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₹1 लाख करोड़ पार: PPFAS फ्लेक्सीकैप फंड की बड़ी छलांग, रिटर्न और भरोसे का जबरदस्त कॉम्बिनेशन

पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड अपनी श्रेणी में एकमात्र ऐसी योजना है जिसे अपने कोष का 35 फीसदी तक अंतरराष्ट्रीय शेयरों में निवेश करने का अधिकार है।

Last Updated- May 13, 2025 | 10:37 PM IST
Mutual Fund
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

देश की सबसे बड़ी म्युचुअल फंड कंपनियों को आमतौर पर बड़े बैंकों का सहारा मिला हुआ है। लेकिन सक्रियता से प्रबंधित देश की सबसे बड़ी योजना अपेक्षाकृत कम मशहूर फंड हाउस की है। पराग पारिख फाइनैंशियल एडवाइजरी सर्विसेज (पीपीएफएएस) म्युचुअल फंड की मुख्य योजना पराग पारिख फ्लेक्सीकैप फंड हाल में पहली ऐसी ऐक्टिव योजना बन गई है जिसकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 1 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गई है।

पीपीएफएएस फंड की बढ़ोतरी की वजह?

विशेषज्ञ इस फंड के लगातार बेहतर प्रदर्शन और निवेश के विशिष्ट नजरिये को इसकी वजह बताते हैं। पराग पारिख फ्लेक्सी कैप फंड अपनी श्रेणी में एकमात्र ऐसी योजना है जिसे अपने कोष का 35 फीसदी तक अंतरराष्ट्रीय शेयरों में निवेश करने का अधिकार है। साथ ही वह बड़ी कैश पोजीशन बनाए रखने को लेकर भी लचीला रुख अपनाती है।

वर्ष 2015 में अमेरिका में एक कार दुर्घटना में पिता पराग पारिख की मृत्यु के बाद नील पारिख ने कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का पद संभाला था। उन्होंने कहा, यह विशिष्टीकरण लाभ का सौदा रहा रहा है, खासकर बाजार में उथल-पुथल के समय। उदाहरण के लिए 2016 में अंतरराष्ट्रीय निवेश के कारण नोटबंदी का प्रभाव हमारे लिए सीमित रहा था। ज्यादा नकदी ने 2018 की उथल-पुथल और 2020 में महामारी के समय गिरावट के दौरान हमारी मदद की। निवेश जगत में मशहूर सीनियर पारिख ने वर्ष 1992 में कंपनी की स्थापना की थी।

9 मई तक यह फंड 10 साल के रिटर्न चार्ट पर दूसरे स्थान पर रहा है और पांच साल की अवधि में पांचवें स्थान पर। इसकी रेगुलर योजना ने शुरुआत से लेकर अब तक 19 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है जबकि बेंचमार्क निफ्टी 500 टीआरआई से सालाना 15 फीसदी का चक्रवृद्धि रिटर्न मिला है।

पीपीएफएएस एमएफ ने 2013 में अपने फ्लेक्सीकैप फंड की पेशकश के साथ फंड क्षेत्र में प्रवेश किया था। पीएमएस के लिए न्यूनतम निवेश सीमा में तेज वृद्धि के कारण उसने पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) से इधर का रुख किया था। फंड हाउस 2019 तक एक छोटी-मोटी कंपनी बना रहा, जिसकी सीमित ब्रांड पहचान, छोटा ट्रैक रिकॉर्ड और वितरण तक सीमित पहुंच थी।

इसकी वृद्धि की गति को समझें तो योजना का एयूएम पहली बार 2018 में 1,000 करोड़ को पार कर गया था और महामारी से पहले केवल 2,500 करोड़ तक बढ़ा था जबकि इसके प्रदर्शन को व्यापक मान्यता मिलनी शुरू हो गई थी।

अपनी शुरुआत से ही फ्लेक्सीकैप फंड का प्रबंधन राजीव ठक्कर कर रहे हैं। ठक्कर 2001 में पीपीएफएएस में शोध प्रमुख के रूप में शामिल हुए और 2013 में मुख्य निवेश अधिकारी बनने से पहले पीएमएस रणनीतियों का प्रबंधन करते रहे।

किसी भी फंड योजना के लिए प्रदर्शन अहम होता है। लेकिन संचार और वितरण भी महत्त्वपूर्ण होता है। पीपीएफएएस फंड की संचार रणनीति बाकी फंडों से उसे अलग करती है।

किसी प्रायोजित बैंक का वितरण नेटवर्क न होने के बावजूद फंड हाउस ने स्वतंत्र वितरकों के माध्यम से अपनी पहुंच बनाई है। यह एकमात्र ऐसा फंड हाउस भी है जो हर साल बर्कशर हैथवे-शैली की यूनिटहोल्डर्स मीटिंग आयोजित करता है, जहां शीर्ष प्रबंधन लोगों को निवेश निर्णयों के बारे में बताते हैं और निवेशकों के सवालों का जवाब देते हैं।

फिसडम के शोध प्रमुख नीरव करकेरा ने कहा, उसने बिक्री और विपणन के लिए अपेक्षाकृत संयमित दृष्टिकोण अपनाया है और इसके बजाय अपनी योजनाओं पर ध्यान दिया है। यह किसी योजना या उत्पाद के बल पर बढ़ोतरी का शानदार उदाहरण है। अच्छे से होने वाली सालाना निवेशक बैठकें भी इसे उद्योग में खास बनाती हैं।

एक ही योजना पर ध्यान केंद्रित करने और प्रदर्शन दिखाते समय निवेशकों को इसकी बारीकियों को समझाने की क्षमता ने पीपीएफएएस को व्यवस्थित रूप से बढ़ने में मदद की है। वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार ने कहा, दीर्घकालिक फोकस के साथ अनुशासित, बॉटम-अप वैल्यू निवेश का इसका सरल फलसफा कारगर रहा है।

इस योजना की लोकप्रियता इस तथ्य से स्पष्ट है कि पीपीएफएएस के पास उद्योग में डायरेक्ट प्लान से एयूएम का सबसे अधिक हिस्सा करीब 65 फीसदी है। डायरेक्ट प्लान में निवेश आम तौर पर खुद निवेशकों से सीधे आता है जबकि रेगुलर प्लान वितरक की सिफारिशों पर निर्भर करते हैं।

अन्य बड़े और मझोले आकार के फंड हाउसों की तुलना में पीपीएफएएस में सबसे कम-सिर्फ छह-योजनाएं हैं। इनमें फ्लेक्सीकैप और इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना ही एकमात्र सक्रिय इक्विटी पेशकश हैं। कुछ वितरकों और विश्लेषकों की एक चिंता फंड का आकार है जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे प्रबंधक के लिए जल्दी से अपनी पोजीशन बदलना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, फंड हाउस का कहना है कि आकार भले ही बाधा डालता हो लेकिन योजना के खरीदो और पास में रखो की थीम के कारण उसके लिए यह चिंता की बात नहीं है।

 2022 से विदेशी निवेश पर नियामक बाधाओं के कारण घटते अंतरराष्ट्रीय निवेश ने भी इसकी स्थिति को कमजोर कर दिया है। कुछ विश्लेषक यह भी बताते हैं कि अगर भारतीय बाजार में लंबे समय तक तेजी जारी रहती है तो कैश कॉल और अमेरिकी बाजार के लंबे समय तक खराब प्रदर्शन से अल्पावधि से मध्यम अवधि में स्कीम के रिटर्न पर असर पड़ सकता है।

First Published - May 13, 2025 | 10:31 PM IST

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