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RBI के फैसले के बाद क्या करें निवेशक? MF के जरिए बॉन्ड में लगाएं पैसा या बना लें दूरी

ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक के फैसले के बाद भारत के सॉवरेन बॉन्ड यील्ड में ज्यादा बदलाव नहीं आया

Last Updated- October 01, 2025 | 7:29 PM IST
Mutual Fund

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने बुधवार को मौद्रिक नीति का ऐलान किया। गवर्नर ने बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया और रीपो रेट को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा। केंद्रीय बैंक ने पॉलिसी रुख को भी “न्यूट्रल” बनाए रखा। आरबीआई के इन फैसलों के बाद निवेशक इस उलझन में है कि उन्हें म्युचुअल फंड के जरिए बॉन्ड में निवेश बढ़ाना चाहिए या नहीं? RBI के रुख को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि निकट भविष्य में बॉन्ड यील्ड के सीमित दायरे में रहने की संभावना है।

बॉन्ड बाजार पर नहीं दिखा असर

ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक के फैसले के बाद भारत के सॉवरेन बॉन्ड यील्ड में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। बेंचमार्क 10-वर्षीय IGB यील्ड दोपहर तक 6.55 फीसदी से 6.60 फीसदी के सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था।

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एडलवाइस म्युचुअल फंड ने एक नोट में कहा, “हम सतर्क रूप से आशावादी बने हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में IGB यील्ड इसी दायरे में बनी रह सकती है। मांग और सप्लाई के बदलते समीकरण तथा जीएसटी सुधारों से सरकारी वित्तीय हालात में होने वाले विकास के चलते IGB यील्ड कर्व के धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

जून के एमपीसी नतीजों के बाद से IGB यील्ड में बढ़ोतरी का रुझान रहा है। इस मजबूती के कई कारण हैं — बाहरी और आंतरिक दोनों। एडलवाइस म्युचुअल फंड ने कहा, “हमारा अनुमान है कि सकारात्मक संकेतों के अभाव में निकट भविष्य में सॉवरेन यील्ड स्थिर और सीमित दायरे में रहेगी।”

फंड हाउस ने आगे कहा कि हमने अगस्त एमपीसी के बाद निवेशकों को उनके फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो में अधिकतर अक्रूअल स्ट्रैटेजी पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी। हमारे अनुसार, निवेशकों को 2 से 3 साल की अवधि में मैच्योर होने वाले क्वालिटी बॉन्ड्स में धीरे-धीरे निवेश बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

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बजाज फिनसर्व एएमसी के फिक्स्ड इनकम हेड सिद्धार्थ चौधरी ने कहा, तरलता (liquidity) में सुधार के साथ, लिक्विड फंड और मनी मार्केट फंड अभी भी अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प बने रहेंगे। 2 से 5 साल की अवधि वाले बॉन्ड्स की आगे भी अच्छी डिमांड रहेंगी। लॉन्ग-ड्यूरेशन फंड से शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए हम बैंकिंग और पीएसयू फंड्स में निवेश की सिफारिश करेंगे।

First Published - October 1, 2025 | 7:29 PM IST

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