facebookmetapixel
इंडिया-यूके विजन 2035 के तहत ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए भारतीय छात्रों की राह होगी और आसानलंबे वीकेंड के चलते दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा में 25% तक बढ़ी मांग, घरेलू पर्यटन में भी जबरदस्त तेजीसेबी का नया वैलिड यूपीआई हैंडल शुरू, ऑपरेशन में आ रही बाधातमिलनाडु में भगदड़ से मौत का मामला: FIR में कहा गया — विजय वाहन के अंदर रहे जिससे भीड़ बढ़ीभारत-भूटान रेल संपर्क शुरू होगा, ₹4,033 करोड़ की परियोजना से गेलेफू और समत्से भारत से जुड़ेंगेहम चाहते हैं कि टाटा कैपिटल से अधिक रिटेल निवेशक जुड़ें: राजीव सभरवालIndia-EFTA FTA गुरुवार से होगा प्रभावी, कई और देश भी व्यापार समझौता करने के लिए इच्छुक: गोयलLPG 24 घंटे डिलिवरी करने की तैयारी में सरकार, क्रॉस-PSU सर्विस से कभी भी करा सकेंगे रिफिल!WeWork India IPO: सिर्फ OFS इश्यू से जुटेगा ₹3,000 करोड़, 20% से ज्यादा ग्रोथ का लक्ष्यअगस्त में औद्योगिक उत्पादन धीमा, विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती से IIP जुलाई के मुकाबले घटकर 4% पर

मूल्यांकन को लेकर पीई फंड हुए सख्त

Last Updated- December 07, 2022 | 9:04 AM IST

प्राइवेट इक्विटी फंडों में अब एक नया चलन शुरू हो गया है। अब वो किसी भी सौदे को अंतिम रूप देने को लेकर काफी सावधानी बरत रहें हैं।


मसलन हाल ही में एक बड़े अमेरिकी प्राइवेट फंड हाऊस ने हाल ही में दक्षिण भारत की एक कंपनी से हुए करार को वैल्युएशंस में मतभेद होने की वजह से रद्द कर दिया। ऐसा पहली बार नही हुआ है जब प्राइवेट इक्विटी फंड ऐसा कर रहे हैं। अब वो न केवल अपने कदम फूंक -फूं क कर रख रहे हैं बल्कि टर्मशीट पर दस्तख्त कर देने के बाद भी सौदों को तोड़ने में कोई हिचकिचाहट नही बरत रहे हैं।

एएमपी कैपिटल इंवेस्टर के एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर के सह-प्रमुख अनूप सेठ कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों के दौरान बने मैक्रो वातावरण के चलते कंपनियों के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं। नतीजतन प्राइवेट इक्विटी फंड पहले की अपेक्षा ज्यादा एहतियात बरत रहे हैं और केवल उत्तम गुणवत्ता वाले प्रबंधन टीम के साथ ही सौदे कर रहे हैं। मालूम हो कि जनवरी में 21,000 अंक का आंकड़ा पार करने के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का रुख बरक रार है।

जबकि बाजार ने इस साल अब तक कुल 40 से 50 फीसदी का करेक्शन किया है। इस बाबत एक्टिस साऊथ एशिया के जेएम त्रिवेदी कहते हैं कि प्राइवेट इक्विटी वैल्यूशनों में करेक्शन हो तो रहा है लेकिन पूर्ण रूप से उनका करेक्शन नहीं हुआ है। गौरतलब है कि शेयर बाजार और पीई इक्विटी के करेक्शनों में हमेशा एक अंतर होता है। बहरहाल त्रिवेदी इस बात को स्वीकारते हैं कि वैल्यूएशनों और मौजूदा बाजार के वातावरण के कारण सौदों का क्लोजर काफी मुश्किल हो गया है।

कार्लाइल इंडिया एडवाइजर के प्रबंध निदेशक राजीव गुप्ता का कहना है कि वैल्यूशनों में सामंजस्य को लेकर किसी का भी सवाल पूछना वाजिब है। हमारे विश्लेषण की बात करें तो हालिया करेक्शन एक जाहिर सा करेक्शन है। आप अगर मौजूदा वैल्यूएशनों की गणना करें तो नतीजा यह निकलेगा कि पिछले साल जब स्थिति और अनुकूल थी तो तब निवेशक 12 से 13 फीसदी के इक्विटी रिटर्न की मांग कर रहे थे जबकि मौजूदा स्थिति में जब ब्याज दर नौ फीसदी का है तो निवेशक 16 से 17 फीसदी के इक्विटी रिटर्न की मांग कर रहें हैं। 

साल 2008 के पहले छह महीनों में पीई फर्मों ने कुल 6.7 अरब डॉलर का निवेश किया है जबकि पिछले साल इस समय तक उनके द्वारा कुल 5.4 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। पिछले साल तक इन फर्मों ने कुल 420 सौदों के जरिए कुल 14.3 अरब डॉलर का निवेश किया था। जबकि पिछले साल इसी अवधि में कुल सौदों की संख्या 181 थी। जबकि इस साल इनकी संख्या कुल 193 है। एचएसबीसी प्राइवेट इक्विटी एडवाइजर्स(इंडिया)के सीईओ रवि मेनॉन कहते हैं कि इसके बारे में आने वाले तिमाही परिणामों के जारी होने पर ही पता चल सकेगा।

गिरते भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ा मसला सेबी के द्वारा फ्लोर प्राइसिंग का है जो इस वक्त कारोबार कर रहे पीई शेयरों की वर्तमान प्रीमियम कीमतों से कहीं ज्यादा होगा। गुप्ता कहते हैं इश्यूकर्ता कैपिटल को इश्यू करना चाहते हैं जबकि पीई निवेश करना चाहते हैं लेकिन इन सबके बीच नियामक सौदों को रोकना चाहते हैं,लिहाजा नियामक नियमों का फिर से मूल्यांकन करने का सबसे मुफीद वक्त अभी का है। हालांकि कुछ पीई प्लेयर्स टेलीकॉम और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में करेक्शनों देखते हैं जबकि कुछ का मानना है कि इनकी घरेलू मांग ज्यादा होने के कारण ये लंबी रेस के घोड़े साबित हो सकते हैं।

First Published - July 4, 2008 | 9:37 PM IST

संबंधित पोस्ट