मौद्रिक नीति की समीक्षा से पहले रुपये में आई गिरावट थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज फिर विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया। रुपये को सर्वकालिक निचले स्तर पर फिसलता देख आरबीआई हरकत में आया, जिसके बाद रुपये की गिरावट सीमित दायरे में रही।
कारोबार की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले रुपया 77.68 पर खुला जबकि कल यह 77.63 पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान रुपया फिसलकर 77.74 तक लुढ़क गया। मुद्रा डीलरों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने केंद्रीय बैंक की ओर से 77.70 के स्तर पर डॉलर की बिकवाली की, जिससे रुपये की गिरावट पर थोड़ा अंकुश लगा। कारोबार की समाप्ति पर डॉलर के मुकाबले रुपया 8 पैसे नीचे 77.10 पर बंद हुआ।
एलकेपी सिक्योरिटीज के विश्लेषक जतीन त्रिवेदी ने कहा, ‘आरबीआई द्वारा ब्याज दर में संभावित वृद्धि को देखते हुए रुपया कमजोर खुला। डॉलर सूचकांक में मजबूती से रुपये में गिरावट को बल मिला है और पिछले तीन कारोबारी सत्रों में यह 77.50 से फिसलकर 77.75 पर आ गया था।’
कच्चे तेल के दाम फिर 120 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने से भी भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ा है क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है।
सीआर फॉरेक्स एडवाजर्स के प्रबंध निदेशक अमित पबारी ने कहा कि सुबह एनडीएफ में 78 से ऊपर के स्तर पर कारोबार करने के बावजूद घरेलू डॉलर-रुपया बाजार में भारतीय मुद्रा स्थिरता के साथ 77.72 पर खुली और 5 पैसे गिरावट के दायरे में बंद हुई। आरबीआई की ओर से बैंकों द्वारा डॉलर की बिकवाली ने इसे 77.80 के नीचे थामने में मदद की।
पबारी ने कहा, ‘घरेलू कारोबार में रुपया 77.73 के स्तर पर रहा लेकिन एनडीएफ में यह 77.80 तक लुढ़क गया। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि आरबीआई ने किसी अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए रुपये को मजबूत बनाए रखा।’
यूक्रेन यद्ध के कारण फरवरी के अंत में भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ता देख केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार में अपना हस्तक्षेप बढ़ाया है। उसने हाजिर, वायदा और ऑफ-शोर तीनों सेगमेंट में रुपये की गिरावट थामने का प्रयास किया है। अप्रैल में आरबीआई ने हाजिर बाजार में रिकॉर्ड 2 अरब डॉलर की बिकवाली की, जिससे पता चलता है कि रुपया कितनी तेजी से गिरा।
2022 में डॉलर की तुलना में रुपया 4.34 फीसदी और चालू वित्त वर्ष में 2.5 फीसदी लुढ़क चुका है। मई में आरबीआई के हस्तक्षेप के बावजूद इसमें 1.6 फीसदी की गिरावट आई है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक मुद्रा में तेज गिरावट नहीं होने दे सकता। आरबीआई अक्सर कहता रहा है कि वह बाजार में उतार-चढ़ाव को थामने के लिए हस्तक्षेप करता है और रुपये को किसी खास स्तर पर रखने का उसका लक्ष्य नहीं है।
आईएफए ग्लोबल ने एक नोट में कहा है कि कच्चे तेल के दाम में तेजी, विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली, डॉलर के मजबूत होने और अमेरिकी बॉन्ड के प्रतिफल में इजाफे से भारतीय मुद्रा पर दबाव बने रहने की आशंका है।