विशेषज्ञों के अनुसार वर्ग-विशेष की तुलना में कंपनी-विशेष के सौदे अधिक होंगे प्राइवेट इक्विटी (पीई) के विशेषज्ञों का अनुमान है कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष सौदों में मंदी होने के बावजूद अधिक लेन देन और खरीदारी के कारण पीई कंपनियां वर्ष 2008 में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी हासिल करेंगी।
आईसीआईसीआई वेंचर्स के निदेशक सुमित चंदवानी कहते हैं, ‘लोगों का ध्यान प्रमुख क्षेत्रों में अपनी सामर्थ्य बढ़ाने पर होगा और वे अपनी गैरजरूरी परिसंपत्तियों को बेचेंगे, इस प्रकार खरीदारी के सौदे अधिक होंगे।’
इस वर्ष पीई गतिविधियां थोड़ी कठिन होंगी क्योंकि ये सेक्टर के आधार पर कम और कंपनी के आधार पर अधिक निवेश करेंगी। सेक्टरों में पहला स्थान रियल एस्टेट का ही बना रहेगा और दूसरे स्थान पर इन्फ्रास्ट्रक्चर रहेगा।
सिटीग्रुप वेंचर कैपिटल इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक पी आर श्रीनिवासन कहते हैं, ‘पूंजी का एक बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट के क्षेत्र में आएगा। पाइप (सार्वजनिक उद्योगों में निजी निवेश, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन पब्लिक एंटरप्राइज) सौदे कम हो रहे हैं और हम लोगों ने पिछले वर्ष की अपेक्षा मार्च 2008 की तिमाही में अपेक्षाकृत कम सौदे होते देखा है। सिटीग्रुप की बात करें तो सौदों की संख्या कम हुई है।’
विशेषज्ञों का मानना है कि कई असफल सौदे होंगे क्योंकि अनिश्चितता का मूल्यांकन प्रमोटरों के अनुमानों के मुताबिक अभी तक नहीं हुआ है। आईएल ऐंड एफएस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के वरिष्ठ प्रबंधन साझेदार मार्क सिलगार्डो ने कहा, ‘एक समायोजन अवधि होगी और मेरा मानना है कि इस कैलेंडर वर्ष के आखिरी छह महीने निवेश के नजरिये से बेहतर होंगे।’
चंदवानी ने कहा, ‘कार्यान्वयन की क्षमताओं के मामले में एक कंपनी दूसरे से अलग होगी। कंपनियों को अवसरों का लाभ उठाना होगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर के एक अच्छा अवसर होते हुए भी अभी यह देखा जाना है कि कंपनियां अपने लक्ष्य साध पाती हैं या नहीं। अभी के समय में प्राइवेट इक्विटी फंडों द्वारा नए कोष जुटाना मुश्किल होगा।’
विश्लेषक इस बात पर बल देते हैं कि प्राइवेट इक्विटी कंपनियां सार्वजनिक होने जा रही कंपनियों का मूल्यवर्ध्दन करती हैं। उदाहरण के लिए, यह शासकीय क्रियाकलापों और इनॉर्गेनिक विकास (विलय और अधिग्रहणों के जरिये कंपनी का विस्तार) के साथ-साथ जोखिम प्रबंधन संरचना में सुधार लाने में मदद करती हैं।
चंदवानी ने कहा, ‘तिमाही प्रदर्शन के मामले में देखें तो सार्वजनिक बाजार में इसकी बड़ी मांग है। इसलिए, कंपनियों को आईपीओ लाने से पहले अच्छी तैयारी करने की जरुरत है।’ महत्वपूर्ण मूल्य संवर्ध्दन (वैल्यू एडिशन)वर्ष 2008 में प्राइवेट इक्विटी के प्रतिफलों का निर्धारण करेंगे।