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शेयर बाजार गिरने का फायदा उठाकर म्युचुअल फंड ने मार्च में की दमदार खरीदारी, SBI MF के जॉइंट CEO ने बताई वजह

म्युचुअल फंड की आवक में तेज बढ़ोतरी से DIIs का कुल निवेश भी बढ़कर 56,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इनमें म्युचुअल फंडों के अलावा बीमा फर्में और पेंशन फंड भी शामिल हैं।

Last Updated- April 02, 2024 | 10:38 PM IST
Be careful before investing in Mutual Fund, tax rules have changed

देसी म्युचुअल फंडों ने मार्च में भारतीय शेयरों में 45,120 करोड़ रुपये झोंके, जो किसी एक महीने में अब तक की सबसे ज्यादा खरीदारी है। देसी फंडों ने यह भारी खरीद उस समय की है, जब स्मॉल और मिड कैप फंडों में तेजी से बिकवाली हो रही है और ब्लू चिप कंपनियों के शेयरों की बड़ी ब्लॉक डील हो रही हैं।

मार्च की यह आवक फरवरी में हुई खरीद के मुकाबले करीब 3 गुना है। इससे पहले पिछली रिकॉर्ड खरीद मार्च, 2020 में हुई थी, जब म्युचुअल फंडों ने शुद्ध तौर पर 30,300 करोड़ रुपये लगाए थे। इस कैलेंडर वर्ष में अभी तक म्युचुअल फंडों ने 85,200 करोड़ रुपये की शुद्ध इक्विटी खरीदारी की है, जो पिछले पूरे साल में हुई 1.7 लाख करोड़ रुपये की खरीद की करीब आधी है।

म्युचुअल फंडों के अधिकारियों का कहना है कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में खरीदारी एकाएक तेज हो गई क्योंकि निवेशक बाजार में गिरावट के दौरान खरीदारी कर फायदा उठाना चाहते थे।

एसबीआई म्युचुअल फंड के उप प्रबंध निदेशक और संयुक्त सीईओ डीपी सिंह ने कहा, ‘महीने के दूसरे पखवाड़े में इक्विटी फंडों में रकम की आवक कुछ बढ़ गई, जिसके कारण शेयरों में ज्यादा पैसा लगाया गया।’

म्युचुअल फंड की आवक में तेज बढ़ोतरी से देसी संस्थागत निवेशकों का कुल निवेश भी बढ़कर 56,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इनमें म्युचुअल फंडों के अलावा बीमा फर्में और पेंशन फंड भी शामिल हैं। इनके निवेश ने भी पिछला रिकॉर्ड मार्च, 2020 में ही बनाया था, जब कुल 55,600 करोड़ रुपये की लिवाली की गई थी। मार्च में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भी शुद्ध खरीदार रहे क्योंकि उन्होंने 30,900 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

म्युचुअल फंड और एफपीआई से एक ही महीने में इतनी भारी रकम शेयरों में आना आम बात नहीं है। मगर मार्च में आईटीसी, टीसीएस और इंटरग्लोब एविएशन जैसी नामी कंपनियों के शेयर बड़ी तादाद में बिके।

बाजार प्रतिभागियों ने कहा कि शेयर बाजार से इन कंपनियों के शेयर भारी तादाद में खरीदने जाने से भाव बिगड़ जाते हैं। इसलिए संस्थागत निवेशकों ने इसे बढ़िया मौका माना और अपने पास रखी रकम का इस्तेमाल कर इनमें से कुछ शेयर खरीद लिए।

म्युचुअल फंडों ने ब्लॉक डील के जरिये करीब 10,000 करोड़ रुपये लगाए।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड ने ही मार्च की शुरुआत में एक ब्लॉक डील के जरिये आईटीसी के करीब 5,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। एसबीआई म्युचुअल फंड और निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड और इस कंपनी ने एस्टर डीएम हेल्थकेयर में भी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। आवास फाइनैंसर्स में 860 करोड़ रुपया का एसबीआई म्युचुअल फंड का निवेश बड़े सौदों में शामिल था।

म्युचुअल फंडों का शेयर खरीदना ज्यादातर तीन बातों पर निर्भर करता है – निवेशकों से आवक, पास रखी नकदी में बदलाव और हाइब्रिड फंड पोर्टफोलियो की ऐसेट श्रेणियों में बदलाव। मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष 20 फंड कंपनियों की इक्विटी योजनाओं के पास फरवरी, 2024 के अंत में करीब 5.2 फीसदी नकदी थी। अगर मान लें कि सभी इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं के पास 5 फीसदी नकदी रखी है तो सभी इक्विटी फंड मैनेजरों के पास कुल नकदी 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर होगी।

मार्च में कुछ सत्रों में शेयर बाजार तेजी से गिरे थे और मिड तथा स्मॉल कैप शेयरों में खास तौर पर गिरावट आई थी। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स छह सत्रों के दौरान 1 फीसदी से ज्यादा लुढ़का। 13 मार्च को यह इंडेक्स 5 फीसदी से ज्यादा गिर गया। मार्च में 12 फीसदी से ज्यादा ऊपर-नीचे होने के बाद इंडेक्स ने महीने का खात्मा 4.4 फीसदी गिरावट के साथ किया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.5 फीसदी गिरकर बंद हुआ। निफ्टी 50 इंडेक्स में पिछले महीने कुल 1.6 फीसदी इजाफा हुआ।

First Published - April 2, 2024 | 10:38 PM IST

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