Maruti Suzuki Share Price: देश की सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माता मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) का शेयर पिछले तीन कारोबारी सत्रों से अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर बना हुआ है। इस तेजी के साथ फरवरी के शुरू से अब तक इसमें 21 प्रतिशत से ज्यादा तेजी आ चुकी है और वह एनएसई के निफ्टी ऑटो इंडेक्स को पीछे छोड़ चुका है।छोटी यात्री कारों की इस दिग्गज के लिए ज्यादातर तेजी हाल में आई है, क्योंकि कंपनी अभी भी एक और दो साल की अवधि में निफ्टी ऑटो से पीछे है।
दरअसल, कंपनी को अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 2020-22 और 2021-22 में कमजोर मॉडल पाइपलाइन का सामना करना पड़ा था। उसके प्रतिस्पर्धियों ने यूटिलिटी व्हीकल (यूवी) सेगमेंट में कई नए वाहनों की पेशकश की है। इससे यूवी सेगमेंट में जापान के स्वामित्व वाली कार निर्माता की बाजार भागीदारी 2018-19 के 28 फीसदी से घटकर 2022-23 में 18 प्रतिशत रह गई है।
हालांकि कंपनी ने पिछले साढ़े चार साल के दौरान चार नए मॉडल (ग्रांड विटारा, जिमनी, फ्रॉन्क्स, और इनविक्टो) पेश किए हैं। साथ ही उसने ब्रेजा को नए रूप में उतारा है। इससे कंपनी को अपनी बाजार भागीदारी बढ़ाने में काफी मदद मिल रही है।
इसके अलावा, कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष एवं विश्लेषक (फंडामेंटल रिसर्च)अरुण अग्रवाल का मानना है कि एमएसआईएल की थोक बिक्री वृद्धि जनवरी और फरवरी 2024 में सालाना आधार पर 2023-24 के 9 महीनों के मुकाबले बेहतर रही।
फरवरी के लिए कंपनी की बिक्री 14.6 प्रतिशत तक बढ़ी। वहीं घरेलू बिक्री में 8.7 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ, निर्यात 68 प्रतिशत बढ़ा। कंपनी ने 28,927 वाहनों का अपना सर्वाधिक मासिक निर्यात दर्ज किया, जो उसकी कुल बिक्री में करीब 15 प्रतिशत है। सेंट्रम रिसर्च का कहना है कि मजबूत लाइनअप, तेज विपणन खर्च और हाइब्रिड वर्स में ब्रेजा के नए अवतार के साथ एसयूवी बिक्री 82.5 प्रतिशत रही।
ब्रोकरेज के शोध विश्लेषक शिरीष परदेशी ने इस शेयर के लिए 15,082 रुपये का कीमत लक्ष्य तय किया है और अनुमान जताया है कि भविष्य में एसयूवी, 2024-25 में ईवी पैठ और सुजूकी मोटर गुजरात के समेकन की मदद से कंपनी को अपना पोर्टफोलियो मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
ब्रोकरेज फर्में जिन एक मुख्य क्षेत्र पर सकारात्मक हैं, वह यह है कि व्यवसाय और निर्णय लेने की क्षमता के लिए मारुति का प्रौद्योगिकी-आधारित दृष्टिकोण उसके इंजन टेक्नोलॉजी विकल्पों तक सीमित नहीं है।
जेएम फाइनैंशियल रिसर्च के शोध विश्लेषकों विवेक कुमार और रौनक मेहता का कहना है, ‘वैश्विक वाहन निर्माता (मर्सिडीज-बेंज, फोर्ड, जनरल मोटर्स, फोक्सवैगन समेत) उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं और अपर्याप्तता तथा चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विस्तार की धीमी गति जैसी चुनौतियों के कारण ईवी निवेश कम कर रहे हैं और हाइब्रिड की ओर रुख कर रहे हैं। हमारा मानना है कि भारत में हालात अलग नहीं हैं।’
ब्रोकरेज का मानना है कि एमएसआईएल अपने टेक्नोलॉजी-केंद्रित दृष्टिकोण (हाइब्रिड, ईवी, सीएनजी, फ्लेक्सीबल ईंधन आदि) के साथ विद्युतीकरण की धीमी रफतार के बीच मजबूत स्थिति में है।
मारुति सुजूकी छोटे कार सेगमेंट के लिए अपना स्वयं की लागत-किफायती ‘सीरीज’ हाइब्रिड सॉल्युशन तैयार कर रही है और बड़े एसयूवी तथा मल्टी-पर्पज वाहनों के लिए टोयोटा की हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बरकरार रखेगी। कंपनी ने अगले दो-तीन साल के दौरान पांच हाइब्रिड मॉडल पेश करने की योजना बनाई है।
सीएनजी के मामले में भी कंपनी आगे रही है, क्योंकि यह 2010 में फैक्ट्री-फिटेड सीएनजी वाहन लॉन्च करने वाली पहली वाहन निर्माता थी।
कंपनी की सीएनजी बिक्री पिछले पांच साल में कई गुना बढ़ी और उसकी सीएनजी पैठ बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई। जहां 2019-20 में कंपनी की सीएनजी की बिक्री 106,000 वाहन रही, वहीं वित्त वर्ष 2024 के अंत तक यह बढ़कर 545,000 वाहन हो जाने की उम्मीद है। 2010-11 में कंपनी के पास सीएनजी वैरिएंट वाले तीन मॉडल थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 13 हो गई है।
सीएलएसए रिसर्च ने हाल में कंपनी पर ‘आउटपरफॉर्म’ रेटिंग दी है क्योंकि उसे उम्मीद है कि सीएनजी से चलने वाले वाहनों और हाइब्रिड यात्री वाहनों की हिस्सेदारी में वृद्धि से उसे फायदा होगा। इससे कंपनी को ईवी में अपनी कमजोर स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी।
यह शेयर अपनी कैलेंडर वर्ष 2025 की ईपीएस के 23.5 गुना पर कारोबार कर रहा है, जो उसके 10 वर्षीय औसत पीई मल्टीपल से नीचे है। सीएलएसए ने इस शेयर के लिए 12,890 रुपये का कीमत लक्ष्य रखा है।
कंपनी के लिए अन्य कारक सरकार द्वारा हाइब्रिड पर शुल्क कटौती का निर्णय हो सकता है। मौजूदा समय में हाइब्रिड कारों पर 43 प्रतिशत का जीएसटी लगता है। सरकार ने अगली जीएसटी परिषद बैठक में इसे घटाकर 12 प्रतिशत किए जाने का प्रस्ताव रखा है।
मॉर्गन स्टैनली रिसर्च का मानना है कि हाइब्रिड उत्पाद शुल्क में संभावित कटौती से मारुति के शेयर में रेटिंग सुधार को बढ़ावा मिल सकता है।