बाजारों के लिए 2023 की शुरुआत उतार-चढ़ाव भरी रही है। इक्विरस के प्रबंध निदेशक (शोध) आशुतोष तिवारी ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि वैश्विक तरलता सख्त बने रहने की संभावना है और साथ ही मंदी की आशंकाओं से भी बाजारों में अल्पावधि के दौरान अनिश्चितता बनी रह सकती है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
अगले कुछ महीनों के दौरान भारतीय बाजारों के लिए आपका क्या नजरिया है?
पिछले 17 महीनों के दौरान, भारतीय बाजारों ने मजबूत समेकन दर्ज किया है और निफ्टी के फॉर्वर्ड मल्टीपल में गिरावट आई है। हालांकि यह अभी भी ऐतिहासिक औसत के मुकाबले नीचे बना हुआ है, लेकिन अब पांच वर्षीय औसत के आसपास है। भारत मजबूत आंतरिक खपत, आयात के स्थानीयकरण और चाइना+ रणनीति की वजह से पैदा हो रहे बेहतर निर्यात अवसरों की वजह से अन्य देशों की तुलना में वृद्धि के संदर्भ में बेहतर हालत में है। हमने एक वर्षीय नजरिये से अच्छा प्रतिफल देखा है। हालांकि
वैश्विक तरलता सख्त बनी रहने की संभावना है, जिसके साथ साथ मंदी की आशंका से भी अल्पावधि में बाजार अस्थिर बने रह सकते हैं।
अदाणी समूह से जुड़े घटनाक्रम से निवेशक धारणा कितनी प्रभावित हुई है?
अदाणी समूह के शेयरों का म्युचुअल फंड स्वामित्व बहुत ज्यादा नहीं है, और इसलिए हमें धारणा पर अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है। इसकी वजह यह है कि बड़ी तादाद में छोटे निवेशक फंडों में एसआईपी के जरिये निवेश करते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के नजरिये से, बड़ा उतार-चढ़ाव उन्हें अल्पावधि में इंतजार करो और देखो की रणनीति अपनाने के लिए मजबूर कर सकता है, लेकिन आखिरकार विकास संभावना के संदर्भ में भारत का आकर्षण बरकरार रहेगा।
भारत में कई इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं अदाणी समूह द्वारा चलाई जा रही हैं। क्या आप हाल के घटनाक्रम को देखते हुए किसी तरह का प्रभाव पड़ने की आशंका देख रहे हैं?
ये परिसंपत्तियां एन्युटी मॉडल द्वारा समर्थित हैं। हम नहीं मानते कि क्रियान्वयन को लेकर कोई जोखिम पैदा होगा। निवेशकों को कम कर्ज और बेहतर नकदी प्रवाह वाली अच्छी गुणवत्ता की इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों पर नजर रखनी चाहिए।
आपके अनुसार दिसंबर तिमाही परिणाम कैसे रहे हैं?
दिसंबर तिमाही के दौरान कई उद्योगों में नरमी दिखी है, क्योंकि त्योहारों के बाद मांग कमजोर पड़ी। मजबूत वृद्धि के लिए ग्रामीण भारत में सुधार जरूरी है। रबी फसल अनुमानों के अनुसार अच्छी रहेगी, और यदि मॉनसून अच्छा रहा तो ग्रामीण आय में सुधार आएगा। निर्माण अगले कुछ वर्षों के दौरान भारत के लिए वृद्धि का मुख्य वाहक रह सकता है, और इसलिए पूंजीगत वस्तु, उद्योग, बिल्डिंग मैटेरियल तथा वाहन जैसे क्षेत्र वित्त वर्ष 2024 में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हम वाहन, पूंजीगत वस्तु, इन्फ्रा, बिल्डिंग मैटेरियल और औद्योगिक क्षेत्रों पर सकारात्मक तथा धातुओं पर नकारात्मक बने हुए हैं।
अगली कुछ तिमाहियों के दौरान प्राथमिक बाजारों के लिए राह कैसी रहेगी?
प्राथमिक बाजारों को मजबूत होने में कुछ महीने लगेंगे। निवेशकों ने अब सिर्फ उन्हीं व्यवसायों में अपनी दिलचस्पी बढ़ाई है, जो अच्छी ऐतिहासिक वृद्धि और नकदी प्रवाह से जुड़े हुए हैं। स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों के मल्टीपल में गिरावट की वजह से अच्छे रिकॉर्ड वाली कई सूचीबद्ध कंपनियों में अच्छी संभावनाएं बरकरार हैं। दूसरी तरफ, निजी कंपनियों के शेयरधारकों को संपूर्ण तरलता में कमी को ध्यान में रखते हुए अपनी मूल्यांकन संबंधित उम्मीदों में बदलाव लाना चाहिए।