ETFs vs Index Funds: एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) और इंडेक्स फंड (Index Funds) आज के समय में पैसिव इन्वेस्टमेंट के दो सबसे पॉपुलर टूल्स बन गए हैं। दोनों फंड्स का मकसद किसी खास मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करके इन्वेस्टर्स को स्टेबल और डाइवर्सिफाइड रिटर्न देना है। कम लागत में डाइवर्सिफिकेशन, आसानी से एक्सेसिबल और कम रिस्क के चलते ये दोनों फंड्स लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के बीच काफी पसंद किए जाते हैं। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि ETFs और Index Funds उन इन्वेस्टर्स के लिए बेहतर हैं, जो कम एक्टिव इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं और मार्केट के लॉन्ग-टर्म ग्रोथ का फायदा उठाना चाहते हैं। हालांकि, दोनों फंड्स की कार्यप्रणाली और लिक्विडिटी में कुछ अंतर है, जो इन्वेस्टर्स की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है।
मार्केट एक्सपर्ट अजीत गोस्वामी बताते हैं कि ETF और Index Fund की ट्रेडिंग का तरीका अलग है। ETF की ट्रेडिंग दिनभर शेयर बाजार की तरह होती है, यानी आप इसे किसी भी समय बाजार मूल्य पर खरीद या बेच सकते हैं। वहीं, Index Funds सिर्फ दिन के अंत में उनके नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर खरीदे या बेचे जा सकते हैं।
Moneyfront के सीईओ और एमडी मोहित गांग कहते हैं कि ETF में लिक्विडिटी ट्रेडिंग वॉल्यूम और बाजार की मांग पर निर्भर करती है। जबकि Index Fund, ETF की तुलना में कम लिक्विड होते है।
कुल जमा बात यह है कि ETF उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो दिन में समयानुसार ट्रेडिंग करना चाहते हैं, जबकि Index Fund लंबे समय तक एक सरल रणनीति अपनाने वाले निवेशकों के लिए सही माने जाते हैं।
ETF और Index Fund में निवेश करने से पहले उनके खर्च और न्यूनतम राशि के नियमों को समझना जरूरी है। मोहित गांग बताते हैं कि ETFs में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है। इसमें ब्रोकरेज फीस लगती है और आमतौर पर न्यूनतम निवेश एक यूनिट से शुरू होता है।
वहीं, Index Fund को सीधे एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) से खरीदा जा सकता है। इसमें निवेशक SIP या लंपसम के जरिए निवेश कर सकते हैं और इसके लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती।
अजीत गोस्वामी कहते हैं, ETFs की एक्सपेंस रेश्यो (खर्च) आमतौर पर Index Funds की तुलना में कम होती है। लेकिन ETFs की ट्रेडिंग स्टॉक्स की तरह होती है, जिससे बार-बार खरीद-बिक्री करने पर ब्रोकरेज फीस लग सकती है, जो समय के साथ बढ़ सकती है। दूसरी ओर, Index Funds में कोई कमीशन नहीं लगता, लेकिन इन पर मैनेजमेंट फीस थोड़ी ज्यादा हो सकती है।
निवेश की बात करें तो Index Funds में निवेश करने के लिए अक्सर एक न्यूनतम राशि की जरूरत होती है, जो कई बार हजारों रुपये तक हो सकती है। इसके विपरीत, ETFs में निवेशक सिर्फ एक शेयर खरीदकर भी शुरुआत कर सकते हैं। इसका मतलब है कि कम पूंजी वाले या नए निवेशक भी ETFs में आसानी से कदम रख सकते हैं।
Index Funds के प्रदर्शन की बात करें, तो बीते पांच साल में टॉप-5 इंडेक्स फंड्स ने निवेशकों को करीब 15-19% का रिटर्न दिया है। इनमें DSP Nifty 50 Equal Weight Index Fund के डायरेक्ट स्कीम ने सबसे ज्यादा 19.66% का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में अगर किसी ने पांच साल पहले 1 लाख रुपये का लंप-सम निवेश किया होता, तो आज उसकी वैल्यू बढ़कर करीब 2.45 लाख रुपये से ज्यादा है।
आइए म्युचुअल फंड कैलकुलेशन के जरिए समझते हैं कि अगर किसी निवेशक ने पांच साल पहले इन टॉप-5 इंडेक्स फंड्स में 1 लाख का लंप-सम निवेश किया होता, तो आज उसकी वैल्यू कितनी होती….
S.NO | Index Fund | 5 year Return (%) | Total Value (in Lakh) |
1 | DSP Nifty 50 Equal Weight Index Fund – Direct Plan | 19.66 | 2,45,327 |
2 | UTI Nifty Next 50 Index Fund – Direct Plan | 17.05 | 2,19,714 |
3 | DSP Nifty Next 50 Index Fund – Direct Plan | 16.88 | 2,18,123 |
4 | ICICI Prudential Nifty Next 50 Index Fund – Direct Plan | 16.83 | 2,17,657 |
5 | Bandhan Nifty 50 Index Fund – Direct Plan | 15.41 | 2,04,747 |
स्त्रोत: वैल्यू रिसर्च (10 फरवरी, 2025 के NAV पर आधारित)
मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं, आपकी निवेश आदतें इस सवाल का जवाब तय करती हैं। अगर आपको फ्लैक्सिबल, टैक्स सेविंग और फ्रीडम ऑफ ट्रेडिंग चाहिए, तो ETFs आपके लिए सही हो सकते हैं। ये आपको फ्लेक्सिबल ट्रेडिंग और बेहतर टैक्स बेनिफिट्स देते हैं।
दूसरी ओर, अगर आपका फोकस लंबी अवधि के निवेश पर है और आप Intraday Price Fluctuation की टेंशन से बचना चाहते हैं, तो Index Funds आपके लिए ज्यादा सही रहेंगे। ये आपको कम रिस्क के साथ लंबे समय में वेल्थ बनाने में मदद करेंगे। दोनों ही विकल्प सही हैं, लेकिन किसी में भी इन्वेस्ट करने से पहले अपनी पर्सनल प्रेफरेंस, फाइनेंशियल गोल और रिस्क कैपेसिटी को ध्यान में रखकर फैसला लेना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: यहां फंड्स पर सलाह एक्सपर्ट ने दी है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)