जून 2025 में एक्टिव म्युचुअल फंड स्कीमों की जोरदार खरीदारी पांच महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। ICICI सिक्योरिटीज के अनुमान के अनुसार यह लगभग ₹44,900 करोड़ रही। वहीं, इक्विटी-आधारित स्कीमों (हाइब्रिड समेत) में कुल निवेश लगभग ₹30,000 करोड़ रहा। इस जोरदार खरीदारी का नेतृत्व मिड कैप शेयरों ने किया। इतनी भारी खरीदारी के कारण म्युचुअल फंड्स की एक्टिव स्कीमों के पास नकद राशि घटकर सिर्फ 5.3% रह गई, जो इस साल अब तक की सबसे कम नकदी स्थिति (cash position) है। यह नकद राशि लगभग ₹1.78 लाख करोड़ रही।
हालांकि जुलाई 2025 में अब तक म्युचुअल फंड्स की खरीदारी का जोश थोड़ा कम हुआ है। 14 जुलाई तक कुल निवेश ₹10,200 करोड़ रहा। इसके उलट, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) में निवेश जून 2025 में रिकॉर्ड ₹27,300 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। यह संकेत देता है कि जुलाई में म्युचुअल फंड्स के पास नकदी थोड़ी बढ़ सकती है।
विदेशी निवेशकों (FPI) ने जून 2025 में भारतीय शेयरों में ₹20,400 करोड़ का निवेश किया था, लेकिन जुलाई में अब तक वे ₹2,300 करोड़ के बिकवाल बने हैं। जून में FPI की खरीदारी मुख्य रूप से फाइनेंशियल, एनर्जी, ऑटो और टेलिकॉम सेक्टर में रही, जबकि पावर, FMCG और इंडस्ट्रियल सेक्टर में उन्होंने ज्यादा बिकवाली की।
ICICI सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुल ₹44,900 करोड़ की नेट खरीदारी में से लार्ज, मिड और स्मॉलकैप शेयरों में क्रमश: ₹11,800 करोड़, ₹19,400 करोड़ और ₹9,500 करोड़ की खरीदारी हुई।
Large Caps: बड़ी कंपनियों में सबसे ज्यादा पैसा कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी सेक्टर (₹11,800 करोड़), यूटिलिटी सेक्टर (₹5,750 करोड़) और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर (₹2,960 करोड़) में लगा। वहीं, प्राइवेट बैंक (₹4,400 करोड़), ऑटो सेक्टर (₹2,800 करोड़) और इंडस्ट्रियल्स (₹2,150 करोड़) में भारी बिकवाली देखने को मिली।
Mid Caps: कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी सेक्टर में सबसे ज्यादा पैसा आया (करीब ₹9,900 करोड़)। इसके बाद इंडस्ट्रियल्स (₹6,600 करोड़) और हेल्थकेयर (₹3,700 करोड़) सेक्टर में अच्छी खरीदारी हुई। वहीं, एक्सचेंज सेक्टर से करीब ₹1,200 करोड़, इंश्योरेंस से ₹800 करोड़ और सीमेंट से ₹760 करोड़ की बिकवाली हुई।
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Small Caps: फाइनेंशियल सर्विसेज में ₹2,100 करोड़, इंश्योरेंस और हेल्थकेयर में करीब ₹1,600-₹1,600 करोड़, इंडस्ट्रियल्स में ₹1,500 करोड़ और ऑटो सेक्टर में ₹1,000 करोड़ की खरीदारी देखने को मिली। दूसरी ओर, आईटी से करीब ₹820 करोड़ और एनर्जी सेक्टर से ₹360 करोड़ की निकासी हुई।