एसबीआई की 25 हजार करोड़ रुपये जुटाने की घटना को छोड़ दें तो अधिकांश कंपनियों की रफ्तार पिछले साल से कम रही है। फंड जुटाने के मामले में रिकॉर्ड तोड़ वर्ष के बाद 2025 में पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) धीमा पड़ गया है।
अगस्त तक 27 कंपनियों ने 57,254 करोड़ रुपये जुटाए हैं जबकि 2024 की इसी अवधि के दौरान 58 कंपनियों ने 64,924 करोड़ रुपये जुटाए थे। भारतीय स्टेट बैंक के 25,000 करोड़ रुपये के फंड जुटाने को छोड़ दें तो (जो घरेलू बाजार में अब तक का सबसे बड़ा क्यूआईपी है) इस साल जुटाई गई कुल पूंजी पिछले साल के आंकड़ों की आधी से भी कम होगी।
क्यूआईपी की सुस्त गतिविधियों को बैंक व्यापक इक्विटी बाजार की बिकवाली से जोड़कर देख रहे हैं।
पैंटोमैथ फाइनैंशियल सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक महावीर लुणावत ने कहा, अमेरिकी टैरिफ की चिंताओं और अन्य कारकों से बाजार में साल के अधिकांश समय उतार-चढ़ाव रहा है।
लुणावत ने कहा कि हाल में वस्तु एवं सेवा कर में कटौती और इसकी सके साथ त्योहारी सीजन के दौरान अधिक खपत का असर जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के बाद कंपनियों की आय में दिखाई देने की संभावना है, जिससे संभवतः कंपनियां बाजार में लौटने के लिए प्रोत्साहित होंगी।
उन्होंने कहा, त्योहारों के मौसम के बाद हमें और ज्यादा क्यूआईपी की उम्मीद है। प्राथमिक बाजार में तेजी का रुझान आर्थिक संकेतकों से पीछे रहता है। निवेशक स्पष्टता चाहते हैं और कंपनियों की आय उन्हें खुश होने का कारण मिलना चाहिए।
क्यूआईपी में किसी कंपनी को चुनिंदा निवेशकों को बाजार मूल्य से कम कीमत पर नए शेयर जारी करने की सुविधा होती है। यह अनुवर्ती पूंजी जुटाने का पसंदीदा तरीका बना हुआ है क्योंकि यह तेज और कम खर्चीला है।