर रहे हैं।’ रकम जुटाने की प्रक्रिया में आमतौर पर चार से छह महीनों का समय लगता है जिसमें जांख-परख से लेकर अनुबंध शर्तों पर हस्ताक्षर तक शामिल हैं।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी रकम जुटाने का परिदृश्य कमजोर दिख रहा है। पहली बार के फंड मैनेजरों और बिना किसी ट्रैक रिकॉर्ड वाले फंड मैनेजरों के लिए आगे की राह काफी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। हालांकि जानकारों ने उम्मीद जताई है कि बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा), बुनियादी ढांचा और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सितंबर तक रकम जुटाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।