निफ्टी जून के कांट्रेक्ट मंगलवार को स्पॉट इंडेक्स से 3 अंक प्रीमियम पर बंद हुए,जबकि कांट्रेक्ट में ओपन इंट्रेस्ट 4.235 करोड़ पर 10.5 फीसदी बढ़ा।
एक डेरिवेटिव डीलर के अनुसार अंत में कुछ शॉर्ट रिकवरी हुई, लेकिन अभी अधिकांश शेयरों का भविष्य अधर में है। यह इस बात का संकेत है कि कोई भी जोखिम उठाने और केरी होम पोजिशन को तैयार नहीं।
फ्यूचर में जून के कांट्रेक्ट 13.60 अंक गिरकर 4453 पर बंद हुए। जुलाई के कांट्रेक्ट 16.25 अंक निचे 4445 पर पहुंच गए। अगस्त के कांट्रेक्ट भी 33.95 अंक नीचे 4437 पर बंद हुए।
डीलरों का कहना है कि आने वाले सत्र में निफ्टी शॉर्ट रिकवरी के जरिए वापसी कर सकता है, लेकिन निचले स्तर पर खरीद की रुचि से बाजार की दिशा को लेकर गहरी अनिश्चितता बनी रहेगी। निफ्टी को 4555 के स्तर पर रेजिस्टेंस मिलने की उम्मीद है। फार्मा-स्युटिकल्स और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया और टाटा के साथ अन्य मेटल शेयर भी निवेशकों के लिए आज पसंदीदा बने रहे।
उधर, कड़ी मौद्रिक नीतियों की आशंका के कारण ब्याज दर के लिहाज से संवदेनशील रियल एस्टेट और बैंकिंग के शेयर नीचे आए। रिलायंस उद्योग, रिलायंस पेट्रोलियम, रैनबैक्सी उन शेयरों में शामिल थे जिन पर जून के कांट्रेक्ट के लिए सक्रिय कारोबार हुआ। एनएसई के डेरिवेटिव क्षेत्र का टर्नओवर 538.9 अरब रुपये था, जो सोमवार को 583.3 अरब रुपये ही था।
सोमवार को डेरिवेटिव क्षेत्र में कुल ग्रॉस पोजिशन में विदेशी संस्थागत निवेशकों का हिस्सा 40.75 फीसदी था, जो पिछले सत्र में 40.17 फीसदी था। उधर, आज के कारोबारी सत्र में नेशनल शेयर बाजार का निफ्टी 52 अंक नीचे आकर 4449.80 के 2008 में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले कारोबारी दिवस में इसका सूचकांक 4369.80 के 8 माह के सबसे निचली पायदान की भी सैर कर आया।
बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स भी 177 अंक नीचे गिरकर 14,889.25 अंकों के स्तर पर पहुंच गया। पिछले दो कारोबारी सत्रों में इसका सूचकांक 700 अंक से अधिक नीचे जा चुका है। एंजेल ब्रोकिंग के हितेश अग्रवाल ने बताया कि इस समय में कई मैक्रो इकनामिक फैक्टर भी बाजार के पक्ष में नहीं है। इनमें मुद्रास्फीति की ऊंची दर, तेल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव, स्थानीय मुद्रा और आरबीआई द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने की आशंका प्रमुख हैं।