भारत पे के संस्थापक और सीईओ अशनीर ग्रोवर ने सोमवार को एक टीवी चैनल से कहा, शेयर बाजार में पेटीएम का कष्टकारी आगाज अन्य आईपीओ पर असर डाल सकता है, जिसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ शामिल है।
उन्होंने कहा कि सूचीबद्धता में पेटीएम की विफलता प्रबंधन व इन्वेस्टमेंट बैंकर की सामूहिक नाकामी है। उन्होंने कहा, ऐसी कंपनी जो पिछले तीन साल से बढ़त के लिहाज से स्थिर है और बाजार में यह कहते हुए उतरती है कि वह 20 अरब डॉलर का आईपीओ लाना चाहती है, खुद को देश का सबसे बड़े स्टार्टअप के तौर पर स्थापित करती है और अहम बात सबसे बड़ा आईपीओ ले भी आती है। जब आप ऐसा कर रहे हैं तो मूल चीज यह है कि आपको पता होना चाहिए कि कीमत के इस स्तर पर क्या इसकी मांग है। इस मामले में कंपनी ने यह नहीं देखा कि बाजार कहां है और उससे आगे निकल गई और अपने मनमुताबिक कीमतें तय कर दी।
पेटीएम के 18,300 करोड़ रुपये के आईपीओ को महज 1.89 फीसदी आवेदन मिले और म्युचुअल फंडों व धनाढ्य निवेशकों ने इस आईपीओ से मोटे तौर पर दूरी बना ली। यह इश्यू विदेशी फंडों मसलन ब्लैकरॉक व कनाडा की सीपीपी की मदद से ही पार लग पाया। ग्रोवर ने कहा, प्रबंधन को इमानदार बनाए रखने के मामले में यह प्रबंधन और बैंकरों की सामूहिक नाकामी है। कंपनी ने खुद का मूल्यांकन आईपीओ में 1.39 लाख करोड़ रुपये (18.6 अरब डॉलर) किया। आखिरी बंद भाव पर पेटीएम का मूल्यांकन 12 अरब डॉलर से भी कम है।
उन्होंने सीएनबीसी टीवी-18 से कहा, यूपीआई के आने के बाद से पेटीएम बाजार हिस्सेदारी गंवा रही है। फोनपे, गूगल पे और यहां तक कि भारत पे ने भी पेटीएम से बाजार हिस्सेदारी खींच ली है। अगर सबसे बड़ी यूपीआई फोनपे का मूल्यांकन 9 अरब डॉलर है तो आप अपना मूल्यांकन 20 अरब डॉलर कैसे कर सकते हैं। इसका आधार क्या है? सिर्फ इसलिए कि फंडिंग के आखिरी दौर में उसने अपना मूल्यांकन 16 अरब डॉलर पाया।
ग्रोवर ने कहा, पेटीएम की सूचीबद्धता निवेशकों की अवधारण पर चोट पहुंचा सकती है। शेयर बाजार में आगाज की योजना बनाने वाली कंपनियों के लिए यह निश्चित तौर पर कम कीमत का मामला बनाता है। आईपीओ लाने की योजना बना र ही कंपनियों के लिए इंडिया डिस्काउंट, इंडिया स्टार्टअप डिस्काउंट और पेटीएम डिस्काउंट होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर एलआईसी का प्रस्तावित आईपीओ आता है तो यह सरकार को झटका दे सकता है। मेरी मुख्य चिंता एलआईसी की सूचीबद्धता को लेकर है। अगर उसे छूट पर लिया जाता है तो यह भारतीय खजाने पर बड़ी चोट करेगा।
ग्रोवर की भारतपे मर्र्चेंट केंद्रित फिनटेक फर्म है, जो 140 शहरों में 75 लाख से ज्यादा मर्चेंट को सेवाएं देती है। कंसोर्टियम पार्टनर सेंट्रम फाइनैंशियल सर्विसेज के साथ भारतपे को भारतीय रिजर्व बैंक ने स्मॉल फाइनैंस बैंक का लाइसेंस दिया है।
गो फैशन आईपीओ को 135 गुना बोली
गो फैशन के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को पेशकश के आखिरी दिन सोमवार को कुल मिलाकर 135 गुना आवेदन मिले। इस आईपीओ की संस्थागत श्रेणी में 100.7 गुना आवेदन मिले जबकि धनाढ्य निवेशकों की श्रेणी में 262 गुना और खुदरा श्रेणी में 49 गुना आवेदन हासिल हुए। यह जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से मिली।
आईपीओ को मिली मजबूत प्रतिक्रिया पेटीएम की सूचीबद्धता पर नाकामी के तत्काल बाद देखने को मिल रही है। गो फैशन के आईपीओ में 125 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी हो रहे हैं जबकि 890 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल है। कंपनी की योजना इस रकम का इस्तेमाल 120 नए एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट खोलने मेंं करेगी, साथ ही और कार्यशील पूंजी की जरूरतेंं भी इससे पूरी की जाएगी। पिछले हफ्ते कंपनी ने एंकर निवेशकों को 455 करोड़ रुपये के शेयर आवंटित किए थे, जिसमें सिंगापुर सरकार, अबु धाबी इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, नोमूरा, एसबीआई म्युचुअल फंड और ऐक्सिस बैंक शामिल है। बीएस
