पूंजी बाजार तंत्र को भरोसा टूटने से होने वाले नुकसान से सतर्क करते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य (डब्ल्यूटीएम) ने उद्योग से स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देने को कहा।
पूंजी बाजार भागीदारों के एक कार्यक्रम में सेबी अध्यक्ष कमलेश वार्ष्णेय ने कहा कि हरेक उल्लंघन के लिए प्रवर्तन या जांच ही एकमात्र समाधान नहीं है और सभी प्रतिभागियों को जिम्मेदारी से कार्य करना होगा। उन्होंने कारोबारियों से भरोसा नहीं तोड़ने और अपने तंत्र में अनौपचारिक जांच की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘प्रवर्तन कारोबारियों को सिर्फ यह संदेश देने के लिए है कि नियामक आपकी निगरानी कर रहा है। हरेक उल्लंघन के खिलाफ जांच नहीं हो सकती। इन उल्लंघनों को स्वैच्छिक अनुपालन के जरिये सही किए जाने की जरूरत होगी।’ उन्होंने कहा, ‘निवेशक का भरोसा बेहद जरूरी है। यदि यह भरोसा टूटता है तो विकास की प्रक्रिया अटक जाएगी।’
बाजार नियामक ने हाल में 10 कंपनियों को बाजार से प्रतिबंधित किया है। इनमें बाजार शोध विश्लेषक और टीवी चैनलों पर शेयर के बारे में सुझाव देने वाले गेस्ट भी शामिल हैं।
इन गेस्ट ने कई जानकारियां प्रसारित होने से पहले ही अपनी संबंधित इकाइयों के साथ साझा कर अनुचित तरीके से लाभ कमाया। आदेश जारी करने वाले वार्ष्णेय ने चैनलों से ऐसे गेस्ट का चयन जिम्मेदारी एवं सतर्कता के साथ करने को कहा है।
उन्होंने कहा, ‘यह देखना टीवी चैनल की जिम्मेदारी है कि गेस्ट पारदर्शी तरीके से सलाह दे रहा है या इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है। वे हमारी तरह तो निगरानी नहीं कर सकते, लेकिन छोटे छोटे प्रयास जरूर कर सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि कुछ गलत तो नहीं हो रहा है।’
परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों में फ्रंट-रनिंग मामलों के बारे में उन्होंने प्रबंधकों से नियंत्रण प्रणालियों पर अमल करने और ऐसी कोशिशों को नाकाम करने का आह्वान किया।
पेटीएम की सहायक इकाई में केवाईसी प्रक्रिया से जुड़ी खामियों और आरबीआई द्वारा नियामकीय कदम के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वार्ष्णेय ने कहा कि सेबी के दायरे में इन्फ्रास्ट्रक्चर ‘मजबूत’ है। उन्होंने भारत में ऋण बाजार को बढ़ावा देने के उपायों की जरूरत पर भी जोर दिया।