भारतीय बाजार इस समय उतार-चढ़ाव की गिरफ्त में हैं। बाजार नियामक सेबी ने वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट में सट्टा दांवों में कमी करने के विभिन्न उपायों को लागू किया है। प्रभुदास लीलाधर में पीएल कैपिटल की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अमीषा वोरा ने निकिता वशिष्ठ को एक ईमेल साक्षात्कार में बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के मजबूत बुनियादी आधार ने बाजार की निरंतर वृद्धि के लिए एक ठोस आधार प्रदान किया है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
बाजार के मौजूदा हालात पर आपका क्या नजरिया है?
जापानी येन में गिरावट, जापान में ब्याज दरों में वृद्धि और रोजगार आंकड़ों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत जैसे वैश्विक घटनाक्रमों लगता है कि इन सबके कारण इक्विटी बाजारों में गिरावट का दौर शुरू हो सकता है। लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के मजबूत बुनियादी आधार ने बाजार वृद्धि के लिए एक ठोस आधार प्रदान किया है, जिससे बुलबुले जैसे हालात से जुड़ी चिंताएं दूर हुई हैं।
क्या आप मानती हैं कि एफऐंडओ कारोबार से जुड़े सेबी के नए प्रस्ताव रिटेल निवेशकों का डेरिवेटिव ट्रेडिंग से जुड़ा जोखिम दूर करने के लिए पर्याप्त होंगे?
सेबी के चर्चा पत्र में डेरिवेटिव बाजार मजबूत बनाने और निवेशक सुरक्षा बढ़ाने के कई प्रस्तावों को रखा गया है। इन प्रस्तावों का मकसद खासकर रिटेल निवेशकों द्वारा सट्टा व्यापार पर अंकुश लगाना तथा बाजार में स्थिरता सुनिश्चित करना है। इन्हें सितंबर तक लागू कर दिया जाना है। नए चर्चा पत्र में किए गए बदलावों का उद्देश्य बाजार को मजबूत करना तथा रिटेल निवेशकों को ज्यादा जोखिम वाले सट्टा कारोबार से बचाना है।
सेबी के प्रस्तावों से ब्रोकिंग उद्योग पर क्या असर पड़ेगा?
बाजार नियामक सेबी के प्रस्तावित बदलावों का उन डिस्काउंट ब्रोकरों पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा जिनका व्यवसाय रिटेल एफऐंडओ सौदों पर अधिक निर्भर है। अक्सर एक्सपायरी के दौरान सौदे करने वाले छोटे निवेशक इन बदलावों से प्रभावित होंगे। इसकी वजह से ट्रेडिंग की मात्रा में गिरावट आने की उम्मीद है, जिसका असर डिस्काउंट ब्रोकरों पर पड़ेगा। ऊंचे लेनदेन शुल्क और शोध-समर्थित सौदों एवं निवेश पर ध्यान केंद्रित करने वाले पारंपरिक ब्रोकरों पर इसका असर कम होने की संभावना है। हेज आर्बिट्रेज ट्रेडर भी काफी हद तक अप्रभावित रहेंगे।
क्या आपने बजट 2024 के बाद से रिटेल निवेशकों के कैश या एफऐंडओ ट्रेडिंग पैटर्न में कोई बदलाव देखा है?
बजट में कर बदलाव के प्रस्तावों के बावजूद कारोबार की मात्रा मजबूत बनी हुई है। आंकड़ों से बजट के बाद वायदा एवं विकल्प दोनों में तेजी का संकेत मिला है। हमारा मानना है कि खुदरा सट्टेबाजी कम करने के लिए मार्जिन में वृद्धि/लॉट आकार बढ़ाने सहित अधिक नियमन की आवश्यकता हो सकती है। हमें लगता है कि नियामक बदलावों का कारोबारी व्यवहार पर कर समायोजन की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।
जून तिमाही की आय में अब तक भारतीय उद्योग जगत का प्रदर्शन कैसा रहा है?
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही की आय मिली-जुली रही है। कुछ सेक्टर उम्मीदों पर खरे उतरे हैं जबकि अन्य में थोड़ी निराशा दिखी है। दलाल पथ की उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनियां बहुत कम हैं। ऊंची गुणवत्ता वाले लो बीटा सेक्टर और शेयरों को देखना तथा चक्रीय शेयरों की तुलना में उनसे जुड़ा वेटेज बढ़ाने में समझदारी है।
प्रभुदास लीलाधर ने कारोबार में 80 साल पूरे कर लिए हैं। आप भविष्य में कौन से 8 बदलाव देखना चाहती हैं?
हमें उम्मीद है कि ब्रोकिंग उद्योग एआई और बड़े डेटा एनालिटिक्स के निरंतर एकीकरण के साथ तकनीकी उन्नयन को अपनाएगा। तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल रखने वाले अनुकूल नियामक ढांचे होंगे, बैंकिंग सेवाओं से वंचित अधिक से अधिक लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाएगा।
निवेशक डेटा को सुरक्षित बनाने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाया जाएगा। विविध निवेशक आधार की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए नई वित्तीय योजनाएं आएंगी। ईएसजी निवेश और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा दिया जाएगा और पारदर्शिता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।