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अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढऩे से सहमा बाजार

Last Updated- December 12, 2022 | 8:03 AM IST

अमेरिका में बॉन्ड पर बढ़ते प्रतिफल के बीच घरेलू शेयर बाजारों में लगातार चौथे दिन गिरावट देखी गई। अमेरिका बाजार में बॉन्ड पर प्रतिफल बढऩे से निवेशक अमूमन जोखिम समझी जाने वाली परिस्थितियों से कन्नी काट रहे हैं। शुक्रवार को बीएसई सेंसेक्स 435 अंक की गिरावट के साथ 50,982 पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी 137 अंक टूटकर 14,982 पर बंद हुआ।
10 वर्ष के अमेरिकी टे्रजरी बॉन्ड पर प्रतिफल उछल कर 1.30 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो इस महीने के शुरू में 1.07 प्रतिशत था। इसकी वजह यह है कि निवेशक फिलहाल यह तय नहीं कर पाएं हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की 1.90 लाख करोड़ डॉलर की प्रोत्साहन योजना पर उनका क्या रुख रहेगा। दुनिया के विकसित देशों में बॉन्ड पर प्रतिफल और तेजी से उभरते शेयर बाजारों में विपरीत संबंध होता है। इसका आशय यह हुआ कि अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में बॉन्ड पर प्रतिफल बढऩे से भारत जैसे देशों में शेयर बाजार लुढ़क जाते हैं।
घरेलू बाजार में 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि वाले सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल इस महीने के शुरू के 5.95 प्रतिशत से बढ़कर 6.13 प्रतिशत पर पहुंच गया। बाजार में नए बॉन्ड आने की खबरों के बाद प्रतिफल में तेजी देखी गई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेस में खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका कहते हैं, ‘बॉन्ड पर बढ़ते प्रतिफल और महंगाई से जुड़ी चिंताएं बनी रहने तक बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी रह सकता है। आरबीआई बॉन्ड पर प्राप्तियां निचले स्तर पर रखने के लिए कदम जरूर उठा सकता है जिससे शेयरों का मूल्यांकन सीमित होने का डर निवेशकों को सता रहा है। इन परिस्थितियों के बीच बाजार की नजर बढ़ती महंगाई से लेकर कोविड के बढ़ते मामलों पर होगी। खासकर अगले कुछ दिनों तक अमेरिका में संभावित वित्तीय प्रोत्साहन बाजार की दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।’
पिछले कुछ सत्रों में विदेशी निवेशकों से आने वाली रकम में कमी आई है। शुक्रवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 119 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे हैं,जबकि घरेलू निवेशकों ने 1,175 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिक्री की। सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध प्रमुख निराली शाह ने कहा, ‘किसी निवेशक के लिए यह जानना जरूरी है कि बॉन्ड पर बढ़ते प्रतिफल से शेयरों के मूल्यांकन पर खासा असर होता है। 2013 में ऐसा ही वाकया दिखा था जब बॉन्ड पर बढ़ते प्रतिफल का असर शेयरों के मूल्यांकन में कमी का कारण बना था। उस समय अचानक प्रतिफल बढऩे से बाजार में अचानक गिरावट देखी गई थी।’ इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भी निवेशकों को परेशानी हो रही है। इस सप्ताह बे्रंट क्रूड 65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच चुका था मगर बाद में 63 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

First Published - February 19, 2021 | 11:33 PM IST

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