facebookmetapixel
Share Market: जीएसटी राहत और चीन से गर्मजोशी ने बढ़ाई निवेशकों की उम्मीदेंWeather Update: बिहार-यूपी में बाढ़ का कहर जारी, दिल्ली को मिली थोड़ी राहत; जानें कैसा रहेगा आज मौसमपांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोन

Manufacturing Funds: कमाई का मौका या जोखिम भरा जुआ? ट्रेड वार के बीच मैन्युफैक्चरिंग फंड्स पर दांव लगाने से पहले जानें सच

वर्तमान में बाजार में 12 एक्टिवली मैनेज्ड मैन्युफैक्चरिंग फंड मौजूद हैं, जिनका कुल AUM ₹32,999 करोड़ है। इसके अलावा 4पैसिव फंड भी हैं, जिनका कुल AUM ₹473 करोड़ है।

Last Updated- April 25, 2025 | 8:06 AM IST
Mutual Fund

Manufacturing Funds: अमेरिका द्वारा शुरू किए गए टैरिफ विवाद के कई हफ्तों बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा 90 दिन की बातचीत की समयसीमा की घोषणा से तनाव कुछ कम हुआ। हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहा, लेकिन इसके बाद ध्यान भारतीय और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पर इसके प्रभाव की ओर मुड़ गया। ICICI प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर ललित कुमार कहते हैं, “ग्लोबल टैरिफ वॉर ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित कर दिया है। भारत ने अन्य देशों के उलट टकराव बढ़ाने के बजाय द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं का रास्ता अपनाकर एक समझदारी भरा कदम उठाया है। इससे भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को फायदा हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां हम अमेरिका को नेट एक्सपोर्टर हैं। इससे हमें बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका भी मिल सकता है। हालांकि, इसका अंतिम असर चल रही व्यापार वार्ताओं के नतीजों पर निर्भर करेगा।”

वर्तमान में बाजार में 12 एक्टिवली मैनेज्ड मैन्युफैक्चरिंग फंड मौजूद हैं, जिनका कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹32,999 करोड़ है। इसके अलावा चार पैसिव फंड भी हैं, जिनका कुल AUM ₹473 करोड़ है।

निवेशकों की चिंता अब कुछ कम हुई

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय वार्ताएं जारी रहने से उन निवेशकों की चिंता कम हुई है जो निर्यात-आधारित मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और थीमैटिक मैन्युफैक्चरिंग फंड्स में निवेश को लेकर आशंकित थे। ये फंड्स अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 80% हिस्सा विभिन्न मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में निवेश करते हैं।

Also read: पांच साल में ज्यादातर इक्विटी फंड बेंचमार्क से पीछे, केवल 30% का प्रदर्शन बेहतर: IR डेटा

सरकार की पॉलिसियों से मिल रही मजबूती

सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम, निर्यात प्रोत्साहन और आयात प्रतिस्थापन जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ वैश्विक कंपनियों द्वारा अपनाई जा रही ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती दे रही है।

बड़ौदा बीएनपी परिबास म्युचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर जितेंद्र श्रीराम कहते हैं, “जिस तरह अमेरिका अपने हितों की रक्षा कर रहा है, उसी तरह भारत के पास भी यह मौका है कि वह आयात पर निर्भरता कम करे और मैन्युफैक्चरिंग ट्रेड डेफिसिट को बेहतर तरीके से संतुलित करे। सरकार मैन्युफैक्चरिंग का जीडीपी में योगदान बढ़ाने पर जोर दे रही है, ऐसे में यह थीम आगे भी बनी रहेगी और इसकी ग्रोथ जीडीपी ग्रोथ से भी तेज हो सकती है। इसलिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग में मजबूत बनी रहने की संभावना है।”

थीमैटिक फंड्स में ज्यादा रिस्क

चूंकि मैन्युफैक्चरिंग फंड थीमैटिक नेचर के होते हैं, इसलिए इनमें जोखिम भी ज्यादा होता है। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर पारुल माहेश्वरी कहती हैं, “मैन्युफैक्चरिंग एक थीमैटिक निवेश विकल्प है जो जोखिम भरा और अस्थिर हो सकता है। इस सेक्टर का प्रदर्शन आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों से प्रभावित हो सकता है।”

Also read: NFO: इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ में कमाई का मौका! Motilal Oswal का नया फंड लॉन्च; सिर्फ ₹500 से निवेश शुरू

निवेशकों को अपनी एसेट एलोकेशन की समीक्षा करनी चाहिए और अगर इक्विटी या खासकर थीमैटिक फंड्स में ज्यादा निवेश है तो उसे संतुलित करना चाहिए। श्रीराम कहते हैं, “सेक्टोरल या थीमैटिक फंड्स का जोखिम सामान्य ब्रॉड-बेस्ड फंड्स की तुलना में अधिक होता है। अगर किसी निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता कम है, तो उन्हें इन फंड्स में अपने निवेश के स्तर और उपयुक्तता पर जरूर विचार करना चाहिए।” कुछ अपवादों को छोड़कर, अधिकांश मैन्युफैक्चरिंग फंड्स का ट्रैक रिकॉर्ड छोटा है।

लॉन्गटर्म सोच जरूरी

जो निवेशक जल्दी मुनाफा कमाने की उम्मीद में मैन्युफैक्चरिंग फंड्स में निवेश करना चाहते हैं, उन्हें निराशा हो सकती है। क्योंकि व्यापार से जुड़े विवादों को सुलझने में समय लग सकता है। इसके अलावा, भारतीय मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी लगातार बदलते हालात के अनुसार खुद को ढाल रही हैं। इसलिए इस सेक्टर में निवेश के लिए लंबी अवधि की सोच जरूरी है।

Also read: NFO: डिजिटल इंडिया में निवेश का मौका, Edelweiss लाया पहला BSE इंटरनेट इकोनॉमी फंड; सिर्फ ₹100 से निवेश शुरू

पारुल माहेश्वरी कहती हैं, “जो निवेशक जोखिम उठाने के इच्छुक हैं और सात साल तक इंतजार कर सकते हैं, वे सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं। उन्हें अपनी कुल निवेश राशि का अधिकतम 5% ही इन फंड्स में लगाना चाहिए। वहीं, कंजर्वेटिव निवेशकों या पहली बार निवेश करने वालों को इन फंड्स से दूरी बनाकर लार्ज कैप से जुड़े डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स में ही निवेश करना चाहिए।”

First Published - April 25, 2025 | 8:06 AM IST

संबंधित पोस्ट