Overlapping Mutual Funds: म्युचुअल फंड्स उन निवेशकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं जो अपने पैसे को अलग-अलग जगह लगाकर रिस्क कम करना चाहते हैं और एक्सपर्ट फंड मैनेजर पर भरोसा करते हैं। लेकिन इसमें एक छिपा हुआ जोखिम भी है—पोर्टफोलियो ओवरलैप। कई निवेशक मानते हैं कि अगर उन्होंने कई फंड्स में निवेश किया है, तो उनका पैसा सुरक्षित है क्योंकि वह अलग-अलग जगहों पर फैला हुआ है। लेकिन अगर ये फंड्स एक ही तरह के स्टॉक्स में निवेश कर रहे हों, तो यह जोखिम को और बढ़ा सकता है। इस ओवरलैप से डाइवर्सिफिकेशन का फायदा कम हो सकता है और आपके कुल रिटर्न में भी गिरावट आ सकती है।
जब आपके पोर्टफोलियो में मौजूद दो या ज्यादा म्युचुअल फंड्स एक जैसे या समान स्टॉक्स या सेक्टर्स में निवेश करते हैं, तो उसे ओवरलैप कहा जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने दो लार्ज-कैप इक्विटी फंड्स में निवेश किया है, तो हो सकता है कि दोनों ही फंड्स रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक या इंफोसिस जैसे ब्लूचिप स्टॉक्स में भारी निवेश कर रहे हों। ऐसे में रिस्क को अलग-अलग जगह बांटने की बजाय, आप एक ही कंपनियों में ज्यादा एक्सपोज हो जाते हैं, जिससे आपका जोखिम बढ़ सकता है।
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टॉप होल्डिंग्स चेक करें: अपने पोर्टफोलियो में शामिल हर म्युचुअल फंड की टॉप 10 होल्डिंग्स की जांच करें। अगर आपको एक जैसे स्टॉक्स बार-बार दिखाई दें, तो इसका मतलब है कि आपके पोर्टफोलियो में काफी ओवरलैप है।
ऑनलाइन टूल्स का इस्तेमाल करें: वैल्यू रिसर्च (Value Research), मॉर्निंगस्टार (Morningstar), ग्रो (Groww) और डिजर्व (Dezerv) जैसे प्लेटफॉर्म पोर्टफोलियो ओवरलैप एनालिसिस टूल्स उपलब्ध कराते हैं। ये टूल्स आपकी होल्डिंग्स में मौजूद एक जैसे स्टॉक्स और सेक्टर्स को जल्दी और आसानी से दिखा देते हैं।
फंड कैटेगरी की समीक्षा करें: अगर आपने एक ही कैटेगरी के कई फंड्स में निवेश किया है (जैसे तीन लार्जकैप फंड्स), तो ऐसे मामलों में अक्सर दोहराव और ओवरलैप होता है।
आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के डायरेक्टर ऋषिकेश पालवे ने कहा, “निवेशकों को म्युचुअल फंड ओवरलैप को कम करने और पोर्टफोलियो की क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ अहम रणनीतियों का पालन करना चाहिए। सबसे पहले, उन्हें अलग-अलग फंड कैटेगरी में निवेश करके डाइवर्सिफिकेशन सुनिश्चित करना चाहिए—जैसे लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स का संतुलित मिश्रण। दूसरा, हर म्युचुअल फंड की अंडरलाइंग होल्डिंग्स का विश्लेषण करना चाहिए ताकि किसी भी स्टॉक या सेक्टर में ओवरलैप की पहचान की जा सके और दोहरे निवेश को हटाकर बेहतर तरीके से पूंजी को दोबारा आवंटित किया जा सके।”
पालवे ने आगे कहा कि अंत में, निवेशकों को नियमित रूप से पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग करनी चाहिए ताकि उनकी एसेट एलोकेशन वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप बनी रहे और समय के साथ सही डाइवर्सिफिकेशन बरकरार रखा जा सके।
टाटा एसेट मैनेजमेंट की प्रोडक्ट हेड शैली गंग ने कहा, “निवेशकों को हर कैटेगरी में दो या तीन फंड्स का चयन करना चाहिए और अलग-अलग फंड हाउसेज में भी डाइवर्सिफिकेशन करना चाहिए। एक ही कैटेगरी में ज्यादा फंड्स खरीदने से पोर्टफोलियो में ओवरलैप की समस्या हो सकती है। इसी तरह, अगर कोई निवेशक सिर्फ 2 फंड हाउसेज की स्कीम्स में ही अलग-अलग कैटेगरी में निवेश करता है, तो वह विभिन्न फंड हाउस की इनवेस्टमेंट फिलॉसफी और फंड मैनेजरों की विविध सोच का फायदा नहीं उठा पाएगा।”